tag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post5014876924541669071..comments2024-03-29T12:46:21.169+05:30Comments on देहात: लोकतंत्र बनाम कार्टूनतंत्र राजीव कुमार झा http://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-47948943270005656902015-02-18T20:46:34.097+05:302015-02-18T20:46:34.097+05:30सुंदर आलेख सुंदर आलेख Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-7152537495763077022015-01-20T13:03:34.150+05:302015-01-20T13:03:34.150+05:30बहुत अच्छा लेख है| www.happyhindi.comबहुत अच्छा लेख है| www.happyhindi.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-37185533279770933202015-01-19T16:54:55.959+05:302015-01-19T16:54:55.959+05:30सुंदर आलेख...कार्टून कला अभिव्यक्ति की सबसे कठिन ...सुंदर आलेख...कार्टून कला अभिव्यक्ति की सबसे कठिन लेकिन दिलचस्प विधा है... अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ -साथ कुछ दायित्व भी तय होने चाहिए...Himkar Shyamhttps://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-89001784024381119562015-01-18T22:46:58.817+05:302015-01-18T22:46:58.817+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....Shanti Garghttps://www.blogger.com/profile/03904536727101665742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-79635055770220465952015-01-18T13:31:46.905+05:302015-01-18T13:31:46.905+05:30कार्टून कला और उसके विकास का पूरा लेखा जोखा लिख दि...कार्टून कला और उसके विकास का पूरा लेखा जोखा लिख दिया आपने ... बहुत ही रोचक सफ़र है कार्टून की विकास का ... पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के माप-दंड जरूर तय होने चाहियें और सामान रूप से ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-34797460896200362742015-01-17T20:57:58.790+05:302015-01-17T20:57:58.790+05:30नीरज जी,यह पोस्ट किसी धर्म विशेष के कार्टून पर नही...नीरज जी,यह पोस्ट किसी धर्म विशेष के कार्टून पर नहीं है,कार्टून कला पर है.वैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल सभी देशों में हो रहे हैं.खुद फ़्रांस ने भी शार्ली आब्दो पर सवाल उठाए थे.वैसे पश्चिमी देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के कड़े मापदंड हैं और कोर्ट भी इनमें हस्तकक्षेप नहीं करती. राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-10242560641734390662015-01-17T20:49:25.081+05:302015-01-17T20:49:25.081+05:30सादर धन्यवाद ! आ. शास्त्री जी. आभार.सादर धन्यवाद ! आ. शास्त्री जी. आभार. राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-26855646492043914022015-01-17T18:53:03.466+05:302015-01-17T18:53:03.466+05:30सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा क...सार्थक प्रस्तुति।<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (18-01-2015) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "सियासत क्यों जीती?" (चर्चा - 1862) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br /> हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-88863731122582169442015-01-17T16:28:23.774+05:302015-01-17T16:28:23.774+05:30नीरज जी ने बहुत कुछ साफ़ कर तौर पर लिखा है ! और बहु...नीरज जी ने बहुत कुछ साफ़ कर तौर पर लिखा है ! और बहुत कुछ लिखा है ! ये बहस तब क्यों नहीं होती जब दुर्गा माता के कार्टून बनाये जाते हैं या भारत माता को गलत दिखाया जाता है ! लेकिन इसके साथ राजीव जी आपकी पोस्ट में जो नयी जानकारियां छिपी हुई हैं , बहुत ही दमदार और निश्चित रूप से प्रशंसनीय हैं !Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-19314813111765851142015-01-17T15:40:44.579+05:302015-01-17T15:40:44.579+05:30कब और किसने छेड़ी यह बहस... ? :) जिस पत्रिका ने वह ...कब और किसने छेड़ी यह बहस... ? :) जिस पत्रिका ने वह कार्टून छापा था उसने उस घटना के उपरांत पुनः वैसा ही कार्टून छापा, निर्भीक रहकर और उसकी तीस लाख प्रतियाँ हाथों हाथ बिक गयी ..... तो उनकी नीति और नियत तो स्पष्ट है फिर यह बहस छेड़ी किसने ..... आपने या भारतीय मीडिया ने...... यह भारतीय मीडिया तब क्यों नहीं छेड़ती है बहस जब दुर्गा माता के अश्लील चित्र बनाए जाते हैं , जब भारत माता को नंगा दिखाया जाता है.... तब तो सब कुछ अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के भीतर दिखता है .... जिसके लोग मारे गए उन्होने कोई बहस नहीं छेड़ी इसलिए हमे इसपर बहस छेडने का अधिकार है क्या ??? Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-40398530490702577242015-01-17T13:44:13.637+05:302015-01-17T13:44:13.637+05:30sundar vishleshansundar vishleshanParesh Kalehttps://www.blogger.com/profile/00943279813810650095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8303686078423158614.post-88964155302134056492015-01-17T13:15:59.620+05:302015-01-17T13:15:59.620+05:30बढियाँ आलेख बढियाँ आलेख Bharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.com