कुछ किताबें ऐसी होती हैं
जो किसी भी उम्र में पढ़ी जा सकती हैं.इन पुस्तकों की रोचकता और विषय-वस्तु उम्र का
मोहताज नहीं होती.जे.के.रॉलिंग की हैरी पॉटर श्रृंखला की पुस्तकें भी ऐसी ही हैं. रहस्य,रोमांच,इंद्रजाल
का रोचक प्रयोग पाठकों को ऐसी दुनियां में ले जाते हैं जहाँ से बाहर निकलने का मन
ही नहीं करता.
बाल-सुलभ उत्सुकता,स्कूल का
माहौल,प्रतिद्वंदिता,हाउस कप जीतने की ललक ये सब किसी आम स्कूल जैसा माहौल उत्पन्न
करते हैं.हालांकि हॉग्वर्ट्स के जिस स्कूल की परिकल्पना रॉलिंग ने की है वह शायद
ही इंग्लैंड में कहीं मौजूद हो.यह भी कहा जाता रहा है कि रॉलिंग ने संभवतः
स्कॉटलैंड के किसी स्कूल का खाका खींचा है.
रॉलिंग के हैरी पॉटर
श्रृंखला की सभी सात भागों की पुस्तक हिंदी में भी उपलब्ध हैं और इसने हिंदी भाषी
पाठकों का भी एक बड़ा वर्ग तैयार किया है. हैरी पॉटर श्रृंखला के अलावा रॉलिंग ने
कुछ और पुस्तकें भी लिखी हैं लेकिन वे उतनी चर्चित नहीं रही.
हैरी पॉटर श्रृंखला के
लिखने के उद्देश्य के बारे में रॉलिंग ने एक साक्षात्कार में बताया था कि इन
पुस्तकों के लिखने की एक वजह ‘मृत्यु के प्रति भय’ को भी समाप्त करना था.जैसा कि
इस श्रृंखला की पहली ही किताब में प्रमुख पात्र हॉग्वर्ट्स स्कूल के हेडमास्टर
एल्बस डंबलडोर कहते हैं,’एक अच्छी तरह संतुलित मस्तिष्क वाले आदमी के लिए मौत अगला
महान रोमांचक अभियान होती है.’
हैरी पॉटर श्रृंखला की
अंतिम चार पुस्तकें छह सौ से आठ सौ पृष्ठों की हैं लेकिन ये कहीं से भी बोझिल नहीं
लगती.इन पुस्तकों में दोस्ती की मिसाल,राजनीतिक हालात, राजनीतिक उठापटक,सत्ता
परिवर्तन तो हैं ही, साथ ही कुछ वास्तविक चरित्र भी लिए गए हैं जैसे कि फ़्रांस के
मशहूर कीमियागर निकोलस फ्लामेल का चरित्र.सभी सात पुस्तकें हैरी पॉटर के हॉग्वर्ट्स
स्कूल में बिताये सात वर्षों की दास्तान और उनके तथा दोस्तों के रोचक कारनामे हैं.
लेकिन रॉलिंग ने इस
श्रृंखला को सात भागों में ही क्यों समाप्त कर दिया? क्या वे इस बात से आशंकित थीं
कि इसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे कम हो रही है? हालांकिदुनियां भर में इस श्रृंखला की
पुस्तकों की लोकप्रियता और सभी आयु वर्ग के लोगों पर चढ़ा उनका जादू देखकर तो ऐसा
नहीं लगता.
यह भी एक रोचक विषय है कि यदि
रॉलिंग हैरी पॉटर श्रृंखला को लिखना जारी रखतीं तो अभी क्या लिख रही होतीं.शायद
हैरी पॉटर और जिनी तथा उनके दोस्तों के बच्चों के कारनामों पर लिख रही होतीं.इस श्रृंखला
की पुस्तकों में कुछ भारतीय चरित्र भी लिए गए हैं जैसे,पाटिल बहनें,मायूस
मीना,प्रोफ़ेसर बावरे नैन मूडी.
हैरी पॉटर की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया
जा सकता है कि इस श्रृंखला की अंतिम पुस्तक ‘हैरी पॉटर और मौत के तोहफे’(Harry Potter and the Deathly Hallows)के प्रकाशित होने के छह-सात साल बाद अब रॉलिंग हैरी पौटर पर
आधारित नाटकों की एक श्रृंखला 'Harry Potter and the Cursed Child' के साथ ब्रिटेन सहित पूरी दुनियां में आयोजित करने जा रही
हैं.
जे.के. रोलिंग द्धारा रचित हैरी पॉटर मुझे बहुत पसंद है। हालांकि मुझे इसके सभी भाग पढ़ने का अवसर नहीं मिला है। पर मेरा प्रयास है कि मुुझे इसके सारे भाग मिल जाएं। आपकी यह पोस्ट बहुत अच्छी है, साथ ही बालसाहित्य लेखन की सार्थकता भी सिद्ध करती है। बाल एवं किशोर साहित्य को हर उम्र के लोग बड़े ही चाव से पढ़ते हैं।
ReplyDeleteबढ़िया लेख ।
ReplyDeleteहिंदी भाषा में में भी ये पुस्तकें आशा अनुरूप बहुत चलने वाली पुस्तकें हैं ये ...
ReplyDeleteआपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति विश्व तंबाकू निषेध दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteसादर आभार.
Deleteराजीव जी, मेरा बेटा तो हैरी पॉटर का बहुत ही दिवाना है। सही में कुछ किताबे कालजयी होती है।
ReplyDeleteachcha lekh
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ReplyDeleteमैने पढ़ी ही नहीं, सोचा बच्चों की है...हां मधुमुस्कान मिल जाती तो अलग बात थी..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेख ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा
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ReplyDeleteहैरी पॉटर के पीछे दीवाने हैं आज बच्चे।
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
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ReplyDeletegraphiccad@gmail.com
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मैंने नही पढ़ी कोई लेकिन अब जरूर पढ़ना चाहूंगा !!
ReplyDeleteदीवाने हैं आज के बच्चे।
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