स्ट्राउड
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व्यक्तियों के जीवन में कई पल ऐसे भी आते हैं जहाँ से उसके
जीवन की दिशा ही बदल जाती है.ऐसा कई प्रमुख और नामचीन व्यक्तियों के साथ हुआ है.अमेरिका
के सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी का एक छोटा सा द्वीप ‘अलकेटराज’ जो बंद मुट्ठी के आकर
का है,पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है .इसका स्पेनी भाषा में अर्थ है-सारस. पहले
यहाँ एक कारागार हुआ करता था जिसमें खतरनाक बंदी रखे जाते थे.
यहाँ बंद कई खतरनाक कैदियों ने 2 मई 1946 को विद्रोह कर
दिया.कुछ बंदियों ने पहरेदारों पर आक्रमण कर उसे बंदी बना लिया और उससे चाबियाँ
छीन कर अपने साथियों को छुड़ा लिया.लेकिन एक बंदी ऐसा भी था जिसने जिसने इस विद्रोह
में भाग लेने से इनकार कर दिया.ऊँचे-पूरे हरी आँखों वाले इस 56 वर्षीय बंदी का नाम
था – रॉबर्ट एफ. स्ट्राउड.
अलकेटराज का कारागार |
स्ट्राउड को एक झगड़े मेंएक व्यक्ति को गोली मार देने के
आरोप में बारह वर्ष के कैद की सजा हुई थी.जब वह कनास के लेनवर्थ कारागार में बंदी था तो वहां के क्रूर पहरेदार को चाकू
मारकर हत्या करने के आरोप में फांसी की सजा पाकर अपने जीवन के अंतिम दिन गिन रहा
था.बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विलसन ने उसके प्राणदंड को आजीवन कारावास में
बदल दिया था.इस तरह स्ट्राउड मौत के मुंह में जाते-जाते जीवन की बांहों में लौट
आया था.
जीवनदान मिलने के बाद स्ट्राउड ने आत्मचिंतन किया और पाया
कि अपने क्रूर और शराबी पिता के कारण ही वह चिड़चिड़ा और आक्रामक बन गया था.उसकी मां
के साथ विश्वासघात कर उसके पिता ने उन दोनों को छोड़ दिया था. स्ट्राउड ने अब भले
व्यक्तियों की भांति जीवन बिताने का निश्चय किया .वह अपनी कोठरी में ग्रीटिंग
कार्ड चित्रित करता और मां के माध्यम से बाजार में बिकने के लिए भेज देता.
अचानक 1920 में उसके जीवन में एक परिवर्तन आया. स्ट्राउड ने
देखा कि व्यायाम के लिए बने अहाते में चिड़ियों का एक घोंसला है,जिसमें नन्हें
नन्हें बीमार बच्चे हैं. स्ट्राउड उन बीमार बच्चों को अपनी कोठरी मरण ले आया और
शाकाहारी सूप में ब्रेड के टुकड़े-टुकड़े भिगो-भिगो कर उन्हें खिलने लगा.शीघ्र ही ये
बच्चे स्वस्थ हो गए.
स्ट्राउड के जीवन को अब एक नयी दिशा मिल गयी.उसने कारागार
के पुस्तकालय में उपलब्ध पक्षियों की आदतों से संबंधित पुस्तकों को पढ़ना शुरू
किया.वह चोरी छिपे कुछ अपनी कोठरी मरण कुछ पक्षी भी ले आता. धीरे – धीरे पक्षियों
के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ता गया.अब वह बीमार पक्षियों की चिकित्सा करने में भी
दक्ष हो गया.धीरे-धीरे उसकी कोठरी ‘पक्षियों का अस्पताल ही बन गया.
स्ट्राउड की किताब |
जेल अधिकारियों ने भी उसे प्रोत्साहित किया और इसी के
फलस्वरूप स्ट्राउड पक्षियों के संबंध में एक ज्ञानवर्द्धक पुस्तक लिखने में भी सफल
हुआ.1943 में प्रकाशित उसकी इस पुस्तक का नाम था ‘डाईजेस्ट ऑन दी डिसिसेस ऑफ़ बर्ड्स’.इसमें उसके द्वारा बनाए गए पक्षियों के चित्र भी
थे.समय बीते के साथ ही स्ट्राउड की ख्याति पक्षी विशेषज्ञ के रूप में होती गयी.एक
दिन ‘अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन’ के प्रमुख एक्गर हूवर ने उससे
मुलाकात की और अपनी मां को भेंट देने के लिए पक्षी का एक चित्र भी खरीदा.
स्ट्राउड का जीवन शांति पूर्वक बीत रहा था,तभी कारागार में
अन्य बंदियों के विद्रोह के दौरान उसने बंदियों को समझाने की कोशिश की एवं घायल
बंदियों की सेवा भी की .
कारागार में ही 1963 में स्ट्राउड की की मृत्यु हो गयी
.परिस्थितिवश स्ट्राउड से कुछ गलतियाँ हुई थी लेकिन विवेक ने उसका साथ नहीं
छोड़ा,इसलिए कारागार में रहते हुए भी उसके जीवन को एक नई दिशा मिल गयी.
बहुत सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (11-10-2017) को
ReplyDeleteहोय अटल अहिवात, कहे ध्रुव-तारा अभिमुख; चर्चामंच 2754
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार.
Deleteबहुत सुंदर एवं प्रेरक रचना राजीव जी।
ReplyDeleteप्रभावशाली एवं प्रेरक प्रस्तुति राजीव जी।
ReplyDeleteनमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 12-10-2017 को प्रकाशनार्थ 818 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद !
Deleteआदरणीय राजीव जी --- आज ही 'देहात ' से ईमेल के जरिये जुडी हूँ और आज ही ये सुन्दर प्रेरक रचना पढने को मिली | सचमुच पता नहीं कौन सी घटना मनुष्य को कब बदल दे | स्ट्राउड का जीवन बहुत प्रेरक है | इतनी अच्छी जानकारी के लिए आपका आभार और हार्दिक शुभकामना |
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसादर आभार.
Deleteसुंदर पोस्ट
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक लेख .
ReplyDeleteबहुत रोचक पोस्ट..
ReplyDeleteBahut rochak evam prerak!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteVery attention-grabbing diary. lots of blogs I see recently do not extremely give something that attract others, however i am most positively fascinated by this one. simply thought that i'd post and allow you to apprehend.
ReplyDeleteप्रेरणा का स्त्रोत है ये आलेख ... जीवन के अनेक पल व्यक्ति की दिशा बदल देते हैं इसलिए आशावादी हमेशा उस एक पल के जीते हैं ... और इश्वर वो एक पल जरूर लाता है उनके जीवन में ...
ReplyDeleteNice post, things explained in details. Thank You.
ReplyDeletePrerak hai article
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