Thursday, December 26, 2013

रंग और हमारी मानसिकता










इन्द्रधनुष के सात रंग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.इन्द्रधनुष प्रकृत्या परिवर्तनशील है परन्तु जब भी वह दिखता है एक सा ही दिखता है.ये सात रंग हैं-बैंगनी,आसमानी,नीला,हरा,पीला,नारंगी और लाल.सात रंगों का सात ग्रहों,सात शरीर चक्रों,सात स्वरों,सात रत्नों,सात नक्षत्रों,पांच तत्व और पांच इंद्रियों से घनिष्ठ संबंध है.नीले आकाश का रंगीन इन्द्रधनुष केवल हमारी आँखों को ही तृप्त नहीं करता अपितु हमारी शारीरिक क्रियाओं और मानसिकता पर भी व्यापक प्रभाव डालता है.

रंगों का उद्गम स्थान सूर्य है.इसकी किरणों के द्वारा सभी सात रंग वायुमंडल में व्याप्त रहते हैं.पृथ्वी के आसपास के वातावरण के प्रकाश कण वर्णक्रम का नीला अंश बिखेरते हैं और शेष अंश वायुमंडल में से निकल जाते हैं.मात्र नीले रंग के परिवर्तन के कारण समुद्र एवं आकाश दोनों नीले नज़र आते हैं.

सूर्य के अतिरिक्त अन्य ग्रह भी अपनी विशेष रंग की किरणों से मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं.चंद्रमा का सफ़ेद,मंगल का लाल,बुध का हरा,बृह्स्पति का पीला,शुक्र का नीलाभ-श्वेत तथा शनि का नीला रंग है. ये रंग अपने-अपने ग्रहों की शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं.ज्योतिष विद्या के अनुसार विभिन्न रंगों के रत्नों को धारण करने से दैहिक,दैविक एवं भौतिक संतापों का शमन होता है.

किसी व्यक्ति को कोई रंग बेहद पसंद होता है,जबकि वह किसी को बिल्कुल पसंद नहीं करता.इसका कारण यह है कि रंगों के साथ व्यक्ति के भावनात्मक संबंध होते हैं.रंग आपके व्यक्तित्व को रेखांकित करते हैं.चमकीले रंगों का प्रभाव गहरा होता है.रंग परिवर्तन, भाव परिवर्तन का प्रमुख कारण है.हम सब अनुभव करते हैं कि लाल रंग मन को उत्तेजित करता है,इतना ही नहीं,लाल रंग के कारण वही कमरा छोटा दिखने लगता है,जबकि नीले रंग के कारण वही कमरा बड़ा दिखता है.

हमारे शरीर में मूल सात रंग हमारी कोशिकाओं में व्याप्त हैं,संचित हैं.ये सभी शरीर को सक्रिय और स्वस्थ रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.यदि इनमें से एक रंग की भी कमी हो जाए तो शारीरिक क्रिया भंग होने लगती है.रंगों के द्वारा ही हमारी बीमारी का पता चलता है.इसलिए डॉक्टर बीमार व्यक्ति की आँख,जीभ आदि को देखता है.शरीर की स्वस्थता,रुग्णता,स्वभाव एवं चरित्र का रंगों से गहरा संबंध है.रंग मनोवैज्ञानिक प्रभाव के बल पर मानव जीवन में विशेष महत्व रखते हैं.

वस्तुतः रंग और प्रकाश में बहुत अंतर नहीं है.रंग में प्रकाश और ध्वनि सम्मिलित है.ध्वनि दो रूपों में आकर ग्रहण करती है.ये दो रूप हैं-वर्ण और अंक.वर्ण और अंक का रंगों से गहरा संबंध है.

जो ध्वनि सीधी निकलती है उसका रंग अलग होता है और जो ध्वनि चक्र में निकलती है उसका रंग कुछ और होता है.ध्वनि चक्रों से संबद्ध होकर शक्ति और उर्जा में बदलती है.विभिन्न प्रकंपन आवृत्ति में प्रवृत्त होने वाला प्रकाश ही रंग है.प्रकाश,रंग और ध्वनि पृथक-पृथक तत्व नहीं हैं,अपितु एक ही तत्व के अलग-अलग प्रकार हैं.इनमें से किसी एक के माध्यम से अन्य दो को प्राप्त किया जा सकता है.

रंगों का सुख,समृद्धि और चिकित्सा के क्षेत्र में भी बहुत महत्व है.लाल रंग में गर्मी होती है,नाड़ियों को उत्तेजित करना इसकी विशिष्ट प्रवृत्ति है.चोट या मोच में इसका प्रयोग होता है.नारंगी रंग भी उष्णता देता है.दर्द को दूर करने में यह सफल है.पीला रंग ह्रदय के लिए शुभ है.यह मानसिक दुर्बलता दूर करने में सहायक है.मानसिक उत्तेजना को भी यह दूर करता है.हरा रंग नेत्र दृष्टिवर्द्धक है.संत और शमनकारी है.फोड़ों और जख्मों को तुरंत भरता है एवं पेचिश में लाभकारी है.नीला रंग दर्द और खुजली शांत करता है.पाचन क्रिया में तीव्रता के निमित्त आसमानी रंग का उपयोग होता है.बैगनी रंग दमा,सूजन,अनिद्रा में उपयोगी है.

मन्त्रों में भी रंग का विशेष महत्व है क्योंकि रंग के द्वारा एकाग्रता,ध्यान,समाधि और आत्मोपलब्धि तक सरलता से पहुंचा जा सकता है.रंगों का मनोनियंत्रण में सर्वाधिक महत्व है.रंगों के माध्यम से हमारी आध्यात्मिक यात्रा सहज हो सकती है.रंग तो सशक्त माध्यम है,सिद्धि की अवस्था में साधन स्वतः लीन  हो जाते हैं. 

39 comments:

  1. बहुत अलग जानकारी मिली ... धवनी का भी रंग से कोई सम्बन्ध होता है ये जानकारी बिलकुल नयी है मेरे लिए

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अमर शहीद ऊधम सिंह ज़िंदाबाद - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (27-12-13) को "जवानी में थकने लगी जिन्दगी है" (चर्चा मंच : अंक-1474) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आ० राजीव भाई , बहुत ही सुंदर व विस्तृत लेख धन्यवाद

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    1. सादर धन्यवाद ! आशीष भाई . आभार.

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  5. नई जानकारी ..... सुन्दर लेख ....

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  6. वस्तुतः रंग और प्रकाश में बहुत अंतर नहीं है.रंग में प्रकाश और ध्वनि सम्मिलित है...वाह ! कितनी अद्भुत जानकारी..आभार इस सुंदर सार्थक पोस्ट के लिए

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  7. नई जानकारी मिली धन्यवाद |

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  8. नयी तथा ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए धन्यवाद सर

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  9. भैया जी.....
    -----बैगनी एवं जामुनी तो एक ही रंग होता है ....
    ----बैंगनी,जामुनी,नीला,हरा,पीला,नारंगी और लाल के स्थान पर... बैंगनी,नीला,आसमानी, हरा,पीला,नारंगी और लाल..ये सात रंग होते हैं....

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  10. भैया जी.....
    -----बैगनी एवं जामुनी तो एक ही रंग होता है ....
    ----बैंगनी,जामुनी,नीला,हरा,पीला,नारंगी और लाल के स्थान पर... बैंगनी,नीला,आसमानी, हरा,पीला,नारंगी और लाल..ये सात रंग होते हैं....
    ---अंग्रेज़ी के VIBGYOR.....के अनुसार ..वायलेट, इंडिगो, ब्लू .ग्रीन, येलो, ओरेंज,रेड ....अँगरेज़ नीले को इंडिगो एवं आसमानी को ब्ल्यू कहते हैं...

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    1. सादर धन्यवाद ! आ. गुप्ता जी. बैंगनी या जामुनी एवं आसमानी ही होगा.टाइपिंग की त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार.

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  11. रंगो की एक नई जानकारी दी है राजीव जी आप ने ..बहुत बढिया

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  12. बहुत सुन्दर जानकारी ..

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  13. ध्वनि और रंगों के माध्यम सूक्ष्म अध्यन ... जानकारी भरा आलेख ...
    नव वर्ष की मंगल कामनाएं ...

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  14. रंगों के विज्ञानं का मनुष्य पर असर होता है यह सुना था .आज कुछ और नयी जानकारियाँ इस संदर्भ में मिलीं.आभार .

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  15. रंग बोले तो वेवलेंग्थ। तारों के रंग लाल ,हरा ,नीला- स्वेत क्रमश : बढ़ते तापमान को दर्शाते हैं। लाल ठंडा नीला गर्म बहुत ज्ञान वर्धक लेख रंगों की माया पर ,रंग चिकित्सा पर।

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    1. सादर धन्यवाद ! आ. वीरेन्द्र जी. आभार.

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  16. आदरणीय राजीव भाई , बहुत बढ़िया व टॉप का ब्लॉग आपका है , जिसे मैंने टॉप ५ फ्रेंड्स सूची में शामिल किया है , कल ३१-१२-२०१३ को आपके ब्लॉग का लिंक मै अपने ब्लॉग पोस्ट पे दे रहा हूँ , कृपया पधारने की कृपा करें , धन्यवाद
    I.A.S.I.H top 2013 ( टॉप १० हिंदी ब्लोगेर्स , हिंदी सोंग्स , टॉप वालपेपर्स , टॉप १० फ्री pc softwares वेबसाइट लिंक्स ) और ?

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    1. सादर धन्यवाद ! आशीष भाई . आभार.

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  17. आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (13-04-2014) को ''जागरूक हैं, फिर इतना ज़ुल्म क्यों ?'' (चर्चा मंच-1581) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर…

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