आज के इस युग में,विज्ञान के बढ़ते प्रभावों के बाद भी विश्व में मौजूद अंधविश्वास,जिसकी जड़ें काफी गहरी हैं,को खोजकर निकाल नहीं सके हैं.भारत ही नहीं,विश्व के कई विकसित देश बिल्ली को लेकर जन्मे अंधविश्वास को दूर नहीं कर सके हैं.आज बिल्ली विश्व की सर्वाधिक रहस्यमय प्राणी है.आम घरेलू पशुओं की तरह बिल्ली की गतिविधियाँ खुलेआम न होकर गोपनीय और रहस्यमय होती हैं.
सिर्फ भारतीय फ़िल्मी
दुनियां ही नहीं बल्कि हॉलीवुड की सभी डरावनी फिल्मों में बिल्ली का होना इस
अंधविश्वास को जिंदा रखने का काम करता है.रात के अंधेरे में सुनसान रास्तों पर चमकती
इसकी आँखें लोगों के डर का कारण बन जाती हैं.बिल्ली को लेकर कई प्रकार के
अंधविश्वास को जन्म देती किस्से-कहानियां इस समय विश्वभर में प्रचलित हैं.बिल्ली
की स्मृति में मंदिर तक बने हैं.
बिल्लियों को लेकर भारतीय
जनमानस में इस तरह के अंधविश्वास की घुट्टी शायद बचपन में ही पिला दी जाती है,तभी
तो व्यक्ति वयस्क एवं शिक्षित होकर भी जाने-अनजाने इसे मानता ही रहता है.बिल्ली के
रास्ता काटने का निहितार्थ प्रायः सभी वाहन चालक समझते हैं,इसी कारण उस वक्त वाहन
को रोककर सामने से किसी वाहन के गुजरने का इंतजार करते हैं.
कई साल पहले तक मिस्त्र में
बिल्ली की पूजा करके उसे मान-सम्मान दिया जाता था.प्राचीन मिस्त्र की सभ्यता बिल्ली
को देवी का स्थान मिलने का इतिहास में उल्लेख मिलता है.
अफ्रीका में बिल्ली का मूल
स्थान बताया जाता है.यहाँ से बिल्ली दुनियां के अन्य भागों में पहुंची.सदियों से
मनुष्य के साथ चली आ रही मांसाहारी प्राणी बिल्ली को ‘शेर’ की मौसी तक कहा
गया.बिल्ली को लेकर हिंदी में कई कहावतें एवं मुहावरे बोल-चाल की भाषा में प्रयोग
में लाये जाते हैं.
जापान में बिल्ली दक्षिण कोरिया से लायी गयी.दसवीं सदी में
जापान आयी बिल्ली को लाने के पीछे उस खाद्य सामग्री की रक्षा करना था जिसे चूहे चट
कर जाते थे.बाद में इन सभी बिल्लियों को राज-दरबार में सम्मानजनक स्थान मिला.
ईसाईयों में बिल्ली को
चुड़ैल की सहयोगी मानकर उसे नफरत से देखा जाता है.ईसाई धर्म के अनुयायी लोग बिल्ली
को चुड़ैल के रूप में प्रकट होना मानते आ रहे हैं.
हिंदू धर्म में बिल्ली का मरना
अशुभ मानते हैं.हिंदू धर्म अनुयायी के हाथों से यदि बिल्ली की मौत हो जाती है तो
उसकी मुक्ति सोने की बिल्ली बनाकर दान करने से होती है.भारत में बिल्ली का रोना और
रास्ता काटना अशुभ माना जाता है.फ़्रांस के लोग बिल्ली को जादूगरनी मानकर मार डालते
हैं.
भारत सहित विश्व के कई देशों
में काली बिल्ली को ‘तांत्रिक’ लोग साधकर उससे कई प्रकार के तथाकथित कार्य करवाते
हैं.काली रात को काली बिल्ली रोगटे खड़ा कर देती है.बिल्ली से दिल्ली तक की
काल्पनिक अंधविश्वास से जुड़ी कथाएँ आज भी जहां-तहां सुनने को मिलती है.
बिल्ली मांसाहारी एवं
शाकाहारी दोनों प्रकार के खाद्य पदार्थों को चट कर जाती है.ढूध का बिल्ली से जो
रिश्ता है वही रिश्ता चूहे के साथ भी है.ढूध और चूहे को देखकर झपट पड़ती बिल्ली घरेलू
पारिवारिक सदस्य रही है.आज भी कई परिवारों में सदस्य के रूप में रह रही है.बिल्ली
को कई लोग शौकिया तौर पर भी पालते पाए जाते हैं.