बरसों पहले दूरदर्शन पर प्रसारित अत्यंत चर्चित धारावाहिक "फिर वही तलाश है " के पात्र एवं चन्दन दास की खूबसूरत गजलें आज भी लोगों के जेहन में हैं. इसके सम्बन्ध में और जानकारी जुटानी चाही तो कई लोगों के पोस्ट और इस धारावाहिक के लेखक एवम निर्देशक लेख टंडन एवं अदाकारा पूनम रेहानी(अब, पूनम सरीन) के पोस्ट से पता चला कि इसके टेप शायद दूरदर्शन के पास सुरक्षित नहीं हैं .इसकी खूबसूरत गजलें 'मेरे हमसफ़र मेरे साथ तुम,सभी मौसमों में रहा करो' एवं 'कहीं हादसों की डगर मिले,कहीं मुश्किलों का सफ़र मिले' भी उपलब्ध नहीं हैं.
इसी धारावाहिक में चन्दन दास की शीर्षक गज़ल बहुत मनमोहक है ...............
कही हादसों की डगर मिले
कही मुश्किलों का सफ़र मिलेये चराग हैं मेरी राह के
मुझे मंजिलों की तलाश है
है कोई सफ़र में जो साथ दे
मैं रुकूँ
जहाँ कोई हाथ देमेरी मंजिलें अभी दूर हैं
मुझे रास्तो की तलाश है
मै उदास रस्ता हूँ शमा का
तेरी आहटों की तलाश है
ये सितारे हैं सब बुझे बुझे
मुझे जुगनुओं की तलाश है
वो जो एक दरिया था आग का
सभी रास्तों से गुजर गयामुझे कबसे रेत के शहर में
नयी बस्तियों की तलाश है
मेरी मंजिले अभी दूर हैं
मुझे रास्तों की तलाश है