Thursday, January 5, 2017

कुछ रंग इनके भी


फ़िल्मी गीत,संगीत से इतर कुछ गीत,नज्म क्या दिल के करीब हैं आपके? जाहिर है,हममें से बहुतों के होंगें.कई गीत,नज्म जो किसी फिल्म के हिस्सा नहीं बने लेकिन हम सब के दिलों के बहुत करीब हैं और जेहन में बसते हैं.

जानी बाबू और युसूफ आजाद काफी बड़े कव्वाली गायक रहे हैं.लेकिन जानी बाबू का एक नज्म जो बहुत चर्चित नहीं हो सका वह मेरे दिल के बहुत करीब है....

खिलौनों की बारात गुड़ियों की शादी
तेरा शहजादा मेरी शहजादी
तुझे याद हो या न हो लेकिन
मुझे याद आते हैं बचपन के वो दिन

मुझे मोहित चौहान तबसे पसंद रहे हैं जबसे 90 के दशक में उनके बैंड सिल्क रूट का एलबम बूँदें निकला था.
इसका एक गीत तो मुझे आज भी बहुत पसंद है.....

डूबा-डूबा रहता हूँ
आँखों में तेरी
दीवाना बन गया हूँ
चाहत में तेरी

उषा उथुप भी मेरी पसंदीदा गायिका रही हैं और कई बार उनका लाईव शो भी देखा है.जब वे स्टेज पर रहती हैं पूरी तरह छाई रहती हैं और दर्शकों,श्रोताओं से संवाद बनाने में माहिर हैं.एक गीत जो कुछ अन्य बांग्ला गायिकाओं ने भी सुरों से नवाजा है लेकिन उषा उथुप की आवाज में खूब फबते हैं.....

आहा तुमि सुंदरी कोता.....
कोलकाता

उषा उथुप का 80 के दशक में एक एलबम आया था जिसके गीत हालांकि ज्यादा चर्चित नहीं हुए लेकिन वे अपने स्टेज शो में अक्सर गाती रही हैं.....

आज मेरे घर आयेंगे साजन
छम छम नाचूंगी मैं
छोड़ो जी छोड़ो मेरा आंचल
बाली उमर है अभी मेरी
शरमा जाउंगी हाय मैं घबरा जाउंगी

चंदन दास काफी लोकप्रिय गजल गायक रहे हैं और उनकी गजलें मुझे भी बहुत पसंद हैं लेकिन 90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक ‘फिर वही तलाश’ में बशीर बद्र के लिखे और चंदन दास की सुरों से सजे गजल आज भी मुझे चंदन दास के सबसे उम्दा गजल लगते हैं......

मेरे हमसफ़र मेरे साथ तुम 
सभी मौसमों में रहा करो  

फिर इसका टाइटिल गीत .......

कभी हादसों की डगर मिले
कभी मुश्किलों का सफ़र मिले
ये चिराग हैं मेरी राह के,
मुझे मंजिलों की तलाश है

18 comments:

  1. Jaani Babu, Yusuf aur Bashir Badr...ek guzraa hua daur yaad karaa diya aapne, Rajeev bhai:) Shukriya:):)

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  2. बहुत सुन्दर रोचक प्रस्तुति
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. आपकी रचना बहुत सुन्दर है। हम चाहते हैं की आपकी इस पोस्ट को ओर भी लोग पढे । इसलिए आपकी पोस्ट को "पाँच लिंको का आनंद पर लिंक कर रहे है आप भी कल शुक्रवार 6 जनवरी 2017 को ब्लाग पर जरूर पधारे ।

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  4. चंदन दास ... न जी भर के देखा .... भूपेन्द्र ... आहट सी कोई आये ... मेहता जी, और भी कई ग़ज़ल और गीत कार हैं जो यादों में रहते हैं ... बहुत ही रोचक पोस्ट ... जनम दिन ही हार्दिक बधाई ...

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  5. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’प्रकाश पर्व की शुभकामनाओं सहित ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  6. बात जब पसंदीदा गीत और ग़ज़ल की हो तो मेरी लिस्ट लंबी हो जाती है। आपकी सभी गीत/ग़ज़ल मेरे भी लिस्ट में शामिल है। सुंदर प्रस्तुति।

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  7. बढ़िया रंग हैं

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  8. हममेंं से ज्‍यादतर लोग फिल्‍मी गीत संगीत को ही गीत संगीत मान लेते हैं। गीत संगीत का दायरा सिर्फ फिल्‍मों तक सीमित नहीं है। हम सबको लोकसंगीत और लोकगीतों की और अपना रूझान बढ़ाना चाहिए।

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  9. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-01-2017) को "पढ़ना-लिखना मजबूरी है" (चर्चा अंक-2577) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  10. Wonderful post Rajeev Ji..makes one nostalgic..:)

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  11. बद्र साहब ए शेर मुझे भी बहुत पसंद है । उनके कुछ शेर बहुत ही सच्चे हैं जैसे एक ये की
    बड़े लोगों से मिलने में में हमेशा फासला रखना.
    जहां दरिया समंदर में मिला, दरिया नहीं रहता

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  12. बहुत ही बढ़िया article है। ........ very nice and with awesome depiction .... Thanks for sharing this!! :)

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  13. गीत आज भी लिखे और गाए जाते
    मगर कुछ गीत हमेशा हमारे ज़हन में जिंदा रहेंगे।
    http://savanxxx.blogspot.in

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