tag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post3257859497966463319..comments2024-03-28T12:57:33.650+05:30Comments on देहात: पौराणिक कथाओं के पात्र राजीव कुमार झा http://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-63908370164789076172015-12-13T19:45:49.767+05:302015-12-13T19:45:49.767+05:30Rochak prastuti Rochak prastuti रश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-52857290815075144712015-12-13T16:46:06.301+05:302015-12-13T16:46:06.301+05:30बहुब ही खोज पूर्ण लेख है । धन्यवादबहुब ही खोज पूर्ण लेख है । धन्यवादजसवंत लोधीhttps://www.blogger.com/profile/02394006567209787669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-74256799439378290702015-12-13T09:29:46.983+05:302015-12-13T09:29:46.983+05:30सादर आभार.सादर आभार. राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-29234729083803582522015-12-12T23:29:29.528+05:302015-12-12T23:29:29.528+05:30बहुत ही सुंदर विश्लेषण किया है। साथ पौराणिक कथाओं...बहुत ही सुंदर विश्लेषण किया है। साथ पौराणिक कथाओं के पात्रों को सही मायने में समझााने का भी प्रयास किया है।जमशेद आज़मीhttp://www.kanafusi.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-56820326522475954632015-12-12T21:14:23.429+05:302015-12-12T21:14:23.429+05:30 अच्छी जानकारी मिली, आभार अच्छी जानकारी मिली, आभार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-22252311286463751612015-12-12T20:41:51.601+05:302015-12-12T20:41:51.601+05:30 वेद-पुराण तो हमारी संस्कृति ही है जिसे प्रकृति के... वेद-पुराण तो हमारी संस्कृति ही है जिसे प्रकृति के गुण और परिवेश ढालते थे . बहुत सुन्दर Bharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-63058733246626084042015-12-12T19:30:38.877+05:302015-12-12T19:30:38.877+05:30जय मां हाटेशवरी....
आप ने लिखा...
कुठ लोगों ने ही ...जय मां हाटेशवरी....<br />आप ने लिखा...<br />कुठ लोगों ने ही पढ़ा...<br />हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...<br />इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....<br />दिनांक 13/12/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....<br /><a href="http://www.halchalwith5links.blogspot.com" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a><br />पर लिंक की जा रही है... <br />इस हलचल में आप भी सादर आमंत्रित हैं...<br />टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...<br /><a href="http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com" rel="nofollow">कुलदीप ठाकुर</a>...<br /><br />kuldeep thakurhttps://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-56683684269654402952015-12-12T19:25:20.310+05:302015-12-12T19:25:20.310+05:30सादर आभार.सादर आभार. राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-11766165439314650082015-12-12T18:38:05.165+05:302015-12-12T18:38:05.165+05:30 सत्य ,सनातन धर्म की जय हो पौराणिक कथा में पशु ... सत्य ,सनातन धर्म की जय हो पौराणिक कथा में पशु -पक्षिओ का भी अहम रोल था राजीव जी के पोस्ट से जानकारी मिली धन्यवाद <br />जय सनातन संस्कृति <br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11274688634436405984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-52323115678352728232015-12-12T18:04:10.797+05:302015-12-12T18:04:10.797+05:30पौराणिक कथाओं के पात्रों की रोचकता से प्रस्तुतिकरण...पौराणिक कथाओं के पात्रों की रोचकता से प्रस्तुतिकरण हेतु आभार!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-4577837025210675662015-12-12T16:56:30.201+05:302015-12-12T16:56:30.201+05:30आज के समय में पुरा कथाओं के असंगत लगने का कारण यह ...आज के समय में पुरा कथाओं के असंगत लगने का कारण यह है कि युग-परिवर्तन के साथ मनुष्य का अपने परिवेश के साथ संबंध बदल जाता है.आज की पीढ़ी अपने को प्रकृति से श्रेष्ठ मानता है परंतु पुराकथाओं वाला मनुष्य प्रकृति में अपनी ही चेतना को देखता था और दिव्यता का आभास पाता था.इसलिए सूर्य की वैज्ञानिक अवधारणा सूर्य की पौराणिक अवधारणा से अलग है.पुराकथाओं के असंगत लगने का कारण लोकमानस की वह प्रवृत्ति है,जो लौकिक से अलौकिक की और है तथा जिसके संस्पर्श से सब कुछ दिव्य हो जाता है – धरती,पहाड़,आकाश,मेघ,समुद्र,वृक्ष,पशु,पक्षी सब देवस्वरूप बन जाते हैं.अपनी पोस्ट में उपजते सवालों का आपने स्वयं ही जवाब लिखा है श्री राजीव जी ! विश्वास बहुत मजबूत प्रवृत्ति है और विश्वास जब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलता जाता है तब वो एक परंपरा , एक श्रद्धा , एक किवदंती बन जाता है और यही सब हम आज देखते हैं ! सुंदर प्रसंग लिया है आपने अपनी पोस्ट में Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-52271665395624753152015-12-12T15:37:12.294+05:302015-12-12T15:37:12.294+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-12-2015) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "कितना तपाया है जिन्दगी ने" (चर्चा अंक-2189) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-7769230523831845732015-12-12T11:15:34.155+05:302015-12-12T11:15:34.155+05:30सार्थक विवेचना सार्थक विवेचना गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-7456299326413051132015-12-12T11:10:06.407+05:302015-12-12T11:10:06.407+05:30पौराणिक कथाओं के पात्र पर सुन्दर एवं रोचक प्रस्तुत...पौराणिक कथाओं के पात्र पर सुन्दर एवं रोचक प्रस्तुति.RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI'https://www.blogger.com/profile/14562043182199283435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-48471790650424246432015-12-12T10:53:36.732+05:302015-12-12T10:53:36.732+05:30भारतीय संस्कृति में हमेशा सर्वोत्तम की खोज की जाती...भारतीय संस्कृति में हमेशा सर्वोत्तम की खोज की जाती रही है. इन पौराणिक पात्रों द्वारा यह सन्देश मिलता है कि व्यष्टि मूलक अवधारणा को छोड़ हमें हमेशा समष्टि मूलक अवधारणा के बारे में सोचना होगा. सिर्फ अपने बारे में सोचने से काम नहीं चलने वाला, climate change भी होगा और extinction भी होगा. मानवेतर पौराणिक पात्रों पर एक उम्दा पोस्ट के लिये राजीव जी आपका धन्यवाद!Pankaj kumarhttps://www.blogger.com/profile/01027653170078278320noreply@blogger.com