इन दिनों विभिन्न चैनलों पर
विषकन्या की खूब चर्चा है.पिछले दिनों वायु सेना कर्मी रंजीत की जासूसी के आरोप
में गिरफ्तारी और उस पर विषकन्या के प्रभाव और धन के लोभ के आरोपों ने सरकार को
इनसे सचेत रहने के लिए डोजियर जारी करने पर मजबूर कर दिया है.
विषकन्या का प्रयोग भारत
जैसे देशों के लिए नया नहीं है.भारतीय विषकन्याएं पश्चिम दुनियां के लिए एक अजूबा
रही हैं.सिकंदर महान की हत्या की चेष्टा भारतीयों ने एक विषकन्या द्वारा करनी चाही
थी,यह इतिहास प्रमाणित घटना है.
बारहवीं शताब्दी में रचित ‘कथासरितसागर’
में विष-कन्या के अस्तिव का प्रमाण मिलता है.सातवीं सदी के नाटक ‘मुद्राराक्षस’
में भी विषकन्या का वर्णन है कि परिशिष्ट पर्वन की विषकन्या नंद द्वारा पालित
थी.इस विषकन्या का पर्वत्तक ने आलिंगन किया था जिससे उसके शरीर के उत्ताप से
पर्वत्तक की यंत्रणा दायक मृत्यु हुई.’शुभवाहुउत्तरी कथा’ नामक संस्कृत ग्रंथ की
राजकन्या कामसुंदरी भी एक विषकन्या थी.
शिशु कन्या को तिल-तिल कर
विष चटा कर किस तरह विषकन्या के रूप में परिवर्तित किया जाता था,इसका विवरण किसी
ग्रन्थ में नहीं पाया जाता.विषकन्याएं राजा और मंत्री की इच्छा को पूर्ण करने के
लिए बनायी जाती थी.रूपवती नवयुवती को अस्त्र बना कर शत्रु को समाप्त करने के लिए
विषकन्याओं का उपयोग किया जाता था.
शिशु उम्र से ही कुछ कन्याओं को विषैला पदार्थ
का सेवन कराकर,धीरे-धीरे उसकी मात्रा बढ़ाकर,उन्हें बड़ा किया जाता था.अधिकतर की तो
कुछ ही दिनों में मृत्यु हो जाती थी और जो एक दो बच जाती थीं उन्हें किसी
महत्वपूर्ण व्यक्ति की हत्या करने के लिए सुरक्षित रखा जाता था.
रूपसी की दृष्टि पुरुष के
मन को आकुल कर देती थी.संस्कृत साहित्य में ऐसी नायिकाओं का वर्णन है,जिसके दर्शन
से मनुष्य उन्माद की अवस्था में पहुंच जाता था और तब विषाद से ग्रस्त हो मरणासन्न
हो अंततः मृत्यु को प्राप्त हो जाता था.
यह भी सवाल उठता रहा है कि
क्या विषपुरुष भी होते थे.पुरुष शासित समाज में सभी अधिकार पुरुषों के हाथ में भी
रहे हैं.फिर भी कुछ विष पुरुष भी हुए हैं.
सोलहवीं शतब्दी में गुजरात
का सुल्तान महमूद शाह भारत में एक विख्यात शासक हुआ है.विदेशी यात्रियों ने इस
सुल्तान का जिक्र यात्रा वृत्तांतों में किया है.ऐसे ही एक यात्री भारथेमा ने लिखा
है,महमूद के पिता ने कम उम्र से ही उसे विष खिलाना शुरू कर दिया था ताकि शत्रु उस
पर विष का प्रयोग कर उस पर नुकसान न पहुंचा सके.वह विचित्र किस्म के विषों का सेवन
करता था.वह पान चबा कर उसकी पीक किसी व्यक्ति के शरीर पर फेंक देता था तो उस
व्यक्ति की मृत्यु सुनिश्चित ही हो जाती थी.
एक अन्य यात्री वारवोसा ने
भी भी लिखा है कि सुल्तान महमूद के साथ रहने वाली युवती की मृत्यु निश्चित
थी.महमूद अफीम खाता था.अफीम में गुण-दोष दोनों मौजूद होते हैं.जहां एक और यह विष
है,वहीँ दूसरी ओर इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता रहा है.
सवाल यह भी उठता है कि क्या
अफीम खाकर कोई व्यक्ति विष पुरुष या विष कन्या बन सकती है? अधिक अफीम खाने से मौत
हो सकती है,लेकिन थोड़ा-थोड़ा खाकर इसे हजम किया जा सकता है.लेकिन इससे कोई विष
पुरुष नहीं बन सकता.गुजरात का सुल्तान महमूद शाह जनसाधारण में विष-पुरुष के रूप
में चर्चित रहा था.
इतिहास में दूसरे विष-पुरुष
के रूप में नादिरशाह का नाम आता है.कहा जाता है कि उसके निःश्वास में ही विष
था.विषकन्याओं की तरह विष-पुरुष इतने प्रसिद्ध नहीं हुए.क्योंकि,शत्रु की हत्या के
लिए विष-पुरुष कारगर अस्त्र नहीं थे.
रोचक !
ReplyDeleteVery interesting!
ReplyDeleteरोचक प्रसंग बताये हैं आपने राजीव जी ! लेकिन यहां सम्राट अशोक के पिता सम्राट बिन्दुसार का भी जिक्र होना चाहिए थे जिन्हे चाणक्य ने विष की हलकी हल्की खुराक देकर विष के प्रभाव को निष्क्रिय करने लायक बना दिया था !!
ReplyDeleteसादर आभार !
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन और कमलेश्वर में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद !
Deleteअच्छी जानकारी। मैंनें विषकन्याओं के बारे में तो सुना था। पर आज विषपुरूषोंं के बारे में भी जानने का मौका मिला। धन्यवाद।
ReplyDeleteरोचक जानकारी ....
ReplyDeleteसुंदर और रोचक
ReplyDeleterochak hai badhai
ReplyDeleteराजीव जी आपने इस लेख में बहुत ही सरलता व स्पष्ट रूप से विषकन्या का वर्णन किया और यह भी बताया कि आख़िरकार विषकन्याओं का वास्तविक कार्य क्या होता है .....आपकी इस रचना के लिए बधाई......ऐसी रचनाओं को अब आप शब्दनगरी पर भी प्रकाशित कर सकतें है तथा अन्य लेखकों के लेखों का आनंद भी प्राप्त कर सकतें हैं......
ReplyDeletePart time home based job, without investment "NO REGISTERTION FEES " Earn daily 400-500 by working 2 hour per day For all male and female more information write "JOIN" And Whatsapp us on this no. 9855933410
ReplyDeleteरोचक लेख।
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