अलेक्जेंड्रा डेविड नील |
तिब्बत आज भी रहस्यमय और
अलौकिक विद्याओं का केंद्र माना जाता है.भारतीय योगी भी अपनी साधना के लिए हिमालय
के दुर्गम और सामान्य मनुष्य की पहुंच के बाहर वाले क्षेत्रों को ही चुनते
हैं.भारत और विशेषकर तिब्बत के प्रति विदेशियों की भी शुरू से ही रूचि रही है.दो महिला लेखकों ने तिब्बती साहित्य में अमूल्य योगदान दिया है.
अलेक्जेंड्रा डेविड नील सत्रह वर्षों तक तिब्बत में रही और इस अवधि में वे अनेक
लामाओं,सिद्धों और तिब्बती तांत्रिकों से मिली.वे स्वयं भी अनेक विद्याओं में
पारंगत हो गयीं और फलतः तिब्बतियों ने उन्हें ‘लामा’ की उपाधि से अलंकृत किया.अलेक्जेंड्रा
मूलतः बेल्जियन,फ्रेंच महिला थीं,उनकी ख्याति 1924 में तिब्बती राजधानी ल्हासा के भ्रमण
को लेकर भी है,जब ल्हासा पूरी दुनियां से अनजान था.
अलेक्जेंड्रा ने 30 से ज्यादा
पुस्तकें लिखी हैं,जिनमें यात्रा,आध्यात्मिक अनुभव,दर्शन आदि से सम्बंधित
हैं.उन्होंने दो बार भारत की यात्रा की,1890-91 और पुनः 1911 में,बौद्ध साहित्य के
अध्ययन के लिए.उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में ‘विसडम फ्रॉम दि फॉरबिडन जर्नी’, 'इमोरटेलिटी एंड रिनकार्नेशन' और ‘मैजिक एंड मिस्ट्री
इन तिब्बत’ प्रमुख हैं.
उन्होंने अंतिम समय तक अपने
सचिव सिक्किम के युवा भिक्षु योंगडेन,जिन्हें उन्होंने बाद में गोद ले लिया था, के
साथ तिब्बत की कई रहस्मयी यात्राएं कीं और अंतिम समय तक लेखन कार्य करती रहीं.101 वर्ष की
उम्र में फ़्रांस में 1969 में उनका निधन हुआ और उनके नाम पर पेरिस के उप शहर मैसी
में एक सड़क का नामकरण किया गया ‘अलेक्जेंड्रा डेविड नील’. उनकी अंतिम इच्छा के
अनुसार उनकी और योंगडेन के अंतिम अवशेष को आपस में मिलकर 1973 में बनारस में
गंगा में प्रवाहित किया गया.
मैसी में अलेक्जेंड्रा के नाम की सड़क |
अलेक्जेंड्रा की तरह ही एक
और यूरोपीय महिला हैं - एलिस ए. बेली.उन्होंने भी तिब्बत की रहस्यमय विद्याओं पर
अनेक पुस्तकें लिखी हैं.बेली कभी भी तिब्बत नहीं गयीं,न उन्होंने तिब्बती विद्याओं
के संबंध में कुछ पढ़ा,लेकिन तिब्बत विषयक उनकी पुस्तकें प्रामाणिक मानी जाती
हैं.
बेली ने इसका स्पष्टीकरण दिया है.उनका कहना है कि तिब्बत के एक तांत्रिक लामा ‘खुल’ की आत्मा ने ही उनसे ये पुस्तकें लिखवायी हैं.इस संबंध में वे एक रोमांचक घटना का विवरण देती हैं.
एलिस ए. बेली |
बेली भय से सिहर
उठीं.उन्होंने घबराकर चारों ओर देखा.उन्हें पुनः सुनायी दिया,घबराओ नहीं.यह कार्य
तुम सफलतापूर्वक कर सकती हो.तीन सप्ताह का समय देता हूँ.सोच विचार कर यहीं उत्तर
देना.तीन सप्ताह तक बेली ऊहापोह में पड़ी रही.अंत में उन्होंने अदृश्य शक्ति का
आदेश मानने का निर्णय कर लिया.
तीन सप्ताह बाद वह उसी
स्थान पर गयीं और अद्रश्य व्यक्ति द्वारा प्रश्न किये जाने पर उन्होंने उसके कहे
अनुसार पुस्तक लिखने की तत्परता दर्शायी.
बाद में बेली को पता चला कि उस अदृश्य व्यक्ति का नाम खुल है.यह तिब्बती तांत्रिक बेली के मस्तिष्क में विचार पहुंचाता रहा और वह उन्हें लिखती जातीं.बेली के अनुसार तिब्बती तांत्रिक खुल की आत्मा परोपकार की भावना से कार्य करने वाले डाक्टरों,हकीमों और वैद्यों की सहायता करती है.वह उन्हें रोगी के स्वास्थ्य लाभ के लिए उपाय भी बताती हैं.
तिब्बती तांत्रिक खुल के
निर्देशों के अनुसार एलिस ए. बेली ने पांच खंडोंवाली एक वृहद् पुस्तक लिखी.इस
पुस्तक में रोगों की चिकित्सा के रूहानी उपाय बताये गए हैं.लेकिन हर व्यक्ति इन
उपायों को नहीं समझ सकता.बेली का कहना है कि 1919 से 1949 तक लामा खुल की आत्मा
विभिन्न लोगों का मार्गदर्शन करती रहीं.आज उनके ये शिष्य प्रचार से दूर रहकर
परोपकार के कार्य में लगे हुए हैं.
Keywords खोजशब्द :- Alexandra
David Neel,Alice A. Belly,Tibbetan Spiritual Writers
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (30.01.2015) को ""कन्या भ्रूण हत्या" (चर्चा अंक-1873)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteसादर आभार ! राजेंद्र जी.
Deleteतिब्बती साहित्य की रहस्यमयी लेखिकाओं के बारे में बेहद रोचक जानकारी के लिए आपका सादर धन्यवाद।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ :- WhatsApp ने अपना वेब ब्राउज़र संस्करण जारी किया
समीक्षा - अर्न टॉकटाइम ऐप (Review - Earn Talktime App)
अत्यंत शोधपरक और रोचक ढंग से लिखा गया आलेख...बधाई!!
ReplyDeleteAapka post padhker wahan jaane ki icchha aur bhi badh gayi hai.
ReplyDeleteबढ़िया जानकारीपरक आलेख
ReplyDeleteबढ़िया जानकारीपरक आलेख
ReplyDeleteअच्छी जानकारी ,धन्यवाद .
ReplyDeletebahut badhiya aur utsukta jagata lekh ...
ReplyDelete.बहुत ही बढिया जानकारी ....साझा करने के लिए आपका शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी...क्या आपने ये पुस्तकें देखी या पढ़ी हैं
ReplyDeleteरोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी प्रस्तुति हेतु आभार!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया प्रस्तुती , काश एह पुस्तके हमें हिंदी में मिल पाती....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का स्वागत है. एक बार यहाँ भी जरूर आप सभी लोग पधारे.
रोचक जानकारी...
ReplyDeleteज्ञानवर्धक जानकारी और सुन्दर लेखन भरी प्यारी प्रस्तुति
ReplyDeleteभ्रमर ५
सुन्दर आलेख
ReplyDeleteरोचक और कुछ अलग ।
ReplyDeleteबहुत गहरे अध्यन के बाद आपने ये लेख लिखा है शायद इसके पीछे भी कोई सवाब रहा हो ... तिब्बत हमेशा से ही रहस्यमय और आलोकिक भी लगता है ... जाने क्यों ...
ReplyDeleteअच्छा आलेख ...
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (01-02-2015) को "जिन्दगी की जंग में" (चर्चा-1876) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार.
Deleteबहुत रोचक लेख। मैने भी तिब्बत की शांग्रिला वैली और वहां के बौध्द मठ और लामाओं के बारे में जेम्स हिल्टन का उपन्यास लॉस्ट होरायझन पढा है। हिल्टन स्वयं भी तिब्बत में काफी वर्ष रहे। ये पुस्तकें भी पढने की उत्सुकता जगी है।
ReplyDeleteसादर आभार.
Deleteअलेक्जेंड्रा और एलिस ए. बेली के साहित्य के विषय में इतनी गहरी जानकारी लिखी है आपने ! आपकी पोस्ट बड़ी गहरी , मनोरंजक और ज्ञानवर्धक होती हैं श्री झा जी ! आप ऐसे विषयों को छूटे हैं जो अलग तरह के होते हैं ! लिखते रहिये
ReplyDeleteसादर आभार ! योगी जी.
Deleteitni gahri jankari...mugdh hun
ReplyDeleteतिब्बत के रहस्य से रूबरू कराने लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteWhat a great post!lingashtakam I found your blog on google and loved reading it greatly. It is a great post indeed. Much obliged to you and good fortunes. keep sharing.shani chalisa
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