एक लेखक का ख़ामोशी से जाना और कोई खबर नहीं बनना साहित्यिक
जगत के लिए कोई नया नहीं है.पहले भी ऐसा कई बार हुआ है.साहित्यिक जगत तो फिर भी
उसे लेखक मानने को तैयार न था.साहित्यिक जगत ने ही मेरठ से एक बड़ी तादाद में छपने
वाले लेखकों और उपन्यासकारों की लेखनी को लुगदी साहित्य से नवाजा था.कारण इस तरह
के लेखकों का साहित्य बेकार और रद्दी के कागजों,जिसे लुगदी कहा जाता था,पर छापा
जाता था.
इम्तिहान के बाद के खाली समयों को उन दिनों इसी लुगदी
साहित्य ने भरा था.कर्नल रंजीत तो फिर भी पुराने हो चुके थे लेकिन वेद प्रकाश
शर्मा उन दिनों लिखना शुरू कर रहे थे.पहली बार उनका उपन्यास ‘अल्फांसे की शादी’
पढ़ा था.फिर एक बार जो पढ़ने का चस्का लगा तो उनके कई उपन्यास पढ़ डाले.'कैदी न. 100',’दहेज़ में
रिवाल्वर’,’वर्दी वाला गुंडा’ तो काफी चर्चित हुआ.उन दिनों वेद प्रकाश शर्मा के
अलावा वेद प्रकाश कम्बोज,कर्नल रंजीत,सुरेन्द्र मोहन पाठक का भी जासूसी उपन्यास
में बोलबाला था.
रहस्य,रोमांच भरे जासूसी उपन्यासों में वेद प्रकाश शर्मा का
कोई जवाब नहीं था.देशी,विदेशी किरदार,परत दर परत खुलते राज,पाठकों को बांधे रखते
थे.उन दिनों ये उपन्यास दो-तीन रूपये के किराए पर भी मिल जाते थे.हममें से बहुत से
पाठकों ने इसी तरह उनके उपन्यासों को पढ़ा था. वेद प्रकाश शर्मा ने तकरीबन 176
उपन्यास लिखे और कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट भी लिखी.
उस दौर के उपन्यासकारों में जासूसी के अलावा रूमानी लेखकों
का भी जलवा था.रानू,गुलशन नंदा से लेकर अन्य कई लेखकों ने पाठकों के दिलों में जगह
बनायी.
समय बदला और लोगों की रूचि भी बदली. लोग अब नफासत पसंद
लेखकों की बिरादरी की किताबों को ढूँढ़ने लगे थे.अब नाम ही काफी होता था,चाहे
किताबें कैसी भी हों.इसी क्रम में हम सबने भी कई देशी,विदेशी लेखकों को पढ़ा.चेतन
भगत से लेकर पाउलो कोएलो तक को खूब पढ़ा.चेतन भगत अब उत्सुकता नहीं जगाते.उनका
नवीनतम उपन्यास ‘वन इंडियन गर्ल’ पिछले दो महीने से ज्यों का त्यों रखा है लेकिन
अभी तक पढ़ने की इच्छा नहीं हुई.आज के दौर के कई लेखक बेस्टसेलर भले ही हों लेकिन
आम लोगों की नब्ज पकड़ने में माहिर नहीं लगते.
अब भले जासूसी उपन्यासों का क्रेज ख़त्म हो चुका हो लेकिन
अपने देश में जासूसी उपन्यासों की एक लंबी परंपरा रही है.इब्ने शफी,बी.ए. से लेकर
वेद प्रकाश शर्मा तक लेखकों की एक कतार रही है और इस विधा के माहिर रहे हैं.लेकिन बदलते
समय के साथ पढ़ने को लेकर भी लोगों की रुचियाँ बदली हैं और लोग अब गंभीर किस्म के
साहित्य को या ज्यादा नामी-गिरामी लेखकों
को पढ़ने में ज्यादा रूचि लेने लगे हैं.
साहित्य भले ही बदल गया हो और अब गंभीर किस्म के साहित्य को
ज्यादा तवज्जो मिलने लगा हो लेकिन पढ़ने के शुरूआती दौर के लोकप्रिय उपन्यासकार हमेशा हम जैसे पाठकों के जेहन में रहेंगे.
श्रद्धांजलि ।
ReplyDeleteवेद प्रकाश जी अपने समय के बेहतरीन उपन्यास लिखने वालों में जाने जाते थे भले उनके उपन्यास साहित्य की विधा में शामिल न रहे हों लेकिन आमजन की जुबान तक जरूर पहुंच गया था ! श्रधांजलि
ReplyDeleteवेदप्रकाश जी भले ही साहित्यकार न माने जाते हों, लेकिन फिर भी वे एक अति सफल लेखक थे!
ReplyDeleteश्रद्धांजलि!!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "फ़ाइल ट्रांसफर - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसादर आभार.
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-02-2017) को
ReplyDelete"गधों का गधा संसार" (चर्चा अंक-2598)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सादर धन्यवाद.
DeleteBhut kubh keep visiting
ReplyDeleteश्रद्धांजली। आपने सही कहा कि अब जासूसी के उपन्यास कम पढ़े जाते हैं।आज के युवा के पास काफी विकल्प है। वेद जी कुछ उपन्यास मैंने पढ़े हैं और कुछ पढने हैं। उनकी लिखने अपनी विधा थी।
ReplyDeleteआज जब साहित्यकार खुद की महिमा मंडान में व्यस्त हैं ... राजनीति में उलझे हुए हैं ... उन्हें कहाँ फुर्सत है की इस महान लिखने वाले को याद भी करें ... मेरी तो शायद ही कोई ट्रेन यात्रा ऐसी होती थी वो वेड प्रकाश के नावल के बिना पूरी हुयी हो ... नमन है मेरा ...
ReplyDeleteलोग याद नहीं करते परन्तु एक लेखक अपने अनुसरणीय लेखक को भुला नहीं सकता ।यादों को सबको याद दिलाना........
ReplyDeleteबेहतरीन रचना।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... शानदार पोस्ट .... Nice article with awesome depiction!! :) :)
ReplyDeleteवेद प्रकाश शर्मा बहुत ही अच्छे लेखक थे। उनका उपन्यास वर्दी वाला गुंडा मैने पढ़ा था। यह मेरा पसंदीदा उपन्यस है। सच कहा आपने लेखक के जाने का क्या मतलब होता है। यह आपसे बेहतर और कौन समझा सकता था।
ReplyDeleteसाथॆक प्रस्तुतिकरण......
ReplyDeleteमेरे ब्लाॅग की नयी पोस्ट पर आपके विचारों की प्रतीक्षा....
Very informative, keep posting such good articles, it really helps to know about things.
ReplyDeleteधन्यवाद! इस तरह के एक महान लेख को साझा करने के लिए, यह एक अद्भुत लेख रहा है।
ReplyDeleteयह बहुत सारी जानकारी प्रदान करता है, मुझे इसे पढ़ने में बहुत मजा आया।
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मुझे आशा है, मुझे आपकी ओर से नियमित रूप से इस प्रकार की जानकारी मिलेगी।
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स्रोत: WWE
कीवर्ड: कुश्ती समाचार