Sunday, June 19, 2011

भगवान कितने धनवान

सोचता हूँ भगवान को भी धन,संपत्ति की आवश्यकता होती है.यदि नहीं होती तो उनके पास इतनी अकूत धन,सम्पदा कहाँ से आती है.हो सकता है भक्तों ने दान में दिया हो.हमारे देश में दान और पुण्य की बड़ी महिमा है.
सभी प्राचीन धर्म ग्रन्थ और पुराण,वेद, उपनिषद इसके उदहारण से भरे पड़े हैं.कहते है राजा बालि ने वामन रूपधारी भगवान विष्णु को अपना राज्य दान में दिया था और वह भी कम पड़ा तो अपना शरीर ही दे दिया.ऐसे में भगवान और भक्तों के बीच दान का आदान प्रदान तो चलता ही रहता  है.भक्त इसी आशा में दान करता है की वह इससे दस गुना ज्यादा भगवान से मांग लेगा.सो भगवान और भक्त के बीच का सम्बन्ध मांग और पूर्ति का भी हो जाता है.अब यदि भगवान के पास धन नहीं हो तो वह भक्तों को क्या देंगे. आजकल तो  लोग भगवान को भी चूना लगा देते हैं.जो चेक भगवान को देते हैं वह बाउंस कर जाता है और भगवान इसकी शिकायत भी नहीं कर सकते.आभूषण,जेवरात भी अब भक्त नकली ही दे देते हैं. भगवान भी 'जग की यही रीत 'समझ कर चुप्पी साध लेते हैं.
 

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