
कहा जाता है कि किसी भी समाज की संस्कृति,रीति-रिवाज,धर्म,दर्शन का व्यापक प्रभाव उस समाज के लेखकों,चित्रकारों,कलाकारों,फिल्मों पर भी पड़ता है.कई लेखकों की लेखनी,चित्रकारों के चित्रों,फिल्मकारों की फिल्मों में उनका व्यापक नजरिया सामने आता है जो कहीं न कहीं उसके अपने समाज से भी प्रभावित होता है.पाओलो कोएलो को भी पढ़ने पर ऐसा ही महसूस होता है.
ब्राजीलियन लेखक पाओलो कोएलो
वैसे तो रहते रियो(रियो दि जेनेरियो) में हैं.लेकिन उनकी मातृभाषा पुर्तगाली
है.उनका अधिकांशतः लेखन इसी भाषा में हुआ है.उनकी लेखनी में उस समाज की प्रथा,
परंपरा, धर्म,प्रतीकों,जादू,रहस्यमयी ताकतें जैसे प्रतीकों का खुलकर प्रयोग होता
है.उनकी कई पुस्तकों में उनका दर्शन,विचार,इस्लाम,ईसाई धर्म के प्रतीक चिन्हों का प्रयोग
हुआ है.
कोएलो के अल्केमिस्ट को
उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति कहा जा सकता है जो उनकी सबसे अधिक भाषाओँ में अनुवादित कृति
भी है.अन्य कृतियों में जो हिंदी अनुवाद में उपलब्ध हैं,उनमें जाहिर,इलेवन
मिनट्स,पेड्रा नदी के किनारे,विजेता अकेला,पोर्ताब्लो की जादूगरनी,ब्रिडा प्रमुख
हैं.
अल्केमिस्ट सेंटियागो नाम के एक गड़ेरिये और उसके सपनों के हकीकत में में बदल जाने की संघर्षमयी दास्तान है.खजाने की तलाश में वह तमाम बाधाओं को पार कर मिस्त्र के पिरामिड तक जा पहुँचता है.बीच में मिस्त्र के रेगिस्तान को पार करने,शकुनों और ईश्वरीय संकेतों को समझने,कबीलाई संस्कृति और लड़ाईयां,कीमियागर से रोमांचक मुलाकात,कोएलो के विचार,दर्शन सब कुछ एक फंतासी सा लगता है.अल्केमिस्ट में कोएल्हो का एक विचार बार-बार कई पात्रों द्वारा दुहराया गया है जो इस पुस्तक का सूत्र वाक्य भी है.उनके शब्दों में “जब तुम सचमुच किसी वस्तु को पाना चाहते हो तो सम्पूर्ण सृष्टि उसकी प्राप्ति में मदद के लिए तुम्हारे लिए षड्यंत्र रचती है.”
जाहिर व्यावसायिक रूप से सफल एक लेखक की पत्नी के युद्ध
संवाददाता बनने और अचानक गायब हो जाने और उसकी तलाश में लेखक के अनेक देशों की
यात्राओं कई लोगों से मिलने,जिनमें मिखाइल नामक एक रहस्यमय व्यक्ति भी है.उसके
मिर्गी के दौरे,ईश्वरीय संकेतों के समझने,कहीं-कहीं फणीश्वर
नाथ रेणु के परती परिकथा की याद
दिलाते हैं.जहां गांवों-देहातों में इस तरह के चरित्रों की बहुतायत है.किसी ख़ास
दिन किसी औरत पर देवी की सवारी का आना और रहस्यमयी वार्तालाप,लोगों की शंकाओं का
समाधान धर्मभीरू लोगों के व्यवहार आदि को बखूबी चित्रित करते हैं.यहाँ कोएलो का
विचार और दर्शन साथ-साथ चलता है.ऐसे में कहानी धीमी पड़ जाती है और उनका दर्शन
कहानी पर भारी पड़ने लगता है.कहीं-कहीं यह बोझिल सा भी लगने लगता है.
इलेवन मिनट्स कोएलो की ख्याति के
अनुरूप कृति नहीं है.यह एक वेश्या मारिया की कहानी पर आधारित है.इसके शुरूआती
पन्ने शहरों के फुटपाथों पर बिकने वाले अश्लील साहित्य जैसे लगते हैं. ब्राजील के
गांवों का सामाजिक यथार्थ और रियो के चकाचौंध भरे जीवन,किशोरावस्था के सपने, गरीबी,वैभवपूर्ण
जीवन जीने की लालसा,भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए किया जाने वाला प्रयास शायद अतिरंजित
जैसा लगता है.कोएल्हो की कई पुस्तकों पर हॉलीवुड में फ़िल्में भी बनी हैं.लेकिन उनके
अन्य पुस्तकों में अल्केमिस्ट जैसा प्रभाव दिखाई नहीं पड़ता है.