जब रात बहुत अंधेरी है
मैं अकेले में तुम्हारे बारे में सोचता हूँ
आसमान में कुछ तारे टिमटिमाते हैं
और मैं बहुत उदास हो जाता हूँ .
एक मीठा ख्याल मन में आता है
तुम और मैं बिलकुल अकेले
अपने हाथों में तुम्हारा हाथ थामे हुए
कहीं दूर निकल जाते हैं.
तुम एक बचकानी बात कह देती हो
एक दिन इन तारों में खो जाऊँगी
तारों भरी रात में चलते हुए
तुम्हारी वही बातें याद आती हैं.
सोचता हूँ तुम्हारी बातें सच तो नहीं
शायद इन्हीं तारों में खो गई हो
फिर वही स्वप्न क्यूँ दिखाई देता है
मेरा हाथ तुम्हारे हाथों से छूट जाता है.
जब रात बहुत अंधेरी है
मैं अकेले में तुम्हारे बारे में सोचता हूँ
आसमान में कुछ तारे टिमटिमाते हैं
और मैं बहुत उदास हो जाता हूँ .
सभी सपने सच हों ,यह जरूरी तो नहीं .
ReplyDeleteजब रात बहुत अंधेरी है
मैं अकेले में तुम्हारे बारे में सोचता हूँ
आसमान में कुछ तारे टिमटिमाते हैं
और मैं बहुत उदास हो जाता हूँ
अच्छी पंक्तियाँ .
सादर धन्यवाद ! आभार .
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