एक प्राध्यापक ने छात्रों को वास्तुकला विज्ञान तथा डिजाइन की शिक्षा देने के लिए एक ऐसे उपकरण का अविष्कार किया , जिससे किसी वस्तु के आकार में उसकी लम्बाई ,चौड़ाई तथा ऊँचाई को एक साथ परखा जा सके ,लेकिन यह उपकरण आज इतना लोकप्रिय खिलौना है कि जिसकी वह अपने आप में एक मिशाल है . मजे की बात बात यह है कि इसकी वजह से तलाक़ भी हो गया .
बच्चों के संसार में खिलौनों के महत्व से कोई भी अपरिचित नहीं है. खिलौनों का इतिहास भी उतना ही पुराना है ,जितनी मानव सभ्यता. प्रारंभ में शायद बच्चों ने अपने खिलौने खुद ही तलाश किये होंगे.परन्तु ज्यों - ज्यों समय आगे बढ़ा ,मानव सभ्यता का विकास हुआ और इस विकास के साथ जुड़ गया खिलौनों का बदलता रूप. मनोवैज्ञानिक इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि बच्चों के संतुलित विकास के लिए खिलौनों का उतना ही महत्व है ,जितना कि उनके वातावरण का. बीसवीं सदी में विज्ञान की अद्भुत उन्नति से खिलौने भी अप्रभावित न रह सके.ऐसे ही वैज्ञानिक चेतना की एक उत्पत्ति है रुबिक क्यूब या जादुई क्यूब.
रुबिक क्यूब वास्तव में खिलौनों की आवश्यकता पूरी करने के लिए नहीं बनाया गया था. इसका जन्मदाता एरनो रुबिक हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट के एक महाविद्यालय में छात्रों को वास्तुकला विज्ञान तथा डिजाइन की शिक्षा देता था. वह छात्रों को किसी भी वस्तु के तीनों पक्षों के बारे में बताना चाहता था. 1974 में उसने एक ऐसे उपकरण का आविष्कार किया ,जिससे किसी वस्तु के आकार में उसकी लंबाई ,चौड़ाई ,ऊँचाई को एक साथ परखा जा सके .
यही नहीं ,इस उपकरण पर की जाने वाली क्रिया -घुमाने से होने वाले प्रभाव को बड़ी आसानी से समझा जा सकता है.यही उपकरण आज दुनियां का सर्वश्रेष्ठ शिक्षा देने वाला खिलौना बन गया है.पहले पहल इसका नाम मैजिक क्यूब पड़ा ,परन्तु बहुचर्चित होने पर इस क्यूब के साथ आविष्कारक का नाम भी जुड़ गया तथा यह 'रुबिक क्यूब' के नाम से जाना जाने लगा. आज रुबिक क्यूब हर आयु और हर व्यवसाय के लोगों का मनोरंजन ही नहीं ,बल्कि शिक्षा का एक साधन बन गया है. न केवल बच्चों बल्कि बुजुर्गों के लिए यह समय बिताने का एक बढ़िया साधन बन गया है. इस क्यूब ने बिक्री के पिछले सभी कीर्तिमान तोड़ दिए हैं. गणितज्ञों के लिए यह खिलौना बहुमूल्य उपकरण सिद्ध हुआ है. ज्योतिर्विज्ञान तथा 'ग्रुप थ्योरी' की कई क्रियाएं इसके द्वारा सरलता से समझी जा सकती हैं. आज दुनियां भर में रुबिक क्यूब को हल करने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं .
रुबिक क्यूब साधारणतः 57 *57 *57 मिलिमीटर का एक घन है ,जो 26 छोटे - छोटे घनों से मिलकर बनता है. इनमें हरेक छोटा घन 9*9*9 मिलिमीटर का होता है. जब क्यूब पूर्णतः ठीक से जुड़ा होता है ,तब इसके छह तलों के प्रत्येक तल पर एक ही प्रकार तथा रंग के 9 - 9 वर्ग होते हैं .कुल मिलाकर 54 वर्गों की रचना 9 प्रति वर्ग तल के हिसाब से होती है. एक तल के 9 वर्ग एक ही आकार एवं रंग के होते हैं.
हरेक तल पर ठीक बीच में एक -एक घन होता है ,जिनका स्थान निश्चित होता है .हरेक मध्य वर्ग का रंग एक दूसरे से भिन्न होता है.यदि हम रूबिक क्यूब को एक समतल पर टिका दें , तो ऊपर तथा नीचे वाले तलों के चार कोनों में एक - एक क्यूब होता है. हरेक कोने वाले घन के तीन पक्ष दिखाई देते हैं तथा इन पर बने तीन वर्गों का रंग एक दूसरे से भिन्न होता है.
उपरी तल के प्रत्येक कोने वाले क्यूब के तीनों ओर - दायें ,बाएं तथा नीचे एक -एक क्यूब होता है. इनकी संख्या आठ होती है .निचले तल के कोने वाले क्यूब के दायें - बाएं भी एक - एक क्यूब होता है. इनकी संख्या चार होती है. प्रत्येक बीच वाले क्यूब पर दो भिन्न - भिन्न रंगों के क्यूब बने होते हैं.
रुबिक क्यूब के तल आपस में जुड़े हुए नहीं होते. प्रत्येक तल को आगे -पीछे ,ऊपर और नीचे की ओर घुमाया जा सकता है.इसमें केवल मध्य के छह क्यूब एक दूसरे के साथ धुरी पर जुड़े होते हैं. इसे स्पिंडल कहते हैं. रुबिक क्यूब के किसी भी तल को 90 डिग्री दायीं ओर घुमाने से सामने और पिछले तलों पर तो हरा और नीला रंग ही रहेगा. परन्तु बाकी के तलों पर इस क्रिया का प्रभाव पड़ेगा. उपरी तल के तीन लाल वर्ग दायीं और चले जाएंगे , दायेंतल के तीन सफ़ेद वर्ग निचले तल पर चले जाएंगे , निचले तल के तीन संतरी वर्ग बायीं ओर तथा बाएं तल के तीन पीले वर्ग उपरी तल पर आ जाएंगे.
इस प्रकार ऊपर, नीचे ,दायें,बाएं सामने तथा पीछे तलों को घुमाने से रंगदार वर्ग अपना स्थान बदल लेते हैं और हर तल रंग -बिरंगा हो जाता है. केवल छह मध्य वर्ग अपने स्थान पर रहते हैं.यह तो रही क्यूब को बिगाड़ने की बात. इसी उलझे हुए क्यूब से शुरू होती है वास्तविक दिमागी कसरत.
यह समस्या एक पहेली के समान है. आप उलझा हुआ क्यूब किसी व्यक्ति को देकर कहें कि वह इसे फिर से सुलझा दे यानि सब रंगों को इस प्रकार जोड़े कि एक तल के सभी वर्ग एक ही रंग के हों. देखने में यह बड़ा आसन प्रतीत होता है ,परन्तु इसे सुलझाने में कई दिन या कई माह लग जाएँ.इसी रुबिक क्यूब के कारण जर्मनी में एक दंपति में तलाक हो गया. एक पत्नी ने अपने के जन्मदिन पर उपहारस्वरूप रूबिक क्यूब भेंट किया.पति इसे सुलझाने में इतना व्यस्त रहने लगा कि पत्नी तक को भूल गया .बस ,इसी का परिणाम निकला ,तलाक.
समस्या वाकई जटिल है.कम्यूटरों द्वारा पता लगाया गया है कि रुबिक क्यूब के रंगों के 4,32,52,0000000000000000 से भी अधिक मेल खाते हैं.यह अंक कितना विशाल है कि यदि दुनियां के सभी व्यक्ति एक साथ इतनी राशि की गेंद ,एक गेंद एक व्यक्ति प्रति सेकेंड की दर से गिनें तो पूरा गिनने के लिए लाखों वर्ष लग जाएंगे .
लेकिन सवाल है कि इस समस्या का कोई हल भी है ? इस क्यूब का आविष्कारक इस उलझन को एक मिनट से भी कम समय में सुलझा सकता है.
आज दौड़ रुबिक क्यूब को हल करने की नहीं है. वह तो संसार में हजारों व्यक्ति कर सकते हैं. दौड़ इसे प्रतियोगिता के स्तर पर कम से कम समय में हल करने की है.
Great mind game.
ReplyDeleteI have never been able to solve it though.
वाकई गजब का खिलौना है !!
ReplyDeleteवास्तविकता में , अद्भुत खेल है
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteइस खिलौने के विषय में तो जानकारी थी किन्तु विस्तृत पक्ष आज पता चला ,सुन्दर आलेख
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteयह सब तो नहीं पता था .. आभार आपका !!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteरुबिक क्यूब के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी गई है .
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteअद्भुत खेल है
ReplyDeleteशब्दों की मुस्कुराहट पर
...संग्रहनीय लेखन बड़ी शख्सियत -- प्रवीण पाण्डेय जी
सादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteरुबिक क्यूब वाकई अद्भुत है...इसे सुलझाया है मगर तरीका पढ़कर...रोचक पोस्ट !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteसार्थक विस्तृत जानकारी देता आलेख। शुक्रिया आपकी टिपण्णी का।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteज्ञानवर्धक लेख, आभार आपका।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! नीरज जी . आभार .
Deleteज्ञानवर्धक लेख, आभार आपका।
ReplyDeleteगणित में कमजोर हूँ इसलिए इसे भी सुलझा न पाया कभी। अच्छा आलेख। मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए आभार।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteबहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक एवं रोचक आलेख
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteरोचक !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Deleteरोचक जानकारी।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : सदाबहार अभिनेता देव आनंद
बहुत ज्ञानवर्धक पोस्ट... यद्यपि मुझसे कभी नहीं हल हुआ ये खिलौना :)
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार .
Delete“अजेय-असीम{Unlimited Potential}”
ReplyDeleteसादर प्रणाम -
अदभुत खिलौना हैं |
और परिचय कराती लेखनी का कोई जवाब नही हैं |
सादर धन्यवाद ! अजय जी . आभार .
Deleteजानकारीभरी प्रस्तुति..बचपन की यादें ताजा हो गई इस प्रस्तुति से।।।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! अंकुर जी . आभार .
Deleteरोचक ... इतना तो नहीं पता था इसके बारे में ...
ReplyDeleteमस्त जानकारी है ...
हल करने की विधि भी बताया जाए
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