Friday, November 1, 2013

दीप एक : रंग अनेक












हमारी भारतीय मनीषा प्रकाशोन्मुखी है.प्रकाशधर्मी देवता और ज्ञानरूपी प्रकाश का ही प्रतीक है – हमारा दीपक यानि चिराग.अप्रतिम सौंदर्य और तेज की कल्पना हम दीपक से करते हैं.दीपक हमारी जन जागृति का प्रतीक है.

भारत ही दुनियां का एकमात्र देश है जिसने त्योहारों और पर्वों की अपनी कालजयी परंपरा में दीप की बाती गूंथकर प्रकाश की वंदना,आवाहन और पूजन को अपने धार्मिक,सांस्कृतिक जीवन में सर्वोच्च सत्ता प्रदान की है.

भारतीय कवियों और शायरों ने दीपक के संबंध में अपने – अपने नजरिये से अलग –अलग भाव व्यक्त किये हैं.छोटे से दीपक ने महान कवियों,साहित्यकारों,शायरों को प्रेरित किया है.संस्कृत के महाकवि कालीदास ने कहा है कि आँखें होते हुए भी अंधकार में दीपक के बिना नहीं देखा जा सकता है.

दृश्यं तमसि न पश्यति,दीपने बिना सचच्छुरपि

जगत् जननी सीता की सुन्दरता इतनी है मानो छवि के गृह में दीपशिखा जल रही हो.तुलसीदास लिखते हैं ........

सुंदरता कहूँ सुंदर करई,छवि गृह दीपशिखा जनु बरई 

दूसरी ओर तुलसीदास युवती के तन को दीपशिखा की की तरह बताते हुए आगाह करते हैं कि इस दीपशिखा सम तन पर पतिंगे मत बनिए......

दीप शिखा सम युवती तन,मन जनि होसि पतंग

संत कवि सूरदास प्रभु को दीपक बनाते हैं और स्वयं उनकी बाती बनते हैं क्योंकि बाती ही तो जलती है.वे कहते हैं .....

प्रभु जी तुम दीपक,हम बाती

भक्त कवियित्री मीराबाई अपना अलग दीपक जला रही हैं,वे लिखती हैं.......

सूरत निरत दिवला संजो ले
मनसा की कर ले बाती

संत कबीरदास ने दीपक के प्रकाश में उस अल्ला का नूर देखा है,जिसने सारे अंधकार मिटा दिया हैं....

अव्वल अल्ला नूर उपाया,कुदरत के सब बन्दे
एक नूर ते जग उपजाया,कौन भले को मंदे

एक अन्य जगह कबीर दास कहते हैं कि .....

“सब अँधियारा मिट गया,जब दीपक देख्या मांहि |”

कवि रहीम ने दीपक की उपमा कपूत से दी है.दीपक जलाने पर उजेला देता है और बढ़ाने पर अँधेरा करता है,उसी प्रकार कपूत बचपन में अच्छा लगता है अरे बड़े होने पर काली करतूतें करता है.......

जो रहीम गति दीप की,कूल कपूत गति सोय
बारौ उजियारों करे,बढ़ै अंधेरो होय

रीतिकालीन कवि बिहारी ने दीपक को बिना हाथ का बताकर उसकी मानसिक परेशानी की ओर इशारा किया है.नयी वधू अपने आँचल में दीपक छिपाए जा रही है.हाथ न होने से दीपक की परेशानी कोई भी महसूस कर सकता है,उसका सर धुनना तो वाजिब है ही ......

दीपक हिये छिपाय,नवल वधू घर लै चली
कर विहीन पछिताय,कुच लखि निज सीसे धुनें

उधर रीतिकालीन कवि मतिराम ने एक चंद्रमुखी को जिसने नंदलाल की रूप सुधा पी ली है उसे पवन रहित निवास में जलती हुई गुपचुप शिखा-सी बताया है.......

चंद्रमुखी न हिलै,न चलै
निरवात निवास में दीप शिखा सी

छायावादी कवियित्री महादेवी वर्मा ने अपने प्राणों का दीप जलाकर दीपावली मनाई है......

अपने इस सूनेपन की मैं रानी मतवाली
प्राणों का दीप जलाकर,करती रहती दीवाली

एक दार्शनिक कवि ने दीपक में ईश्वर का अंश,खुदा का नूर बताया है ......

नूरे खुदा है कुफ़ की हरकत पै खंदाजन
फूकों से ये चिराग बुझाया न जाएगा

उर्दू के शायरों ने दीपक को अलग नजरिये से देखा है.उर्दू में दीपक को चिराग या शमा कहा जाता है.जोश मलीहाबादी का कहना है .....

जल बुझा वो शमां पर,मैं मर मिटा इस रश्क से
मौत परवाने की थी,या मौत का परवाना था

प्रसिद्द शायर बहादुरशाह जफ़र का शमा और परवाने के परस्पर संबंधों पर नज़र गौर कीजिए.....

जिस तरह से शम्अ पर परवाना होता है फ़िदा
उस तरह से शम्अ उसके रुख पै परवाना रहे

फ़िराक गोरखपुरी का मन प्रसन्न है. वे अपनी नायिका की मुस्कराहट में मंदिर के दीपक की झिलमिलाहट देखते हैं....

ये फूट रही झिलमिलाहट की किरण
मंदिर में चिराग झिलमिलाए जैसे

दाग़ साहब की नायिका के रोशन कपोल और उधर जलती शमा में मुकाबला है,वे देखना चाहते हैं कि परवाना किधर आकृष्ट होता है ......

रूखे रोशन के आगे,शमा रखकर वो ये कहते हैं
उधर जाता है देखें,या इधर परवाना जाता है

गजलकार दुष्यंत कुमार आज के हालातों पर चिंतित है कि कहाँ तो हर घर के लिए दीपक होना था,वहीँ शहर भर के लिए चिराग नहीं है......

कहाँ तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए
कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए

शायर वसीम ,मुहब्बत की शमा के लिए लिखते हैं कि ये शमा एक बार ठंढी हो जाने पर नहीं जलती हैं .....

ठंढी हुई जो शम्ऐ-मुहब्बत इक बार
वो फिर न जली,फिर न जली,फिर न जली

मोहसिन जैदी का मानना है कि वक्त की तेज हवा में दीपक भी कब तक जलता?

जलता कब तक वह,इक दिया आख़िर
तेज थी वक्त की हवा आख़िर

जौक साहब शमा को संबोधित करते हुए जीवन दर्शन की ओर इशारा करते हैं कि जीवन थोड़ा है, चाहे हंसकर गुजारिए या रोकर ....

ऐ शम्मा ? तेरी उम्रे – तवीई है एक रात
हंसकर गुजार या इसे रोकर गुजार दे

शायर सोहरवर्दी का नजरिया दीपक के संबंध में अलग ही है.उनका कहना है कि हम दीपक को बुझाने से बचाते हैं और वही हमारा दामन जला देता है ......

मैंने जिसको दूर रक्खा,आँधियों के वार से
उस दिये की लौ से दिल के,साज का दामन जला

एक उर्दू शायर ने अपनी प्रियतमा का हाथ अपने हाथ में जैसे ही लिया,रात में चिराग रोशन हो उठे......

मुझे सहज हो गयी मंजिल,हवा के रुख बदल गये
तेरे हाथ में हाथ आया,कि चिराग रात में जल उठे

एक लोक गीत में दीपक के प्रति एक अलग नजरिया देखा गया है.लोक गीतकार की मान्यता है कि दीपक में तो तेल और बाती जलती है,जबकि नाम दीपक का होता है......

तेल जले,बाती जले,नाम दिया कौ होय
लरका खेलें यार के,नाम पिया कौ होय

बेचारे दीपक की किस्मत ही ऐसी है कि कुछ लोग आलोचना करते हैं तो कुछ तारीफ़.उसे तो जलना और प्रकाश फैलाना है ......

क्या बताएं हम तुम्हें शम्मा की किस्मत
जलने के सिवा उसे रखा ही क्या है ?

दीपावली के दीप से यही आशा है कि वह अँधेरे को मिटा दे और सब जगह प्रकाश भर दे......

दीपावली के दीप जरा कुछ ऐसे जल
घर – घर पहुंचे किरण,अँधेरा गल जाए 

59 comments:

  1. बहुत सुंदर व्याख्या !

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    1. सादर धन्यवाद ! आ. सुशील जी . आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  2. अति सुंदर... सादर।

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  3. विविध रंग के दीप ये, फैला धवल प्रकाश |
    लोचन दो राजीव में, जगा रहे हैं आस ||

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    1. सादर धन्यवाद ! आ. रविकर जी . आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  4. बढ़िया प्रस्तुति सर।।
    धनतेरस और दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ।।

    नई कड़ियाँ : भारतीय क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान - कर्नल सी. के. नायडू

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  5. दीप के अनेक रंगों को एक सुन्दर रंगोली सजाई है आपने ...
    दीप पर्व की हार्दिक शुभकामाएं!

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  6. आपने इस जानकारी को एकत्रित कर हमसे साझा किया आपका आभार,सुन्दर व्याख्या।

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  7. क्या बात है। शोधपरक लेख के लिए बधाई और दीपोत्सव की शुभकामनाएं।

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  8. बहुत बढ़िया राजीव भाई , धनतेरस व दीपावली की शुभकामनाएँ
    नया प्रकाशन --: 8in1 प्लेयर डाउनलोड करें

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    1. सादर धन्यवाद ! आशीष भाई , आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  9. बहुत अच्‍छा। दीवाली के दीपक का अच्‍छा विस्‍तृत सन्‍दर्भ प्रस्‍तुत किया है।

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  10. Replies
    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  11. बहुत बढ़िया व्याख्या |

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  12. छोटी दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  13. खुबसूरत अभिवयक्ति...... शुभ दीपावली

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  14. सुन्दर प्रस्तुति………

    काश
    जला पाती एक दीप ऐसा
    जो सबका विवेक हो जाता रौशन
    और
    सार्थकता पा जाता दीपोत्सव

    दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो ……

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  15. दीप पर्व आपको सपरिवार शुभ हो !

    कल 03/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  16. !! प्रकाश का विस्तार हृदय आँगन छा गया !!
    !! उत्साह उल्लास का पर्व देखो आ गया !!
    दीपोत्सव की शुभकामनायें !!

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    1. सादर धन्यवाद ! मुकेश जी . आभार.
      आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  17. सादर धन्यवाद ! आदरणीय शास्त्री जी . आभार.
    आपको भी और आपके पूरे परिवार को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  18. सादर धन्यवाद ! आभार .
    दीपोत्सव की मंगल कामनाएं !!

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  19. बहुत सुन्दर और नायाब प्रस्तुति.
    एक नए अंदाज़ में अनेक कवियों की लेखनी से दीपक के उजाले आदि के बारे में जाना .
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ .

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगलकामनाएँ.

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  20. दीपक को प्रतीक बनाकर बहुत सुंदर रचना .
    दीपावली की शुभकामनाएँ.

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  21. शानदार सामयिक प्रस्तुति...दीपावली की शुभकामनायें...
    नयी पोस्ट@जब भी जली है बहू जली है

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगलकामनाएँ.

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  22. उत्सव त्रयी मुबारक।बहुत खूब अपनी संस्कृति और परम्परा तथा सीख को दीपक के माध्यम से अभिव्यक्ति दी है इस पोस्ट ने।
    नूरे खुदा है कुफ़ की हरकत पै खंदाजन
    फूकों से ये चिराग बुझाया न जाएगा

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगलकामनाएँ.

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  23. बहुत सुंदर रचना !
    दीपावली की शुभकामनाएँ !!

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगलकामनाएँ.

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  24. ज़बर्दस्त संकलन. दीवाली की शुभकामनाएँ

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगलकामनाएँ.

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  25. बहुत सुंदर !!आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामना !!

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  26. bahut badiya collection taiyaar kiya hai aapne paathakon ke liye .. aur har ukti apne aap mein sampoorn hai

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  27. बहुत बढिया प्रस्तुति। आपने तो दीप के बारे में संतों और कवियों का सम्मेलन करवा दिया।
    जैसे मंदिर में कोई जलता दिया।

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      दीपोत्सव की मंगलकामनाएँ.

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  28. Bahut hii acchi lights details Rajeev Kumar ji !!

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  29. बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें!

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      शुभकामनाएँ !

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  30. महान कवियों की पंक्तियाँ ,ज्ञान दीप जला गयी ,सुन्दर प्रस्तुति बधाई हो

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      शुभकामनाएँ !

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  31. सादर धन्यवाद ! आभार .
    शुभकामनाएँ !

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  32. वाह लाजवाब दीप संकलन .. कितने कितने विचार ... जुदा जुदा पर दीप के महत्त्व को लिए ..

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    1. सादर धन्यवाद ! आभार .
      शुभकामनाएँ !

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