भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहिम में जनलोकपाल की मांग को लेकर गठित टीम अन्ना अंतर्विरोध की शिकार हो गई है.टीम अन्ना के अनेक सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं.पहले पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण पर जो सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता भी हैं,गलत ढंग से पैरवी के आरोप लगे,फिर प्रशांत भूषण पर जम्मू कश्मीर पर विवादित बयान का मामला सामने आया,फिर अरविन्द केजरीवाल पर आयकर विभाग के बकाये का मुद्दा गर्माता रहा और पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे.
पहले आयोजकों से ज्यादा हवाई किराया वसूल करने,जिसकी भरपाई उन्होंने रकम वापस करके,करने की कोशिश की और हालिया पुलिस विभाग की विधवाओं एवं बच्चों के लिए मुफ्त कम्पूटर प्रशिक्षण के नाम पर माइक्रोसौफ्ट से करोड़ों की राशि ले लेने और प्रशिक्षण के नाम पर छात्रों से प्रशिक्षण शुल्क वसूलने का मामला गरमा रहा है और न्यायालय के आदेश पर प्राथमिकी भी दर्ज हो चुकी है.इस प्राथमिकी के दर्ज होने पर किरण बेदी की टिप्पणी थी कि उन्हें इस तरह की प्राथमिकी से निपटने का तरीका आता है. बेशक ! वे पूर्व पुलिस अधिकारी जो रह चुकी हैं.कुछ ज्ञान आम लोगों को भी दे देती तो लोगों का कल्याण हो जाता.कुमार विश्वास पर भी अपने नियोक्ता कौलेज पर लम्बे समय से गायब रहने का आरोप लग रहा है.
पहले आयोजकों से ज्यादा हवाई किराया वसूल करने,जिसकी भरपाई उन्होंने रकम वापस करके,करने की कोशिश की और हालिया पुलिस विभाग की विधवाओं एवं बच्चों के लिए मुफ्त कम्पूटर प्रशिक्षण के नाम पर माइक्रोसौफ्ट से करोड़ों की राशि ले लेने और प्रशिक्षण के नाम पर छात्रों से प्रशिक्षण शुल्क वसूलने का मामला गरमा रहा है और न्यायालय के आदेश पर प्राथमिकी भी दर्ज हो चुकी है.इस प्राथमिकी के दर्ज होने पर किरण बेदी की टिप्पणी थी कि उन्हें इस तरह की प्राथमिकी से निपटने का तरीका आता है. बेशक ! वे पूर्व पुलिस अधिकारी जो रह चुकी हैं.कुछ ज्ञान आम लोगों को भी दे देती तो लोगों का कल्याण हो जाता.कुमार विश्वास पर भी अपने नियोक्ता कौलेज पर लम्बे समय से गायब रहने का आरोप लग रहा है.
ऐसा क्यों है.जो भी व्यक्ति पद प्रतिष्ठा प्राप्त कर लेता है,मीडिया में सुर्खियाँ बटोर लेता है,अपने आपको देश से,कानून से ऊपर समझने लगता है.
अन्ना के अनशन के दौरान भी इस तरह की बातें होती रही हैं.मंचीय भाषण में भी टीम अन्ना के कई सदस्यों ने एक सुर से टीम अन्ना को संसद से ऊपर बताया.इस तरह की अराजक प्रवृत्ति निश्चय ही निंदनीय है.भ्रष्टाचार को समाप्त करने के नाम पर कोई समिति अराजक कैसे हो सकती है.अपने को संसद और कानून से सर्वोच्च बताने वाले इन लोगों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे पूर्व में भारतीय संविधान और कानून में आस्था प्रकट कर सरकारी सेवा कर चुके हैं.
अन्ना की जुबान भी असमय फिसलती रही है.शरद पवार के थप्पड़ प्रकरण पर उनका बयान देख लीजिये. किरण बेदी पर पूर्व में भी कई आरोप लगते रहे हैं.जाहिर है उनमें सच्चाई भी होगी.मिजोरम में पदस्थापन के दौरान अपनी बेटी का मेडिकल में मिजोरम के कोटे से नामांकन कराकर एम्स में ट्रान्सफर कराना,पूर्णतः अवैध था जिस पर सरकार ने भी ऑंखें मूंद ली थी.फिर बिना सूचना के मिजोरम छोड़ कर गायब हो गयी थीं जिस पर काफी बावेला मचा था.एक पूर्व पुलिस अधिकारी जिन्होंने तिहाड़ जेल में पदस्थापन के दौरान जेल सुधार पर काफी काम किया था और मैग्सेसे पुरस्कार की विजेता भी रही हैं,इस देश के कानून के खिलाफ काम करने का अधिकार नहीं प्राप्त हो जाता.
पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करते ही व्यक्ति अराजक क्यों हो जाता है इसके लिए विस्तृत समाजशास्त्रीय अध्ययन की आवश्यकता है.जरा अपने आस-पास नजर दौड़ाइये.अपने क्षेत्र के विधायक और सांसद को देख लीजीए.समझ में आ जाएगा.इन्हीं की देखा देखी आजकल जिला परिषद् के अध्यक्ष,सदस्य,ग्राम पंचायत के मुखिया,सरपंच आदि करने लगे हैं.
ऐसा न हो कि अपने ही अंतर्विरोधों से ग्रस्त एक सफल मुहिम असमय ही काल कवलित हो जाय.
अन्ना के अनशन के दौरान भी इस तरह की बातें होती रही हैं.मंचीय भाषण में भी टीम अन्ना के कई सदस्यों ने एक सुर से टीम अन्ना को संसद से ऊपर बताया.इस तरह की अराजक प्रवृत्ति निश्चय ही निंदनीय है.भ्रष्टाचार को समाप्त करने के नाम पर कोई समिति अराजक कैसे हो सकती है.अपने को संसद और कानून से सर्वोच्च बताने वाले इन लोगों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे पूर्व में भारतीय संविधान और कानून में आस्था प्रकट कर सरकारी सेवा कर चुके हैं.
अन्ना की जुबान भी असमय फिसलती रही है.शरद पवार के थप्पड़ प्रकरण पर उनका बयान देख लीजिये. किरण बेदी पर पूर्व में भी कई आरोप लगते रहे हैं.जाहिर है उनमें सच्चाई भी होगी.मिजोरम में पदस्थापन के दौरान अपनी बेटी का मेडिकल में मिजोरम के कोटे से नामांकन कराकर एम्स में ट्रान्सफर कराना,पूर्णतः अवैध था जिस पर सरकार ने भी ऑंखें मूंद ली थी.फिर बिना सूचना के मिजोरम छोड़ कर गायब हो गयी थीं जिस पर काफी बावेला मचा था.एक पूर्व पुलिस अधिकारी जिन्होंने तिहाड़ जेल में पदस्थापन के दौरान जेल सुधार पर काफी काम किया था और मैग्सेसे पुरस्कार की विजेता भी रही हैं,इस देश के कानून के खिलाफ काम करने का अधिकार नहीं प्राप्त हो जाता.
पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करते ही व्यक्ति अराजक क्यों हो जाता है इसके लिए विस्तृत समाजशास्त्रीय अध्ययन की आवश्यकता है.जरा अपने आस-पास नजर दौड़ाइये.अपने क्षेत्र के विधायक और सांसद को देख लीजीए.समझ में आ जाएगा.इन्हीं की देखा देखी आजकल जिला परिषद् के अध्यक्ष,सदस्य,ग्राम पंचायत के मुखिया,सरपंच आदि करने लगे हैं.
भ्रष्टाचार के विरोध के कारण टीम अन्ना को आम जनता से जो जनसमर्थन मिला है वह सरकार के नकारात्मक रुख के कारण ही है.
ऐसा न हो कि अपने ही अंतर्विरोधों से ग्रस्त एक सफल मुहिम असमय ही काल कवलित हो जाय.
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