मौत के बाद क्या होता है? यह सवाल सदा से जिज्ञासा का विषय रहा है,लेकिन आज तक इस सवाल का साफ़ एवं सटीक उत्तर नहीं मिल सका है.पूर्ण मृत्यु के बाद क्या होता है,इसकी विस्तृत जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.लेकिन कुछ देर मृत रहकर,फिर चेतना प्राप्त करनेवाले लोगों ने इस रहस्य भरे प्रश्न के उत्तर अपने-अपने ढंग से दिये हैं.
फ़्रांस के डॉ. डेलाकौर ने
इसी प्रश्न को अपने अनुसंधान का विषय बनाया.उन्होंने मौत के पहले पड़ाव से लौटने
वाले रोगियों एवं दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों की मनःस्थिति और उनकी मौत के पहले चरण
की अनुभूतियों का गहरा अध्ययन,मनन और विश्लेषण किया,जिसे उन्होंने अपनी एक पुस्तक
के रूप में प्रस्तुत किया है.डेलाकौर ने जिन व्यक्तियों को अपने अनुसंधान का विषय
बनाया,वे कोई अंधविश्वासी नहीं थे,बल्कि विभिन्न वर्गों से संबंधित स्वस्थ
मस्तिष्क के लोग थे.
हालाँकि डेलाकौर के मरीजों
में एक थे फ़्रांस के अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध अभिनेता डेनिमल जीनल.कई वर्ष पूर्व
उन्हें दिल का दौरा पड़ा था.उन्हें अस्पताल ले जाने में अधिक समय लग गया था.ऑपरेशन
थियेटर में ले जा कर जब उनके दिल की धड़कनें रिकॉर्ड करने वाली मशीनें लगायी गई,तो
मशीन की सूई अपनी जगह पर स्थिर रही,यानि उनकी हृदयगति रूक चुकी थी.
इसके बाद क्या हुआ,इसका
वर्णन खुद डेनिमल के शब्दों में ‘मुझे ऐसा लगा कि मैंने कमरे में तैरना शुरू कर दिया
है.एक डॉक्टर मुझ पर झुका,मुझे जांचा-परखा और मृत पाकर गहरी सांस ली और पीठ मोड़कर
चला गया.इसके बाद एक सहायक डॉक्टर ने मुझे पूरी तरह चादर से ढँक दिया.मैं उस समय
बरबस चिल्ला रहा था पर मेरी आवाज किसी तक पहुँच ही नहीं रही थी.कुछ देर मैं बहुत
भयभीत रहा,लेकिन उसके बाद मैंने भय का अनुभव करना बंद कर दिया.इसके बाद मैंने देखा
कि मेरे माँ-बाप वहां आए.उन्हें देखकर मैं बहुत खुश हुआ.इसके बाद मेरी माँ मुझे
ऐसे बाग़ में ले गयी,जो रंगारंग फूलों से भरा महक रहा था.यहाँ उस समय चारों ओर
बच्चे ही बच्चे थे.वे सब खेल-कूद रहे थे.तभी मेरी माँ ने मुझसे कहा,’देखो,तुम्हारा
बेटा वहां खेल रहा है और वह किस कदर मजे में है.सचमुच मैंने उसे वहां दूसरे
बच्चों के साथ खेलते देखा.’
डेनिमल के इस दिल के दौरे
के कुछ वर्ष पहले ही उसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी और इसके कुछ ही समय पहले
उसका नन्हा सा बेटा भी मर चुका था.डेनिमल ने मृत्यु के बाद के अपने इस अनुभव के
अंत में कहा,’मेरी माँ फिर मेरे पास आयी और मुझे थपथपाकर कहने लगी कि ‘डेनिमल,अब
तुम लौट जाओ,जिंदगी तुम्हारा इंतजार कर रही है.’इसके बाद ही मैं यहाँ वापस लौट
आया.’
बिल्कुल ठीक इसी समय ऑपरेशन थियेटर में डॉक्टरों ने देखा कि डेनिमल के दिल की धड़कन रिकॉर्ड करने वाली मशीन की सूई एकाएक हरकत में आ गई है और उसके चेहरे पर भयानक पीड़ा एवं चेतना के चिन्ह लक्षित होने लगे हैं.सहसा उसने अपनी आँखें खोल लीं और उसे महसूस होने लगा कि वह अभी जीवित है.इस प्रकार दिल का दौरा पड़ने के बाद से दुबारा आँख खोलने के बीच में उसने जो सफ़र तय किया,उस दौरान वह अपने मर चुके माता-पिता एवं नन्हें बच्चे से मिल आया.
अमेरिका के मशहूर डॉक्टर
वेन राबर्ट्स ने भी इसी विषय पर काफी जानकारी इकठ्ठी की है.उन्होंने कहा है कि मर
रहे व्यक्तियों के करीब खड़े होने पर कई बार ऐसा लगता है कि मृत-प्राय व्यक्ति
अंतिम साँस लेने से पहले अपने किसी मृत रिश्तेदार या बेहद करीबी से बात कर रहा है
या किसी अनजाने प्राकृतिक दृश्य का वर्णन,लेकिन यह सब उसके बड़बड़ाने या फुसफुसाने के
स्वर में ही होता है.
डॉ. राबर्ट्स ने ग्रीस के
किंग पाल से संबंधित एक विवरण दिया है.किंग पाल एक बीमारी के दौरान काफी अचेत
रहा.जब उसे होश आया तो आँखें खोलने के बाद उसने अपनी पत्नी को बताया कि,’मैं
अभी-अभी ऐसा महसूस कर रहा था कि मैं दूर किसी किनारे पर खड़ा हूँ.मेरे आगे काफी बड़ी
काली सड़क है,जिसके अंत में एक प्रकाश पुंज है.’
एक दस वर्षीय बच्चे हैंस का
अनुभव भी इसी सिलसिले में उल्लेखनीय है.वह एक दीवार के नीचे आकर बुरी तरह घायल हो
गया था.डॉक्टर उसे चेतना-शून्य एवं मृत मान चुके थे.कुछ समय बाद उसकी चेतना फिर अपने
आप लौट आई.होश में आने पर उसने बताया कि ‘मैं किसी दूसरी दुनियां में गया हुआ
था.मैं वहां बहुत ख़ुशी महसूस कर रहा था.मैं वहां खेल रहे बच्चों के साथ खेला.मैं
और भी खेलना चाहता था,लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि ‘तुम्हारे पास इतना समय नहीं
है कि तुम हमारे साथ और खेल सको.’उन्होंने यह भी कहा कि तुम्हें वापस जाना होगा और
मैं वापस आ गया.’
मौत के बाद का यह छोटा सा सफ़र हमेशा खुशगवार और शांतिदायक ही होता है,यह जरूरी नहीं.कुछ व्यक्तियों को यह सफ़र अत्यधिक भयानक भी लगा है.जैसे,कुछ डरावने साए उन्हें दबोचने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और उन्हें उन सायों की पकड़ से निकलने के लिए गहरा संघर्ष करना पड़ा है.
फ़्रांस की प्रसिद्ध नर्तकी
बैनी चैरत का अनुभव तो और भी विचित्र है.वह टी.वी. पर अपना नृत्य पेश कर रही थी कि
स्टूडियो में अचानक आग लग गई.वह बुरी तरह झुलस गई.अचेतावस्था में उसे अस्पताल
पहुँचाया गया.कुछ मिनटों बाद उसके दिल की धड़कनें बंद हो गईं और कुछ देर बाद अपने
आप फिर शुरू भी हो गईं.होश में आने पर चैरत ने डॉक्टरों को बताया कि मुझे लगा कि
मेरा विवाह किसी अजनबी से हो रहा है और उस अजनबी का नाम माइकेल पुकारा गया है.’इतना
बताकर चैरत खामोश हो गई क्योंकि,वह विवाहित थी और तब तक उसका पति वहां आ गया
था.
अजीब संयोग है कि यह घटना भविष्य में सच साबित हुई.ठीक चार वर्ष बाद चैरत की
दूसरी शादी हुई और उसके नए पति का नाम माइकेल था तथा उसकी शक्ल-सूरत बिल्कुल उस
व्यक्ति से मिलती थी,जिसे उसने आग में जलने के बाद अपनी मृत अवस्था में देखा था.
एक जिज्ञासु रचना आपने लिखा ,सुन्दर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुंदर...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबढ़िया लेख व अद्भुत विषय , धन्यवाद राजीव भाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आशीष भाई. आभार.
Deleteये एक ऐसा रहस्य है जो रहस्य ही रहेगा ... सबका अनुभव अलग अलग है तो सच क्या होने वाला है मृत्यु के बाद ये कहना मुश्किल है ...
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deletebahut hi rochak aalekh..
ReplyDeletedhanywad in jankariyo ke liye:-)
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteरोचक .......
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteअद्भुत रोचक .........
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत रोचक लगी पोस्ट !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteजीवन और मृत्यु दो दरवाज़े हैं जीव आत्मा एक से निकलके दूसरे में दाखिल हो जाता है। नीअर डेथ एक्सपीरिएंस एक निरंतर अन्वेषण का विषय है। बढ़िया प्रस्तुति।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteआपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन बलिदान दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है।कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (20-12-13) को "पहाड़ों का मौसम" (चर्चा मंच:अंक-1467) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteप्रकृति के रहस्य अद्भुत हैं !!!!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteअदभुत जानकारी.. आभार..
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत रोचक जानकारी.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसादर धन्यवाद ! आभार.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
ReplyDeleteबहुत रोचक एवं सुन्दर जानकारी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Delete
ReplyDeleteशुक्रिया
आपकी टिप्पणियों का। सशक्त लेखन में मुब्तिला हैं आप
निरंतर।
सादर धन्यवाद ! आ. वीरेन्द्र जी. आभार.
Deleteमृत्यु सम्भवतः स्वप्न है,
ReplyDeleteकभी छोटा स्वप्न
कभी बड़ा -
उस लोक में कोई तो सोया है
और मुझे जी रहा है
या चला रहा है
नींद खुली - मैं गुम !
बहुत सुंदर. सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत कौतूहल पैदा करती रचना
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteआश्चर्य जनक ...
ReplyDeleteaadarniya sir ji,
ReplyDeletesadar pranaam
bahut hi knowledge bhara post..it is a topic of research,
Dr. Raymond Moody coined the term "near-death experience" in his 1975 book, "Life After Life." Many credit Moody's work with bringing the concept of the near-death experience to the public's attention, but reports of such experiences have occurred throughout history. Plato's "Republic," written in 360 B.C.E., contains the tale of a soldier named Er who had an NDE after being killed in battle. Er described his soul leaving his body, being judged along with other souls and seeing heaven ..
सादर धन्यवाद ! अजय जी. आभार.
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक प्रस्तुति है।
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteएक रहस्य की गुत्थी शायद ही कभी कोई सुलझा सके .. ..जीते जी हमारे साथ जीवन भर जो घटित होता है उसे ही हम कुछ दिन में भूल जाते हैं ..फिर उसके बात की बातें ऊपर वाला ही जाने ....मैंने भी कुछ लोगों से उनके मुहं से ऐसे बाते सुनी ....वे लोग अब दुनिया में तो नहीं रहे लेकिन जब कभी कहीं जिक्र आता है तो याद आने लगता है .....
ReplyDelete..बहुत बढ़िया रोचक प्रस्तुति ...
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deletebahut hi alag or hat kar topic hai aapka.. padh kar acha laga..
ReplyDeleteNav-Varsh ki shubhkamnayein..
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