आज के इस वैज्ञानिक युग में भी बहुत सी ऐसी बातें हैं,जो समाज में प्राचीन काल से प्रचलित रही हैं और अब भी अंधविश्वास की श्रेणी में ही गिनी जाती हैं.इन्हीं में से एक है – दिशाशूल.
एक समय विशेष में दिशा-विशेष की यात्रा करने की बात को या मुहूर्त इत्यादि में विश्वास को आज का तथाकथित आधुनिक समाज अंध-विश्वास की श्रेणी में ही गिनता है.परन्तु ऐसे तथाकथित अंधविश्वासों का आधुनिक युग में वैज्ञानिक विश्लेषण हो रहा है.यह बात बहुत ही आश्चर्यजनक है कि उन तथाकथित अंधविश्वासों को वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त हो रही है.
पैरा-साइकोलोजी
(परा-मनोविज्ञान) तथा मेटाफिजिक्स जैसे विषयों के अंतर्गत विज्ञान की इन नवीन
शाखाओं में वैज्ञानिक प्रयोग हो रहे हैं तथा अब वे तथ्य जिन्हें आश्चर्यजनक माना
जाता था या जिनको अंधविश्वासों की श्रेणी में रखकर उपहास उड़ाया जाता था,वैज्ञानिक
धरातल पर खरे उतर रहे हैं.दिशाशूल के विषय में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार जिस
दिशा में,जिस समय या वार में दिशाशूल को सामाजिक मान्यता प्राप्त थी,उस दिशा
में,उस समय में अपेक्षाकृत अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं.कुछ दुर्घटनाओं को तो पहचानना
भी मुश्किल रहा है कि मानव-त्रुटि के कारण हुईं या उनके पीछे कोई और प्राकृतिक या
वैज्ञानिक कारण था.
ऐसा ही एक तथाकथित
अंधविश्वास है,दक्षिण दिशा की ओर पैर करके न सोया जाए.हमारे समाज में यह धारणा
प्रचलित रही है कि रात के समय में दक्षिण दिशा में पैर करके सोना स्वास्थ्य के लिए
हानिकारक,साथ ही रोग वृद्धि,धन-नाशक तथा चित्त विक्षिप्तता का कारण है.परन्तु आज के
वैज्ञानिक युग में इसे कोरा अंधविश्वास ही समझा जाएगा.यदि इस अंधविश्वास का
वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जाए तो तथ्य अवश्य सामने आते हैं.
हमारा शरीर केवल वही नहीं
है जो भौतिक दृष्टि से दिखाई देता है.इसी शरीर में ऐसी अद्भुत आश्चर्यजनक शक्तियां
भी हैं,जिनको वश में करके संसार को आश्चर्यचकित एवं भ्रमित किया जा सकता है.इनमें
से एक अदृश्य शक्ति है विद्युत.योगशास्त्र तथा तंत्रशास्त्र में इस शक्ति को वश
में करने के कई उपाय दिये गए हैं.साधक भी आश्चर्यमयी शक्तियों का ज्ञाता बन सकता
है,जैसे वशीकरण की शक्ति.हिप्टोनिज्म या मेस्मरिज्म आज के युग में नया शब्द नहीं
है.इन साधनाओं में भी विद्युतशक्ति को मान्यता प्राप्त है.
इस विद्युत शक्ति को
साधारणतया दो भागों में विभाजित किया जा सकता है – धन-विद्युत तथा ऋण-विद्युत.धन
विद्युत का निवास हमारे शरीर के ऊपरी भाग में रहता है.अर्थात् सिर,नाक,कान,आँख,गला
आदि में.ऋण विद्युत का निवास हमारे शरीर के निचले भाग में रहता है.मध्य भाग में
दोनों विद्युत शक्तियों का समन्वय होता है.इस मध्य-भाग में योगी षट्चक्रों की
स्थिति को भी मानते हैं जो सर में तालू तक फैले रहते हैं.
प्राचीन आचार्यों ने इस
विद्युत-शक्ति का सर्वाधिक प्रभाव दो छोरों पर माना है,वे दो छोर हैं-1.उत्तरी ध्रुव
2.दक्षिणी ध्रुव. दक्षिण दिशा में ऋणात्मक विद्युत सक्रिय रहती हैं तथा उत्तर दिशा
में धनात्मक विद्युत.ये दो बिंदु ही चुम्बकीय बिंदु हैं.इन बातों को ध्यान में
रखकर हम इस बात का विश्लेषण करें कि दक्षिण-दिशा में पैर करके सोने से क्या हानि है
तो कुछ बातें स्पष्ट हो जाती हैं. चुम्बक के भी दो सिरे होते हैं.यदि दो चुम्बक ले
लिए जाएं और उनके सम-सिरों को एक दुसरे के सम्मुख रखा जाए तो वे आपस में आकर्षित
होने के बजाए इस स्थिति में आ जाते हैं कि उनके दोनों सिरे सम नहीं रहते हैं.अर्थात्
उत्तरी ध्रुव कभी भी दक्षिणी ध्रुव की तरफ आकर्षित नहीं होता अपितु उत्तरी ध्रुव
की तरफ आकर्षित होता है.
तात्पर्य यह है कि दो
समानधर्मा बिन्दुओं में प्रतिरोध या तनाव की स्थिति रहती है.ऐसा तभी होता है,जब हम
दक्षिण दिशा में पैर करके सोते हैं.पैरों में भी ऋणात्मक विद्युत शक्ति सक्रिय
होती है जो सोते समय,शक्ति के व्यय न होने के कारण और भी सक्रिय हो जाती
हैं.दक्षिण दिशा में भी यही ऋणात्मक विद्युत सक्रिय रहती है.रात को सोते समय यह
ऋणात्मक विद्युत एक-दूसरे के सम्मुख हो जाती हैं और फलस्वरूप चुम्बक वाली
प्रक्रिया आरंभ हो जाती है.आपसी विरोध के कारण इन विद्युत-धाराओं का प्रभाव हमारे
तन,मन तथा बुद्धि पर पड़ता है और इनका प्रभाव हमारे सूक्ष्म शरीर तथा आत्मा पर पड़ता
है.इसके फलस्वरूप तनाव की स्थिति प्रारंभ हो जाती है,जो हमारे पूरे व्यक्तित्व को
प्रभावित करती है.
इस प्रकार जिस बात को हम
केवल अंधविश्वास कहकर टाल जाते हैं उसका हमारे व्यक्तित्व से बहुत गहरा संबंध
है.इस तथाकथित अंधविश्वास की अवहेलना के अनेक तात्कालिक परिणाम हो सकते हैं,जैसे
नींद का न आना,या नींद देर से आना,सोते समय चिंताओं का घेरे रहना,अधिक स्वप्न आना
या दु:स्वप्न आना.आधुनिक समाज में बढ़ रही
ये असामान्य बीमारियाँ केवल इस बात को ध्यान में रखकर सुलझाई जा सकती हैं.
अंततः यह कहा जा सकता है कि
जिन बातों को हम केवल अंधविश्वास कहकर टाल जाते हैं,उनके पीछे भी सूक्ष्म-विज्ञान
काम कर रहा होता है.इसलिए यदि आप दक्षिण दिशा में पैर करके सोते हैं और नींद न आने
या देर से आने जैसी तथाकथित बीमारी से ग्रस्त हैं तो आप आज रात से ही अपने पैरों
का रुख बिस्तर पर लेटते समय दूसरी दिशा में मोड़ दें.इससे वांछित परिणाम मिल सकते
हैं.