Sunday, September 8, 2013

एक कोना : मेरे दिल का

                      
                                                                                                
                   






खिलौनों की बारात गुड़ियों की शादी  
तेरा शहजादा मेरी शहजादी
तुम्हें याद हो या हो याद लेकिन 
मुझे याद आते हैं बचपन के वो दिन.……. 

जानी बाबू की यह नज्म अरसे से मेरे जेहन में है .जब कभी भी इसे सुनता हूँ ,बचपन की यादों में खो जाता हूँ.  बचपन की यादें ताउम्र हमारे साथ रहती हैं.रह - रह कर पुरानी धुंधली यादें मन को कुरेदती भी रहती हैं.   एक बार उन यादों को कुरेदने की कोशिश करने पर ,  यादों का एक रेला सा गुजर जाता है .आँख बंद कर उन  पलों को महसूस करने का प्रयत्न करता हूं जो बचपन में  बिताए थे .

स्कूल के दिन ,सहपाठियों के साथ बिताये पल ,बहनों के साथ छोटी-छोटी बातों पर लड़ना- झगड़ना,फिर सुलह,जैसे कल  की ही बात हो .छोटी -छोटी जरूरतों के लिए भाई ,बहनों पर  कितना निर्भर रहते हैं   ,यह विवाह एवं उनकी विदाई के बाद ही पता चलता है . जो भावनात्मक लगाव छोटी उम्र में पनप जाते  हैं  वे समय के अन्तराल में फीके नहीं पड़ते.   

आज ,जब वे इतनी दूर हैं कि साल में एकाध बार ही मुलाकात हो पाती है.गर्मियों की छुट्टियों में घर आने पर हर वक्त कोशिश करता हूँ कि किसी तरह की तल्खी न हो. पर ऐसा हो कहाँ पाता है. किसी न किसी बात पर बतकही शुरू न हुई कि एक - दो दिन बोलचाल बंद. फिर सुलह मैं ही करता हूँ. रक्षाबंधन के कई दिन पहले से फोन आना शुरू हो जाता है कि राखी  भेजी है डाक से, मिली है या नहीं .राखी  तो  मिल जाती है ,लेकिन कैसे बताऊँ कि मैं उन्हें बहुत मिस करता हूँ .मेरे दिल के एक कोने में आज भी  बचपन की यादें बसी हुई हैं . उन्हें याद करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं पड़ती. 

शुरूआती शिक्षा - दीक्षा मन पर कहीं गहरे असर कर जाती हैं. बाल मन सीखने को आतुर रहता है. ऐसे में  प्रारंभिक शिक्षा का प्रभाव लम्बे समय तक रहता है. मुझे आज भी याद आते हैं वे शिक्षक जो शिक्षक नहीं बल्कि परिवार के सदस्य जैसे लगते थे.  रामायण और महाभारत के अनछुए प्रसंगों को सुनाकर,आगे की कहानी जानने  की उत्सुकता बढ़ा देते. हम सभी भाई -बहनों की प्रारंभिक शिक्षा में उनका विशेष योगदान है. 

उम्र के पड़ाव में ये बातें और भी याद आती हैं. तेज रफ़्तार जिन्दगी की भाग-दौड़ में ये और भी अहम् है कि हम न केवल बचपन की यादों को संजोकर रखते हैं,बल्कि उन यादों को ताजा भी कर लेते हैं.    

39 comments:

  1. बचपन की यादों की मधुरता बनी रहे .

    ReplyDelete
    Replies
    1. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003 में हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | सादर ....ललित चाहार

      Delete
  2. अच्छी प्रस्तुति हैं !

    ReplyDelete
  3. बचपन की यादों की सैर करना बहुत अच्छा लगता है..
    सुन्दर यादें :-)

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद ! रीना जी . आभार .

      Delete
  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (09.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

    ReplyDelete
  5. बचपन की यादों का सहज स्मरण.

    ReplyDelete
  6. रक्षाबंधन के कई दिन पहले से फोन आना शुरू हो जाता है कि राखी भेजी है डाक से, मिली है या नहीं .राखी तो मिल जाती है ,लेकिन कैसे बताऊँ कि मैं उन्हें बहुत मिस करता हूँ .मेरे दिल के एक कोने में आज भी बचपन की यादें बसी हुई हैं .
    प्रिय राजीव जी ..बचपन की यादें मन को खुशनुमा बना जाती हैं ..बहन भाई का प्रेम अमर रहे
    आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद ! आ.भ्रमर जी. आभार.

      Delete
  7. बचपन की तमाम बातें ताज़ा रहती हैं जेहन में ... टीचर ... भाई बहन का प्रेम ... जब याद आते हैं तो मन भीग जाता है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद ! बचपन की यादें होती ही ऐसी हैं. आभार .

      Delete
  8. सच बचपन के वो दिन अब यादों में रह गए.....
    लेकिन उन यादों की खुशबू अभी भी दिल को महका जाता है ....

    ReplyDelete
  9. सच बचपन के वो दिन अब यादों में रह गए.....
    लेकिन उन यादों की खुशबू अभी भी दिल को महका जाता है ....

    ReplyDelete
  10. सच बचपन के वो दिन अब यादों में रह गए.....
    लेकिन उन यादों की खुशबू अभी भी दिल को महका जाता है ....

    ReplyDelete
  11. बचपन की याद ,जीवन में जीने की मिठास का काम करती है .

    ReplyDelete
  12. bachpan sachmuch hi jeevan ka anand hai....

    ReplyDelete
  13. आदरणीय सर जी,
    सादर प्रणाम |
    बहुत ही अच्छी रचना ,सचमुच यादें ....जेहन में हमेशा ताज़ी रहती हैं |
    नई पोस्ट -“ हर संडे....., डॉ.सिन्हा के संग !"

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद ! अजय जी. आभार .

      Delete
  14. ये स्मृतियाँ जीवन की थांती हैं .....

    ReplyDelete
  15. पापा भाई को यह लड़की,अक्सर ही धमकाती थी !
    इनकी शिकायती चिट्ठी से,मन बहलाया करते थे

    भैया से कुछ छीन के भागी, पापा के पीछे छिपने !
    इनकी नन्हीं मुट्ठी से, हम टाफी खाया करते थे !

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद ! आदरणीय सतीश जी . आभार . अपनी कविता की पंक्तियों के माध्यम से आपने भी बचपन की स्मृतियों को संजोया है .

      Delete
  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट
    हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल {बृहस्पतिवार} 12/09/2013 को क्या बतलाऊँ अपना परिचय - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004 पर लिंक की गयी है ,
    ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें. कृपया आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा

    ReplyDelete
  17. यादें....हमरे जीवन भर की पूँजी.....समय बदल जाता है ...लोग बदल जाते हैं...लेकिन ..वह तो अपनी मिलकियत होती हैं...

    ReplyDelete
  18. ये यादें ही खजाना हैं...

    ReplyDelete
  19. बचपन की ये यादें तो अनमोल खजा़ना होती है,आज मेरे बच्चों के बचपन को देखती हुँ तो गुमान हो आता है अपने बचपन पर......और बच्चे कहते है कि कितना बोरिंग था आपका बचपन बिना गैजेट्स की दुनियां के । मन मायुस हो जाता है,कितने अनजान है वो असली खुशी से......बहुत बढ़िया लेख, मैं भी जी आयी आज मेरा बचपन

    ReplyDelete

  20. बचपन की यादें एक मधुर स्मृति है ,अमृत पान जैसा
    latest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)

    ReplyDelete
  21. बचपन की यादें हम कभी नही भूलते। यही हमारे अंदर एक छोटा बच्चा बनाये रखती हैं।

    ReplyDelete
  22. सादर धन्यवाद ! जी बिल्कुल सही कहा यही हमारे अंदर एक छोटा बच्चा बनाये रखती है . आभार .

    ReplyDelete