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Friday, September 13, 2013

कितना चमत्कारी है : रुद्राक्ष

              

                                                          

पिछले कई दिनों से मोबाईल पर आ रहे एक संदेश ने चौंका दिया.संदेश था,यदि आप रुद्राक्ष खरीदना चाहते हैं  तो इस नंबर पर संपर्क करें.चूँकि, इस तरह के संदेश हमेशा आते ही रहते हैं एवं घर में पहले से ही रुद्राक्ष की एक माला पूजाघर में रखी हुई है ,जो शायद  बनारस से लायी गई थी,इसलिए इस संदेश का कोई जबाब नहीं दिया. लेकिन रुद्राक्ष के बढ़ते महत्व पर जरूर ध्यान गया.

यह निर्विवाद है कि रुद्राक्ष में कोई शक्ति अवश्य है ,तभी तो साधु -संतों और योगियों ने इसकी चमत्कारिक शक्ति से अभिभूत  होकर इसे अपनाया ,लेकिन वह शक्ति है कौन सी है, यह शोध का विषय है.

प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन मिलता है. भारतीय जन मानस में रुद्राक्ष के प्रति अनन्य श्रद्धा है. संस्कृत ,गुजराती ,हिंदी और मराठी एवं कन्नड़ में इसे रुद्राक्ष के नाम से जाना जाता है. लैटिन में इसे 'इलियोकार्पस  गैनीट्रस' कहा जाता है. रुद्राक्ष स्वाद में खट्टा ,रुचिवर्धक ,वायुकफ़ नाशक है. शहद के साथ घिसकर देने से यह मधुमेह में लाभ पहुंचाता है. गले  एवं हाथ में बांधने से यह रक्तचाप को नियंत्रित रखता है. सोने ,चांदी या ताम्बे के संसर्ग से इसके गुणों में वृद्धि होती है.

रुद्राक्ष के पेड़ एशिया खंड में विषुवत रेखा के प्रदेश ,प्रशांत महासागर के टापुओं एवं आस्ट्रेलिया के जंगलों में पाये जाते हैं. मलाया ,जावा ,सुमित्रा ,बोर्नियो में रुद्राक्ष के पेड़ बहुतायत से प्राप्त होते हैं. नेपाल,बर्मा(म्यांमार) में भी इसके पेड़ हैं. भारत में सह्याद्रि पर्वतमाला में कहीं -कहीं ये दृष्टिगोचर होते हैं.

रुद्राक्ष का पेड़ लगभग पचास -साठ फुट ऊँचा होता है,शाखाएं सीधी एवं लंबी होती हैं. पत्ते नागरबेल के पत्तों से मिलते -जुलते लंबवर्तुलाकार ,स्पर्श में कुछ रूक्ष होते हैं. पके पत्तों का रंग लाल होता है एवं फलों का गहरा आसमानी. फल पकने को आते हैं तब नीचे गिर जाते हैं. ऊपर का आवरण निकल देने पर अंदर से जो बीज निकलता है ,उसे ही रुद्राक्ष कहते हैं.

मुख्यतः इसकी दो जातियां होती हैं ,छोटे आकार में एवं बड़े आकार में,बेर की तरह. छोटे आकार के रुद्राक्ष की कीमत अधिक होती है.रुद्राक्ष के बीज पर लकीरें अंकित होती हैं ,जो सामान्यतः पांच होती हैं.  इन्हें रुद्राक्ष के मुखों के नाम से जाना जाता है. छोटे आकार के रुद्राक्ष पर ये लकीरें स्पष्ट नहीं होतीं.

एकमुखी रुद्राक्ष से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष तक का  वर्णन मिलता है. कहा जाता है कि कई प्रमुख हस्तियों  ने रुद्राक्ष  को धारण  करने के बाद अभूतपूर्व सफलता अर्जित की एवं उनका व्यक्तित्व भी प्रभावशाली बना.
एकमुखी रुद्राक्ष का मिलना बहुत कठिन है.

रुद्राक्ष की पहचान न होने से बहुत से लोग नकली रुद्राक्ष को ही असली समझ कर ले लेते हैं. बेर की गुठली को भी थोड़ा आकर - प्रकार  देकर रुद्राक्ष में खपा दिया जाता है. इसके अलावा रासायनिक मिश्रण से भी नकली रुद्राक्ष तैयार किया जाता  है.  भद्राक्ष नाम कफल और रुद्राक्ष में नाम के साथ -साथ रूप में भी साम्यता होने से लोग भद्राक्ष को भी रुद्राक्ष समझ लेते हैं. रुद्राक्ष की सामान्य पहचान यह है कि वह पानी में डूब जाता है. दो
ताम्बे की प्लेटों के बीच में रखने पर वह घूम जाता है.

रुद्राक्ष के 32 मनकों की माला गले में धारण करने पर सर्दी से दुखते गले को आराम मिलता है ,ज्वर आदि उतर जाता है. गले की अन्य बिमारियों एवं टॉन्सिल्स में भी लाभदायक माना जाता है. ऐसा लगता है कि साधु -संतों और योगियों ने इसकी चमत्कारिक शक्तियों के वशीभूत होकर ही इसे अपनाया था. रुद्राक्ष में या तो कोई  औषधीय गुण सन्निहित है ,या कोई अदृश्य एवं चुंबकीय शक्ति.लेकिन इनमें शक्ति विद्यमान है,यह अभी शोध का विषय है. लेकिन रुद्राक्ष में कोई  शक्ति अवश्य है,इससे इंकार नहीं किया जा सकता.