कोई उमीद बर नहीं
आती,कोई सूरत नज़र नहीं आती
मौत का एक दिन
मुअय्यन है,नींद क्यों रात भर नहीं आती
मिर्जा ग़ालिब के इस शेर के गूढ़ निहितार्थ हैं.इस शेर को लिखते समय उन्होंने भी ऐसा ही दर्द महसूस किया होगा.आम तौर पर यह समझा जाता है कि शरीर को आराम देने के लिए नींद एक आवश्यक तत्व है.नींद का संबंध मुख्य रूप से मस्तिष्क से जुड़ा हुआ है.इसलिए कवि,शायर और लेखक नींद को लेकर हाय-तौबा करते हैं.चिकित्सा विज्ञान की दुनियां ने शोध के बाद जो परिणाम निकले हैं,वे इसके विपरीत हैं.शरीर के लिए आराम बहुत जरूरी है,लेकिन आराम का अर्थ खर्राटे भरकर सोने से नहीं है.बिस्तर पर शांत होकर लेट जाइए और घंटों लेटे रहिए,आराम के लिए यह काफी है.
नींद एक अजूबी चीज है.हर
व्यक्ति को एक-सी नींद चाहिए,यह जरूरी नहीं.डॉक्टरों का कहना है कि शरीर रचना की
प्रक्रिया के साथ नींद की आवश्कता जुडी हुई है.कुछ लोग दो घंटे सोकर काम चला सकते
हैं,तो कुछ लोगों के लिए सात-आठ घंटे सोना जरूरी हो सकता है.सोने के घंटों का
संबंध आयु के साथ भी है.उदहारण के लिए,एक बच्चे को 9 से 12 घंटे तक की नींद आवश्यक
है.युवा व्यक्तियों को 6 से 8 घंटे काफी हैं,और वृद्धों के लिए 4-5 घंटे की नींद
भी बहुत हो सकती है.
डॉक्टरों ने परीक्षणों के बाद यह सिद्ध किया है कि आयु बढ़ने के
साथ-साथ नींद की आवश्यकता भी कम होती जाती है.इसलिए नींद आना या न आना चिंता का
विषय नहीं है.चिंता तब होती है,जब व्यक्ति की मानसिकता नींद की हो और आँखें बंद
करने के बाद भी नींद न आए.
मशीन और उद्योग की आधुनिक
दुनियां ने इतना अधिक तनाव उत्पन्न कर दिया है कि मस्तिष्क के स्नायु-तंतु ‘टेंस’
बने रहते हैं.उस समय आम तौर पर देखा जाता है कि पूरे शरीर में बेचैनी,दिमाग में
खिंचाव और विचारों में उग्रता आ जाती है.यह एक खतरनाक स्थिति है.इसी के बाद
क्रमशः नींद न आने की बीमारी,जिसे
‘इंसोमीनिया’ कहते हैं – शुरू हो जाती है.
अमरीका,यूरोप और रूस के देशों में इस तरह
की बीमारियाँ दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं,और अब तो वहां नींद विशेषज्ञों का एक अलग
व्यवसाय शुरू हो गया है.अक्सर देखा गया है कि नींद से त्रस्त व्यक्ति या तो नशीले
पदार्थों का सेवन शुरू कर देते हैं या नींद की गोलियां खाने लगते हैं.कुछ समय के
बाद वे भी असर करना बंद कर देती हैं,और तब वही लोग मार्फिया का भी इंजेक्शन लेना
शुरू कर देते हैं.यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका अंत नहीं है.अंत होता है – मानसिक चेतना के खो जाने में,या आत्महत्या में.
नींद की गोलियां मन और शरीर
के लिए भयंकर रूप से घातक होती हैं,यह जानते हुए भी लोग उन्हीं के आश्रित
हो,बिस्तर में जाते हैं.कभी वे आराम से सो जाते हैं,कभी करवटें बदलते रहते
हैं.नींद की दवाओं के घातक परिणामों को देखते हुए सरकार ने सार्वजानिक रूप से इसका
निषेध कर दिया है और केवल डॉक्टरों की पर्ची पर ही ये दवाएं उपलब्ध हो सकती हैं.
वस्तुस्थिति यह है कि ‘गहरी
नींद’ और ‘नींद में बहुत अंतर है. केवल दो घंटे की गहरी नींद व्यक्ति को इतना
तरोताजा बना सकती है कि वह उसके बाद शारीरिक और मानसिक कार्य करने के लिए तत्पर
हो सकता है.गहरी नींद से तात्पर्य है मस्तिष्क के सारे स्नायु-तंतुओं का पूर्ण विश्राम की
स्थिति में पहुँच जाना और शरीर के सभी अंगों का शिथिल हो जाना.धीरे-धीरे मस्तिष्क
के स्नायु तंतुओं की शिथिलता व्यक्ति के शरीर को भी प्रभावित करती है और यदि उसका
मस्तिष्क तनावग्रस्त नहीं है,तो वह शीघ्र ही गहरी नींद में सो जाता है.उधर बहुत से
व्यक्ति केवल नींद लेते हैं.वस्तुतः वह नींद की नहीं,बल्कि अर्द्धचेतना की स्थिति
है.स्वप्न देखना,सोते में चलना,दांत किटकिटाना आदि ऐसी ही स्थितियां हैं,जो यह
प्रमाणित करती हैं कि व्यक्ति नींद में नहीं बल्कि अर्द्धचेतन अवस्था में है.
अनिद्रा रोग या
‘इंसोमीनिया’ का मरीज एक या अनेक बीमारियों से ग्रस्त होता है. इसके मरीज को हमेशा
यह महसूस होता है कि वह पूरी नींद नहीं ले पा रहा है.वह एक ‘रीजनेबल’ समय में नहीं
सो पाता.ऐसे लोग पूरी रात सोने के बावजूद यह महसूस करते हैं कि उन्होंने आराम नहीं
किया और उनके शरीर को आराम की आवश्यकता है,वे भी अनिद्रा रोगी है.
नींद से संबंधित इन सभी
परेशानियों से बचने के लिए इवान्स्टन विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफ़ेसर
रिचर्ड आर. बूटजिन ने कुछ सुझाव दिए हैं...........
बिस्तर में तभी जाइए,जब आप बहुत थके हुए
हों.बिस्तर में जाकर सोने की कोशिश कीजिए और अपनी समस्याओं के बारे में मत
सोचिए.आदि आपको जल्दी ही नींद नहीं आती,तो बिस्तर से उठ जाइए और तब तक वापस बिस्तर
पर मत जाइए,जब तक आपको यह महसूस नहीं होता कि इस बार वहां जाते ही आप सो जाएंगे.इस
चक्र को तब तक दोहराते रहिए,जब तक आपको नींद नहीं आ जाती.हर सुबह जागने के लिए एक
समय निर्धारित कीजिए और रोज इसी समय के अलार्म लगाकर सोइए.सप्ताहांत में भी
ही समय पर सोकर उठिए.नियमित कार्यक्रम बनाने से आपको नींद भी नियमित रूप से आएगी.
डॉ.बूटजिन के अनुसार यदि
एकाग्रचित्त होकर कोई कार्य कर लिया जाए,जैसे पढ़ना,तो सोने में आसानी होगी.नशीली
दवाओं का प्रयोग करने की अपेक्षा ‘सम्मोहन’ से व्यक्ति अपने अनिद्रा रोग का उपचार
कर सकता है.व्यक्ति स्वयं को सम्मोहित करे और यह सोचे कि मुझे नींद आ रही है-मैं
गहरी नींद में सोने वाला हूँ,- मैं गहरी नींद में सो चुका हूँ - तो उससे
अनिद्रा-रोग दूर होने की संभावना है.
अब डॉक्टर योगाभ्यास करने का सुझाव भी देते
हैं.ध्यान या योग का यही महत्व है कि मनुष्य के शरीर की मांसपेशियां शिथिल हो
जाएँ,मस्तिष्क के स्नायु-तंतुओं में तनाव ख़त्म हो जाए और अनावश्यक विचारों को
मस्तिष्क में स्थान न मिले तथा मन एकाग्र हो जाए.इस प्रकार के उपायों का अभ्यास
थोड़े से ही दिन करने से व्यक्ति अपने अनिद्रा-रोग पर काबू पा सकता है.
प्रश्न यह उठता है कि ‘इंसोमीनिया’
या नींद न आने के पीछे कारण क्या हैं? सामान्यतः यह समझा जाता है कि पारिवारिक
विघटन,रोजगार न मिलना,व्यापार में घाटा,परीक्षा में अनुतीर्ण हो जाना या किसी
अत्यंत प्रिय व्यक्ति की मृत्यु-इस मानसिक तनाव के कारण होते हैं.भारत जैसे देश
में दांपत्य जीवन में कटुता या विवाहों का टूटना आदि इस रोग को जन्म देने में सबसे
बड़े माध्यम हैं,तो पश्चिमी देशों में सामाजिक भीड़ में रहते हुए भी अकेलेपन की
यंत्रणा ‘इंसोमीनिया’ का कारण बनती है.बहुत अधिक सोचना भी इस रोग का कारण बनता है.
वस्तुतः इन तनावों का निदान
भी व्यक्ति के ही हाथों में है.जो आत्मविश्वास वह अपने परिवेश और परिस्थितियों के
कारण खो देता है,उसी आत्मविश्वास का फिर से अर्जन करके,वह सामान्य भी बन सकता है.
मानसिक तनावों के अतिरिक्त
रात को नींद न आने के और भी कई कारण होते हैं.दोपहर में थोड़ी देर के लिए भी सो
जाने से रात को सोने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है.बहुत ज्यादा सिगरेट या कॉफ़ी
पीना भी नींद में व्याघात पहुंचाते हैं.इस तरह के मरीजों के लिए डॉ. केल्स ने कुछ सुझाव
दिया हैं.उनके अनुसार,जो रोगी प्रतिदिन इन दवाओं का बहुत अधिक मात्रा में सेवन
करते हैं,उन्हें पहले-पहल सप्ताह में एक दिन के लिए एक गोली कम करनी चाहिए,उसके
बाद दो दिन के लिए और फिर इसी प्रकार एक-एक करके इन दवाओं की आदत को कम करना चाहिए.
यदि फिर भी आपको नींद नहीं
आती,तो दुःख न मानिए,जागना अपराध नहीं है,शरीर को आराम देना जरूरी है और आराम लेटकर
भी मिल सकता है.
A very happy new year to you Rajeevji!
ReplyDeleteThanks ! Indrani ji.
Deleteबढ़िया लेख राजीव भाई , नींद कम आने की शिकायत से मैं भी गुज़र रहा हूँ , शायद इसका कारण हम सबकी चिंताएं हैं , ये चिंताएं क्यों हैं ?, मगर हमारा समाज करता हैं शायद इसलिए ये मुझे भी करनी पड़ती हैं , शायद ! आ० धन्यवाद व नव वर्ष की शुभकामनाएं
ReplyDeleteनया प्रकाशन -: जय हो विजय हो , नव वर्ष मंगलमय हो
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteनववर्ष शुभ हो मंगलमय हो !
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteनीद से जुड़े तथ्य और अनेक जानकारियों के लिए आपका आभार ...
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ...
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteशुभकामनायें आदरणीय
सादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteनीद से जुड़े तथ्य के लिए बधाई.नववर्ष शुभ हो मंगलमय हो !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteप्रयास हो शरीर मन के वश में हो न की मन शरीर के वश में .....नींद पर सुन्दर आलेख .......... नव् वर्ष कि हार्दिक शुभकामना......
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteविद्यार्थी अधिक नींद से परेशान तो वहीँ बुजुर्ग नींद न आने से !
ReplyDeleteकारण एवं सुझाव पर व्यापक दृष्टि !
बहुत बढ़िया सार्थक आलेख आभार !
ReplyDeleteआपकी निरंतर उत्प्रेरक टिप्प्णियों के लिए आभार आपका दिल से। सुन्दर प्रस्तुति है नै पोस्ट नै साल की।
ReplyDeleteअनिद्रा बोले तो इंसामनिआ कर लीजिये भाई साहब बहुत सुन्दर लेख लिखा है नींद और अनिद्रा के दीगर पहलुओं को खंगालता बेहतरीन अद्यतन आलेख।
इंसामनिएक (जिसे नीद नहीं आती )अनेक हैं। भजन ध्यान श्रवण कीर्तन समरण भी उपाय है बढ़िया नींद का।
गर्म दूध गुड़ के साथ पीजिए ,घोड़े बेचके सोइए।
अच्छी प्रस्तुति,ईश्वर का स्मरण कर और दिन भर कि समस्त बातों पर विराम दे सोने का प्रयास करें तो नींद आयेगी.ही.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
Deleteबढ़िया....पर मैं तो जम के सोता हूँ.....
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ! आभार.
ReplyDeleteगहन जानकारीपूर्ण आलेख.
ReplyDeleteसही बात....बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
सही बात...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
Extremely well written and well presented .. kudos to u
ReplyDeleteplz visit :
http://swapnilsaundaryaezine.blogspot.in/2014/01/vol-01-issue-04-jan-feb-2014.html
अति सुंदर अति सुंदर Computer Sikho
ReplyDeleteNice
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