गृह युद्ध से त्रस्त सीरिया के बच्चे |
पिकासो का चित्र 'गेर्निका' |
युद्ध की विभिषिका से ग्रस्त एक देश के हालात को दर्शाते हुए मशहूर चित्रकार पाब्लो पिकासो
द्वारा 1936-37 में बनाये गए चित्र ‘गेर्निका’ युद्ध की विभीषिका को बखूबी दर्शाते हैं.’गेर्निका’ में
अंधकार में डूबा दृश्य और बीच में जलता हुआ, तेज प्रकाश देता बिजली का बल्ब.दायें
एक औरत आतुर,पीड़ा से चीत्कार करती हुई.खिड़की में बेबसी से बाहें फैलाये.एक औरत
दरवाजे से आँगन में प्रवेश करती हुई-भयभीत,प्रश्नसूचक.बाएं एक और औरत,गोद में युवा
शिशु और एक अन्य औरत की मुखाकृति,इस सारी बर्बरता की चश्मदीद गवाह.एक सैनिक की
धराशायी,भग्न प्रतिमा.कटे हाथ में टूटी तलवार.सिर गर्दन से अलग एवं मुंह पीड़ा से
खुला हुआ.एक हाथ तनहा फूल की ओर बढ़ता हुआ.एक बैल जिसका सिर मृत शिशु लिए क्रंदन
करती हुई औरत की ओर मुड़ा हुआ है,सीधा ताना हुआ,टेढ़े सींग आक्रमणकारी.उठी हुई
पूँछ.केंद्र के प्रकाश के नीचे एक घोड़ा.सिर पीछे की ओए झुका हुआ-दांत बाहर निकले
हुए और शरीर में पेबस्त भाले के दर्द से बिलबिलाता हुआ. एक पक्षी इस दृश्य से दूर
ऊपर की ओर उड़ता हुआ.लिली और पोस्त के फूल और इन सब पर आयी हुई बमबारी से उत्पन्न
गहरे धुएं की कालिमा,एक अँधेरा,और सबकुछ जो मानवीय है ,प्रकाशित है, सुंदर है,पीड़ा
से त्रस्त है.दंभ और फासीवाद का प्रतीक है – बैल.
स्पेन के बास्क प्रांत की राजधानी ‘गेर्निका’,बास्क के
प्राचीनतम नगर और उसकी सांस्कृतिक परंपरा के केंद्र को स्पेन के तानाशाह जनरल
फ्रांसिस्को फ्रांको के आदेश से युद्धक विमानों ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था.इस
भयावह विनाश औरम्रत्यु यंत्रणा का दस्तावेज एक कलाकृति के रूप में प्रस्तुत किया
पाब्लो पिकासो ने.’गेर्निका’ का भित्तिचित्र युद्ध की विभिषिका को तो चित्रित करता
ही है लेकिन इसके साथ ही मानव मूल्यों,मनुष्य के साहस, उसकी आध्यात्मिक शक्ति और करूणा को भी प्रस्तुत करता
है.
‘गेर्निका’ की कलाकृति से कई प्रश्न उपस्थित होते
हैं.गेर्निका पर हवाई हमला दिन के समय हुआ लेकिन पिकासो ने रात का दृश्य प्रस्तुत
किया है.गेर्निका भले ही एक छोटा नगर था लेकिन इतना भी नहीं कि बंद घेरे में
प्रस्तुत किया जाय.फिर कहीं भी बम वर्षा का दृश्य या प्रतीक नहीं है.घोड़े के शरीर
में भाला पेबस्त है,सैनिक के हाथ में तलवार.लेकिन यह युद्ध घोड़ों,तलवारों या भालों
का नहीं था.अन्य युद्ध कलाकारों की भांति पिकासो ने आधुनिक मशीन,तोप या विमान को
प्रस्तुत नहीं किया.चित्र में रेंखांकित चार औरतें किसकी प्रतीक हैं? क्या यह एक ही
औरत के चार विभिन्न रूप हैं.पिकासो ने औरतों को ही महत्त्व क्यों दिया? पिकासो के
प्राथमिक प्रारूपों में भूमि पर पड़ी टूटी-फूटी प्रतिमा के स्थान पर ‘जीवित ‘
मनुष्य की आकृति थी.इस तरह के कई सवाल जेहन में उभरते हैं.
शायद इन सवालों के जवाब ढूंढें भी जा सकते हैं.’गेर्निका’
का दृश्य अंधकारमय इसलिए है कि युद्धक विमानों ने आकाश को ढक लिया था और उसकी काली
छाया नगर पर छा गयी थी.जलते हुए शहर से उठते हुए धुएं ने सूर्य को ग्रस लिया
था.नगर पर बमवर्षा का प्रमाण भग्न प्रतिमा,मृत शिशु और बैल की मशाल जैसी जलती पूँछ
है.पिकासो के विचार में मशीन से अधिक प्रभावशाली प्रतीक भाला और तलवार हैं.चार
औरतों का एक दृश्य में होना दमन और पाशविक बर्बरता की तीव्रता को प्रदर्शित करना
है क्योंकि युद्ध या अपराध में सबसे ज्यादा अमानवीयता का शिकार स्त्रियाँ ही बनती हैं-स्त्री सृष्टि,जीवन,करूणा
और गति का प्रतीक है.भग्न प्रतिमा ध्वंस को चित्रित करती है,जो शायद जीवित मनुष्य
के चित्रण से संभव नहीं था.बैल क्रूर, फासिस्ट आक्रमण और हिंसा का प्रतीक है - जो अपने
संपूर्ण दृश्य पर हावी है.
तमस और पाशविकता का प्रतिबिंब घोड़े के मुकाबले में
उभरकर सामने आया है.घोड़ा वास्तव में जीवन का प्रतीक है.दो औरतें घोड़े के सिर की ओर
ही देख रही हैं - एक चेहरा ऊपर करके और दूसरी सिर झुकाकर.उन दोनों के चेहरे समान से
हैं लेकिन घोड़े की गरदन दूसरी ओर मुड़ी हुई है - जीवन मृत्यु के चंगुल में है.स्पेन
के गणतंत्र की दम तोड़ती जिंदगी का प्रतीक.पक्षी घोड़े की कल्पना को और अधिक सुदृढ़
करता है - जैसे वह घोड़े के श्वास के साथ बाहर निकलकर उड़ रहा हो.पक्षी मनुष्य की
स्वच्छंद कामना,स्वाधीनता,अनंत आशा और कल्पना की शक्ति का प्रतीक हैं.
नेत्र-ज्योति और सूर्य ज्योति एक अद्भुत संयोजन प्रस्तुत
करते हैं जो तमस को नग्न कर देते हैं और आशा की किरण बनकर पूरे दृश्य को आलोकित कर
देते हैं.दुनियां से ज्योति कभी मिटती नहीं.फूल जीवन सौन्दर्य और कोमलता के प्रतीक
हैं.