इंद्री के द्वारा हमें बाहरी विषयों - रूप, रस, गंध, स्पर्श एवं शब्द - का तथा आभ्यंतर विषयों - सु:ख दु:ख आदि-का ज्ञान प्राप्त होता है. इद्रियों के अभाव में हम विषयों का ज्ञान किसी प्रकार प्राप्त नहीं कर सकते. इसलिए तर्कभाषा के अनुसार इंद्रिय वह प्रमेय है जो शरीर से संयुक्त, अतींद्रिय (इंद्रियों से ग्रहित न होनेवाला) तथा ज्ञान का करण हो (शरीरसंयुक्तं ज्ञानं करणमतींद्रियम्).
कहा जाता है कि पाँच इंद्रियाँ होती हैं- जो दृश्य, सुगंध, स्वाद, श्रवण और स्पर्श से संबंधित होती हैं. किंतु एक और छठी इंद्री भी होती है जो दिखाई नहीं देती, लेकिन उसका अस्तित्व महसूस होता है. वह मन का केंद्रबिंदु भी हो सकता है या भृकुटी के मध्य स्थित आज्ञा चक्र जहाँ सुषुम्ना नाड़ी स्थित है.
सिक्स्थ सेंस से संबंधित कई किस्से-कहानियाँ किताबों में भरे पड़े हैं. इस ज्ञान पर कई तरह की फिल्में भी बन चुकी हैं और उपन्यासकारों ने इस पर उपन्यास भी लिखे हैं. प्राचीनकाल या मध्यकाल में छठी इंद्री ज्ञान प्राप्त कई लोग हुआ करते थे, लेकिन आज कहीं भी दिखाई नहीं देते तो उसके भी कई कारण हैं.
मस्तिष्क के भीतर कपाल के नीचे एक छिद्र है, उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं, वहीं से सुषुम्ना रीढ़ से होती हुई मूलाधार तक गई है. सुषुम्ना नाड़ी जुड़ी है सहस्रकार से.
इड़ा नाड़ी शरीर के बायीं तरफ स्थित है तथा पिंगला नाड़ी दायीं तरफ अर्थात इड़ा नाड़ी में चंद्र स्वर और पिंगला नाड़ी में सूर्य स्वर स्थित रहता है. सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः जब हमारे दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है. इस सक्रियता से ही सिक्स्थ सेंस जाग्रत होता है।
छठी इंद्री के जाग्रत होने से व्यक्ति के भविष्य में झाँकने की क्षमता का विकास होता है. अतीत में जाकर घटना की सच्चाई का पता लगाया जा सकता है. मीलों दूर बैठे व्यक्ति की बातें सुन सकते हैं. किसके मन में क्या विचार चल रहा है इसका शब्दश: पता लग जाता है. एक ही जगह बैठे हुए दुनिया की किसी भी जगह की जानकारी पल में ही हासिल की जा सकती है. छठी इंद्री प्राप्त व्यक्ति से कुछ भी छिपा नहीं रह सकता और इसकी क्षमताओं के विकास की संभावनाएँ अनंत हैं.
वैज्ञानिक कहते हैं कि दिमाग का सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा ही काम करता है। हम ऐसे पोषक तत्व ग्रहण नहीं करते जो मस्तिष्क को लाभ पहुँचा सकें. समस्त वायुकोषों,फेफड़ों और हृदय के करोड़ों वायुकोषों तक श्वास द्वारा हवा नहीं पहुँच पाने के कारण वे निढाल से ही पड़े रहते हैं. उनका कोई उपयोग नहीं हो पाता.
चेकोस्लोवाकिया के परामनोवैज्ञानिक डॉ. मिलान रायजल ने सामान्य व्यक्तियों में अतींद्रिय एवं पराशक्ति जागृत करने के बहुत से सफल प्रयोग किये हैं.इन प्रशिक्षण एवं प्रयोगों में ये शक्तियां सामान्यतः वह सम्मोहन क्रिया द्वारा जागृत करते हैं.
एक दिन प्राग स्थित अपनी
प्रयोगशाला में उन्होंने इन प्रयोगों में सहायिका एवं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही
जोसेफ्का से कहा कि हम यह प्रयास करेंगे कि भविष्य की किसी दुर्घटना को पहले से
जानकर उसे बदल सकते हैं.यानि क्या भविष्य की नियति में हम दखल भी दे सकते हैं.यदि
आपको यह पता चल जाय कि आपका कोई परिचित भयंकर दुर्घटना का शिकार होने वाला है, तो
क्या फिर भी वह दुर्घटना जरूर ही होकर रहेगी या उस व्यक्ति को आपके द्वारा दी गई
पूर्व चेतावनी से वह टल भी सकती है? यदि भविष्य को बदला जा सकता है तो कितना,पूरी
तरह से या आंशिक रूप में.
रायजल ने जोसेफ्का से अपनी किसी मित्र की ऐसी किसी घटना का भविष्य-दर्शन करने को कहा,जिससे उसे बचना चाहिए.फिर उस मित्र को होने वाली घटना का पूर्व संकेत देकर,परिणाम की प्रतीक्षा करने को कहा.
जिस लड़की के भविष्य की
दुर्घटना के पूर्व दर्शन का चयन किया गया वह प्राग से पचास मील दूर रहती थी.तंद्रा
की अवस्था में जोसेफ्का रायजल के आदेशों का पालन करती रही.उसने होने वाली घटना के
बारे में बताया कि उसकी मित्र कार से शहर से बाहर जा रही है और हाइवे पर एक लॉरी
से उसकी कार की जबरदस्त टक्कर हो जाती है और वह गंभीर अवस्था में घायल पड़ी है.
जोसेफ्का को जागृत कर
सामान्य अवस्था में लाया गया,जो दर्दनाक दृश्य उसने देखा था,उसके प्रभाव से वह
कांप रही थी.उसने सोचा कि वह दिन निकलते ही अपनी सहेली को इसके बारे में संकेत कर देगी.
अगली सुबह उसने अपनी सहेली को फोन कर इस बारे में बताना शुरू ही किया था कि उसकी
माँ ने कहा-अब क्या फायदा? बहुत देर हो चुकी है और वह अस्पताल में गंभीर अवस्था
में पड़ी है.
आश्चर्य की बात यह थी कि
जोसेफ्का न तो कोई रूहानी माध्यम थी,न ही अतींद्रिय संपन्न कोई सिद्ध लड़की,जिसे
रायजल ने कहीं से खोज निकाला हो.कुछ ही महीने पहले जब रायजल से उसकी मुलाकात हुई
थी,तो उसमें इस प्रकार की कोई शक्ति नहीं थी.रायजल ने प्रशिक्षण की जी विलक्षण
प्रणाली खोज निकाली उसी से उसे यह क्षमता प्राप्त हो सकी.
डॉ. रायजल ही ऐसे पहले
परामनोवैज्ञानिक हैं,जिन्होंने ऐसी प्रणाली खोज निकाली है,जिसके द्वारा किसी भी
रास्ता चलते सामान्य व्यक्ति में छठी इंद्री जागृत की जा सकती है.प्रसिद्ध चेक
हिंदी लेखक और कवि ओदोलेन स्मेकल ने भी रायजल
के प्रयोगों की प्रशंसा की है.
भविष्य का पूर्वाभास,किसी
के मन की बातें पढ़ लेना – इन सब ऋद्धियों-सिद्धियों का भंडार अचेतन मन की किन्हीं
परतों में सुरक्षित है.परामनोवैज्ञानिकों का मंतव्य है कि वह प्रशिक्षित
व्यक्तियों में इन शक्तियों से संपन्न छठी इंद्री का समुचित विकास कर सकते हैं.
रायजल के कुछ प्रशिक्षित शिष्यों
ने अतींद्रिय शक्ति के बल पर उन लोकों में भी झांकना शुरू किया जिन्हें हमारी
आँखों से देखना संभव नहीं.
पराशक्ति
ऋद्धियों-सिद्धियों के अतिरिक्त मस्तिष्क में असंख्य प्रतिभाएं भी सुरक्षित हैं.अब
यह मान्यता जोर पकड़ती जा रही है कि इस चेतन तत्व के हम जीवनभर में एक बहुत ही छोटे
से अंश का ही उपयोग कर पाते हैं.यदि विभिन्न प्रतिभाओं को वोक्सित और जाग्रत किया
जा सके तो हम समृद्धिशाली प्रतिभाओं के स्वामी हो सकते हैं.
इसी दिशा में रूसी
परामनोवैज्ञानिक डॉ. राईकोव ने भी बहुत से सफल प्रयोग किये हैं.परन्तु राईकोव
प्रयोग के लिए आगे आए व्यक्ति को गहरे सम्मोहन में उतार देते हैं और फिर इस तरह के
संकेत देते हैं कि ‘आप एक बहुत बड़े चित्रकार हैं’ और वह व्यक्ति चित्र बनाने लगता
है.
भारतीय आध्यात्म में
ऋद्धि-सिद्धियों को जागृत करने की प्रणाली योग एवं समाधि है.समाधि में सम्मोहन की
तरह ही,चेतन अवस्था तो लुप्त हो जाती है और साधक अपनी धारणानुसार अचेतन लोक में
ही विचरता है,और धीरे-धीरे अचेतन की परतों से ही विभिन्न शक्तियां खींच लेता है.यह
दीर्घकालीन और समय साध्य प्रणाली है.यदि परामनोवैज्ञानिकों के प्रयोगों से कोई नई
प्रणाली सर्वसुलभ हो गई तो एक दिन सर्वसाधारण व्यक्ति के लिए उन पराशक्तियों को प्राप्त
करना संभव हो जाएगा,जो अभी तक सिद्ध योगियों की ही संपत्ति मानी जाती हैं.
सिद्धयोग के बारें में जाने http://youtu.be/fmhUnN6eX_8
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जानकारीपरक.....
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबढ़िया विषय सुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आ. सुशील जी. आभार.
Deleteबिल्कुल सही आकलन किया गया है ऐसा होता है और हम सभी को ज़िन्दगी में अनेक बार ऐसे आभास होते हैं जो भविष्य को इंगित करते हैं फिर स्वप्न के माध्यम से ही क्यों न हों और मेरे साथ ऐसा बहुत बार होता है
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार. कई लोगों को इस तरह की अनुभूति होती है.भले ही लोग इस पर ध्यान न दें. दुनियां भर में इस तरह की कई घटनाओं के बारे में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में काफी विस्तार से छपा है.
Deleteबढ़िया सुंदर आलेख व प्रस्तुति , राजीव भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सादर धन्यवाद ! आशीष भाई. आभार.
Deleteमनोविज्ञान के आगे परामनोविज्ञान की जानकारी देता सुंदर आलेख.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! राकेश जी. आभार.
Deleteइस प्रताप तक पहुँचने की सिद्धि केवल विरले ही ले पाते हैं ... रोजी रोटी में फंसे लोगों के लिए ये तो मात्र एक फंतासी ही है ... पर ऐसा जरूर होता होगा होगा क्योंकि शिव हैं ... साक्षात हैं ...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteएक अजीब ही शै है ये भी !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
ReplyDeleteWell Written Sir,
ReplyDeleteI am new in Creative Writing, Please go through my blog and guide me...
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Thanks !
Deleteबहुत बढ़िया ज्ञानवर्धक प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteज्ञानवर्धक प्रस्तुति ..... ऐसा होता है ....
ReplyDeleteगांव-घर में काली जुबान की बात होती हैं
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! अनुषा जी. आभार.
Deleteअभिनव जानकारी सुन्दर सार्थक पोस्ट के लिए आपका आभार टिप्पणियों के लिए भी आभारी हूँ आपकी।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आ. वीरेन्द्र जी. आभार.
Deleteबहुत अच्छे तरीके से आपने महत्वपूर्ण जानकारी पेश किया है ................धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! प्रभात जी. आभार.
Deleteछठी इन्द्रिय के विषय में पढ़ा था.स्वप्न मे आगत घटनाओं का आभास कई बार मिला है .पता नहीं छठी इन्द्रिय का योगदान था या कुछ और .इस विषय में जान कर अच्छा लगा -आभार !
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति रोचक लगी.
ReplyDeleteजीवन अपने आप में एक रहस्य है---और रहस्य को रहस्य ही रहने दिया जाय तो बेहद खूबसूरत है.
सूरज का निकलना व अस्त होना----खूबसूरत है---उसकी पृथवी से दूरी को नापना---बे-अर्थ है.
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteमनुष्य आदि काल से ही नए रहस्यों की खोज में लगा है.यदि यह न होता तो आज विज्ञान का इतना विकास न होता.चिकित्सा की आधुनिक पद्धति विकसित न हो पाती.और गंभीर तथा असाध्य बीमारियों का इलाज न हो पाता.
छठी इंद्री के जाग्रत होने से व्यक्ति के भविष्य में झाँकने की क्षमता का विकास होता है. अतीत में जाकर घटना की सच्चाई का पता लगाया जा सकता है. मीलों दूर बैठे व्यक्ति की बातें सुन सकते हैं. किसके मन में क्या विचार चल रहा है इसका शब्दश: पता लग जाता है. एक ही जगह बैठे हुए दुनिया की किसी भी जगह की जानकारी पल में ही हासिल की जा सकती है. छठी इंद्री प्राप्त व्यक्ति से कुछ भी छिपा नहीं रह सकता और इसकी क्षमताओं के विकास की संभावनाएँ अनंत हैं.बहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट
ReplyDeleteदिल खुश कर दिया लेकीन इसको प्राप्त करने के उपाय बताये
ReplyDeleteBilkul shii h mujhe bhi boht bar ese sapne aaye h jo sach hue h..
ReplyDeletevery nice details for knowing sixth sense of human.
ReplyDeleteI also hold that SIXTH SENSE can be awakened by Hypnosis. Many Years ago ,I experimented with Hypnosis and used Clairvoyance to know distant event/ Details etc. successfully.
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