‘दमादम मस्त कलंदर...... अली दा पैला नंबर’,यूँ तो सिंधी समुदाय के प्रसिद्द संत झूलेलाल के सम्मान में गाया जाने वाला यह भक्ति गीत समुदाय विशेष की सरहदों को पार कर सबों में समान रूप से लोकप्रिय है.इसे नामचीन फ़नकारों ने अलग-अलग अंदाज में, अपने सुरों से नवाजा है. उस्ताद नुसरत फतह अली खान,रेशमा,रुना लैला,राहत फतह अली खान,आबिदा परवीन या फिर कैलाश खेर द्वारा गाए इस गीत से माहौल रूहानी हो जाता है.कोई भी सूफी आयोजन इस भक्ति गीत के बिना पूरा नहीं होता.
भारत में सूफी संतों और
कलंदरों की समृद्ध परंपरा रही है और वे किसी समुदाय विशेष के श्रद्धेय न होकर सभी
समुदायों में समान रूप से आराध्य रहे हैं.इनके दरगाह पर ज़ियारत के लिए सभी
संप्रदाय के लोग पहुँचते हैं और मन्नतें मांगते हैं.गंगा-जमुनी संस्कृति के इस देश
में सर्वधर्म समभाव की यह अनूठी मिसाल पेश करता रहा है.
सूफी प्रेम का मार्ग है. यह मनुष्य की आंतरिक
यात्रा को प्रकट करने वाली जीवनशैली है. अरबी में सूफीवाद को
तसव्वुफ कहा जाता है. यह शब्द 'सौफ’ से बना माना जाता है, जिसका अर्थ होता है,
ऊनी कपड़ा पहनने वाला. सूफियों और संतों द्वारा पहने जाने वाला मोटा ऊनी वस्त्र पवित्रता, सादगी, सहनशीलता, सेवा और परमात्मा के प्रेम में डूब जाने का प्रतीक है. यही गुण सूफी जीवन चर्या के सबसे आवश्यक अंग हैं. सूफियत
का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है परमात्मा से एकांतिक प्रेम.सूफी दृष्टि से परमात्मा ही
एकमात्र सत्ता है. इसी सिद्धांत को अरबी में 'हमावुस्त’ कहते हैं. हमावुस्त यानी सबकुछ वही है.
फारसी शब्दकोष के अनुसार
कलंदर का अर्थ है – लकड़ी का अनगढ़ा लट्ठा.यह शब्द ऐसे व्यक्ति के लिए भी प्रयोग
किया जाता है जो चिंता रहित हो तथा परिणामों की चिंता नहीं करता हो.यह उन
व्यक्तियों के लिए भी प्रयुक्त होता है, जो आध्यात्मिक विकास की उस अवस्था में पहुँच
चुके हों,जिसमें वे स्वयं के तथा सांसारिक वस्तुओं के प्रति पूर्णतया उदासीन हो
चुके हैं तथा पूर्णतया ईश्वर में लीन हैं.ऐसे व्यक्तियों को किसी वस्तु या व्यक्ति
से लगाव नहीं होता जो उनके तथा ईश्वर के बीच में आए.
कहा गया है
कि,’कलंदर वह है जो सूफी के आध्यात्मिक विकास के समस्त सोपान पार कर चुका हो’.
सामान्यतया,आध्यात्मिक विकास की पराकाष्ठा पर पहुँच जाने वाले सूफी को कलंदर कहते
हैं.चिश्ती संप्रदाय के प्रसिद्द सूफी संत जमाल हांसवी के अनुसार ‘अबदल’ के ओहदे को प्राप्त कर लेने
वाले सूफी कलंदर हैं.
इस्लाम के विश्वकोश में
कलंदरों के संबंध में कहा गया है कि कलंदर एक सूफी संप्रदाय है और
कलंदरी,कलंदारिया संप्रदाय के संस्थापक थे.वास्तव में कलंदरिया एक संप्रदाय है. संप्रदाय
के हर सदस्य के लिए आध्यात्मिक विकास की पराकाष्ठा पर पहुंचना संभव नहीं है.इसलिए
हर कलंदर, कलंदरी नहीं प्राप्त कर सकता है.इसके विपरीत आध्यात्मिक विकास की
पराकाष्ठा पर पहुँचने वाला किसी भी संप्रदाय का सूफी, कलंदर कहा जा सकता है.
कलंदरों के संबंध में कई
प्रकार की भ्रांतियों के बारे में प्रसिद्द इतिहासवेत्ता प्रोफ़ेसर मो. हबीब ने
जिक्र किया है कि कलंदरों के उद्गम स्थान तथा समय के बारे में काफी मतभेद हैं.अनेक
व्यक्तियों का मानना है कि इस संप्रदाय का जन्म एशिया में हिजरी की छठी शताब्दी
में हुआ तथा शेख़ जमालुद्दीन सौजी इस संप्रदाय के प्रवर्त्तक थे.इस संप्रदाय की कुछ
विशिष्टताएं अन्य संप्रदायों से अलग करती हैं.इसके सदस्यों के लिए सिर,दाढ़ी,मूंछ
तथा भौहें मुंडवाना आवश्यक था.इसके सदस्य अन्य सूफियों की भांति रंगबिरंगे कपड़ों
का लबादा ‘सिरका’ नहीं पहनते थे,वे साधारण कंबल लपेटे रहते थे तथा कमर पर भी कंबल
या मोटा सूती वस्त्र बंधते थे.शरीर पर कंबल लपेटने वाले जबालीक कहलाते थे.इनमें
कुछ गले एवं हाथों में कड़े पहनते थे.सूफियों के विपरीत वे न तो भक्त थे न तपस्वी.
प्रो. हबीब के अनुसार कलंदरों के कुछ आचरणों में हिंदू तथा हीनयान बौद्धों की परंपराओं की झलक है.इस संप्रदाय की कुछ विशिष्टताएं हैं,जो अन्य सूफी संप्रदायों में नहीं मिलती हैं.उसके सदस्यों के लिए सिर,भौहें,दाढ़ी तथा मूंछ मुंडाना जरूरी था.यह परंपरा शेख़ जमालुद्दीन सौजी के समय से प्रारंभ हुई.
कलंदर अन्य सूफियों की
भांति रंगबिरंगे टुकड़ों से बना खिरका नहीं पहनते थे.उनमें से कुछ कमर पर कंबल या
अन्य कपड़ा लपेटे रहते थे तथा दूसरों से मिले सामान से गुजारा करते थे.ईरान निवासी
हसन अल जबलीकी भी एक महान कलंदर थे.उन्होंने काहिरा में कलंदरों के लिए एक मठ की
स्थापना की.सूफी मत की पुस्तकों में जबलीकियों को भी कलंदर माना है.
कलंदरों तथा अन्य सूफियों
में एक बुनियादी भेद है.अन्य सूफी संतों की आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र-
बिंदु उनके खानकाह होते थे.खानकाह एक बड़ा कमरा होता था.जिसमें सूफी संत अपने समस्त
शिष्यों के साथ रहते थे.सूफियों की मान्यता थी एकाकी चिंतन सूफी को अंतर्मुखी बना
देता है.उसकी सहानुभूति को सीमित कर देता है,जबकि खानकाह के सामूहिक जीवन से
सूफियों की व्यक्तिगत कुंठाएं समाप्त हो जाती हैं तथा उनकी सहानुभूति का क्षेत्र
बढ़ जाता है.
कलंदर खानकाहों के शांत
जीवन के विरूद्ध थे.अन्य कलंदरों की भांति जबलीकी भी अपने चमत्कारों के लिए
प्रसिद्द थे,जैसे आग पर चलाना,अंगारे खाना तथा एक ही घूंसे के प्रहार से दीवार
गिरा देना.कलंदरिया संप्रदाय की एक शाखा हैदरिया के प्रवर्तक हैदर नाम के एक
तुर्की संत थे.मस्ती में वे लोहे की गरम सलाख
हाथों में ऐसे पकड़ लेते ,जैसे वे मोम की हो,उसको मोड़कर उसके कड़े तथा हंसुली बनाकर
हाथों में तथा गले में पहन लेते थे.उनके शिष्य गले,हाथों,पैरों में लोहे के कड़े
पहनते थे,किंतु आध्यात्मिक क्षेत्र में कोई भी हैदर की ऊँचाइयों तक नहीं पहुँच
सके.भारत के नाथ योगियों तथा कनफटा योगियों के संपर्क में आकर उन्होंने कानोँ में
कुंडल भी पहनना शुरू कर दिया.
सूफियों और कलंदर में एक
अंतर यह है कि अंतिम अवस्था में पहुंचकर एक सूफी कलंदर बन जाता है.उसका धन समस्त
ज्ञान है तथा वह हर वस्तु को अपनी आध्यात्मिक शक्ति से जीत लेता है.कलंदर ईश्वरीय
प्रेम में लीन रहता है.
सर,,, आपने इस लेख के माध्यम से सूफी सन्तो और कलंदरों के बारे में महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी दी है। संग्रहणीय लेख। सादर।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : BidVertiser ( बिडवरटाइजर ) से संभव है हिन्दी ब्लॉग और वेबसाइट से कमाई
विश्व स्वास्थ्य दिवस ( World Health Day )
एक सुंदर विषय पर बहुत सुंदर आलेख !
ReplyDeleteबढ़िया व बेहतरीन आलेख , राजीव भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteनवीन प्रकाशन -: साथी हाँथ बढ़ाना !
नवीन प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ अनमोल रत्न है यहशरीर ~ ) - { Inspiring stories part - 5 }
सादर धन्यवाद ! आशीष भाई. आभार.
Deleteकलंदरों के बारे में मुझे ज्ञान नहीं था आपके आलेख के माध्यम से जानकारी मिली. धन्यवाद.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! राकेश जी. आभार.
Deleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.04.2014) को "शब्द कोई व्यापार नही है" (चर्चा अंक-1579)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteनवीन विषय पर जानकारी पूर्ण लेख..
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसंग्रहणीय लेख. आभार आपका.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteराजीव जी, आभार इस महत्वपूर्ण लेख के लिए
ReplyDeleteसूफी संतों पर सविस्तार से लिखा है, बहुत बढ़िया लगा !
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteआज 10/04/2014 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (कुलदीप जी की प्रस्तुति में ) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुन्दर शोध के बाद लिखी गई अनमोल जानकारी
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार
सादर धन्यवाद ! अभी जी. आभार.
Deletebahut sunder jaankari! Dhanyawad Rajeev:)
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! अमित जी. आभार.
Deleteसूफीमत पर अच्छी जानकारी दी है राजीव जी। ऊपर लिखे "दरगाह पर तिजारत के लिए सभी संप्रदाय के लोग पहुँचते हैं" में मेरे विचार से 'तिजारत' की जगह शब्द 'ज़ियारत' आना चाहिए!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! शाह नवाज जी. आभार. आपसे इत्तिफ़ाक रखते हुए संशोधन कर दिया गया है.
Deleteअच्छी जानकारी !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteachhe vishay par achhi jankari.....
ReplyDeleteनयी जानकारी है सर ||
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ज्ञानवर्द्धक आलेख राजीव जी ..
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! नीरज जी. आभार.
Deletebahut sundar jaankari...
ReplyDeleteउम्दा आलेख...सूफीज्म मोहब्बत का पैगाम देता है. सर्व धर्म समभाव का अर्थ ही सूफीज्म है.
ReplyDeletebahut hi achhi or mahtavpurn jankari
ReplyDeleteउम्दा आलेख....बहुत अच्छी जानकारी दी...धन्यवाद
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण, रोचक एवं ज्ञानवर्धक लेख................उम्दा!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteज्ञानवर्धक जानकारी वाली लेख ,बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजानकारी भरी सुंदर प्रस्तुति।।।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! अंकुर जी. आभार.
DeleteSoofi aur aur kalandar parmpraa jaise bhakti aur sanyaas
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत संग्रहणीय लेख
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत अलग से विषय पर जानकारी पूर्ण लेख। कलंदरों और सूफियों के बारे में इतना पहली बार जाना।
ReplyDeleteसूफियों और कलंदरों पर विस्तृत एवं महत्वपूर्ण जानकारी भरा आलेख.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबेहद सशक्त आलेख जानकारी से लबालब कसावदार भाषा लिए।
ReplyDeleteसूफियों कि गहरी जानकारी ... इश्वर को पाना ही जिनका ध्येय है वाही सूफी कलंदर है ...
ReplyDeleteRajiv ji kya aapka number mil Sakta he please Mai ph.d student hu or Maira topic kalandar par hi he AAP se bat ho sakegi to mujhe Jada information mil sakega
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