इन दिनों क्रिसमस की धूम
है.क्रिसमस के अवसर पर संत निकोलस का बहुत महत्त्व है.बच्चे अभी भी विश्वास करते
हैं या यों कहें कि उन्हें विश्वास दिलाया जाता है कि वह क्रिसमस की रात को आता है
और उनके लिए उपहार रखकर चला जाता है.उसका महत्त्व देवदूत के समान माना जाता है.उसकी
पोशाक साधारणतः सफ़ेद और लाल तथा उसकी दाढ़ी सफ़ेद होती है.उम्र में वह प्रायः प्रौढ़
या वृद्ध होता है.
बच्चों की यह धारणा रहती है कि क्रिसमस के अवसर पर वह स्वयं स्वर्ग से उतरकर उन्हें खुश करने और उपहार देने आता है.वह उनसे विविध प्रकार के प्रश्न पूछता है और उनसे बाइबिल तथा क्रिसमस की प्रार्थनाएं सुनता है.बाद में अच्छे बनने की सलाह देकर उन्हें कैंडी,फल,खिलौने आदि बांटकर,प्यार कर विदा हो जाता है.
संत निकोलस के प्रति
प्रायः सभी यूरोपीय देशों में पर्याप्त आदर एवं श्रद्धा है.बच्चों को संत निकोलस
की कथा इस प्रकार बताई जाती है कि निकोलस बचपन में ही अनाथ हो गया था.बाद में अपने
अच्छे कार्यों से तथा ईसा के प्रति भक्ति-भावना होने के कारण वह अपने शहर का
मेयर चुन लिया गया.बाद में रोमन सम्राट डायक्लेशियन के समय उसे देश निकाला
दे दिया गया,क्योंकि वह सम्राट को नहीं मानता था.अतः
संत निकोलस को कई वर्षों तक जगह-जगह भटकना पड़ा तथा भूखे-प्यासे रहने के अलावा और
भी यंत्रणाएं सहनी पड़ीं.बाद में कांस्टेटाइन के राज्य में उसके साथ अच्छा व्यवहार
किया गया.वह सदा दीन-दुखियों की सहायता करता था,बीमारों की
सेवा करता था और बच्चों को विशेष प्यार करता था.
संत निकोलस का ही एक अन्य
रूप ‘सांता क्लौस’ वस्तुतः
अमेरिकी देन है.धर्मसुधार आंदोलन के परिणामस्वरूप यूरोप में जो बहुत सी प्रथाएं
बंद कर दी गयीं,उनमें संत निकोलस का भी था. अतः निकोलस का
स्थान अब सांता क्लौस नामक एक अन्य व्यक्ति को दे दिया गया.फादर क्रिसमस और संत
निकोलस का संयुक्त रूप ‘सांता क्लौस’ है.उनकी
पोषाक एवं वेशभूषा भी निकोलस के समान ही मानी गई है.
आजकल तो सांता क्लौस के
बिना बच्चों का क्रिसमस पूरा नहीं होता.बच्चे सांता क्लौस के नाम पत्र भेजते हैं
और लिखते हैं कि उन्हें क्रिसमस के अवसर पर क्या चाहिए.बाद में घर का प्रधान
व्यक्ति ही सांता क्लौस बनकर बच्चों को उपहार दे जाता है.यूरोप में ठंढ अधिक होने
के कारण वहां प्रायः सभी घरों में पहले लकड़ी और कोयले की आग जलाकर कमरे गरम रखे
जाते थे.आग का धुंआ बाहर निकलने के लिए घरों के ऊपर चिमनी बनाई जाती थी.
आजकल भी ग्रीक घरों में गैस,लकड़ी या कोयले का उपयोग गरमी के लिए किया जाता है.उनमें धुंआ बाहर निकलने के लिए चिमनी बनी होती है.बच्चों का विश्वास है कि रात को जब वे सो जाते हैं तब ‘सांता’ चिमनी के रास्ते अंदर आकर उनकी ऐच्छिक वस्तुएं दे जाता है.सुबह उठकर वे अपनी वस्तुओं की तलाश करते हैं.वे चीजें उन्हें कभी जूतों के अंदर रखी मिलती हैं,कभी तकिये के नीचे,कभी अपने कपड़ों की जेबों में और कभी अन्यत्र.
जहाँ-जहाँ क्रिसमस मनाने
की प्रथा है,वहां के बच्चों के मुंह पर सांता क्लौस या
फादर क्रिसमस का नाम हमेशा रहता है.यूरोप और अब दुनियां भर के देशों में बड़ी-बड़ी
दुकानों में खिलौने वाले काउंटर पर दुकान का ही एक व्यक्ति सांता क्लौस की पोशाक
पहनकर बैठ जाता है.बच्चे जब उन्हें अपनी इच्छा बताते हैं कि उन्हें क्रिसमस पर
क्या चाहिए,तब वह उनका पता पूछ लेता है.बाद में माता-पिता की
इच्छानुसार एक सहमति से वह चीज दुकान की और से उनके घर भेज दी जाती है.
बड़े-बड़े स्टोरों में
सांता का आगमन बड़े धूम-धड़ाके से होता है.स्टोर की ओर से कई दिन पहले से ही
समाचार-पत्रों में विज्ञापन छपने लगते हैं कि अमुक दिन फादर क्रिसमस बड़े साज-सामान
के साथ स्टोर में आने वाले हैं.अतः अपने सांता का स्वागत करने के लिए बच्चे अधिक
से अधिक की संख्या में स्टोर के बाहर एकत्रित हों.स्टोर में सांता के आगमन के लिए
प्रायः छुट्टी का दिन ही चुना जाता है ताकि अधिक से अधिक बच्चे एकत्र हों.
सांता के आगमन के पहले से
ही बच्चों की भीड़ स्टोर के बाहर सांता की प्रतीक्षा करती रहती है और नियत समय पर
सांता बर्फ पर रेंडियर द्वारा खींची जा रही अपनी गाड़ी में आता है.न तो गाड़ी को
खीचने वाले रेंडियर और न ही बर्फ असली होती है.इस विशेष अवसर के लिए गाड़ी में फोम
के टुकड़े इस तरह बिछा दिया जाते है कि दूर से देखने पर बर्फ का आभास हो.रेंडियर की
शक्ल में प्लास्टिक के बने हुए विशाल जानवर गाड़ी के आगे जोते जाते हैं.इससे लगता
है मानो उसे रेंडियर खींच रहा हो.
स्कूलों,ऑफिस,क्लबों आदि में विशेष रूप से आयोजित
क्रिसमस-पार्टियों में सांता क्लौस अपना लम्बा झोला लटकाए आता है और पार्टी के अंत
में बच्चों को उपहारों के पैकेट बांटता है.क्रिसमस के अवसर पर घर में तथा बाहर
होने वाली सजावट में भी फादर किसी न किसी प्रकार अपना स्थान बना ही लेते हैं.
दुकानों में महीनों पहले
से ही तरह-तरह के आकार की साबुनें,पैकेट,बॉक्स तथा सांता के चित्र छपे हुए पैकिंग कागज,प्लास्टिक
बैग आदि कितनी ही चीजें मिलने लगती हैं.ये केवल क्रिसमस के लिए ही विशेष रूप से
तैयार की जाती हैं और प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में बिकती हैं.स्टोरों,ऑफिसों,क्लबों तथा अस्पतालों में भी सांता की आदमकद
मूर्तियाँ रखी जाती हैं.बधाई कार्डों पर सांता के तरह-तरह के चित्र छपते हैं तथा
इस दिन आप कहीं भी निकल जाएं,सांता से किसी न किसी रूप में
अवश्य भेंट हो जाएगी.
Keywords खोजशब्द :- Christmas Gifts,Christmas Stores,Santa Claus,Saint Nicholas
सुंदर आलेख.
ReplyDeleteआज कल मार्केटिंग का ज़माना है ... बाज़ार ने सब कुछ हतिया लिया है ...त्यौहार ख़ास कर अपना स्वरुप बदल रहे हैं ...
ReplyDeleteबहुत सही
ReplyDeleteबढ़िया ।
ReplyDeletebahut kuch janane ko mila.....
ReplyDeleteबढ़िया आलेख |
ReplyDeleteसंत निकोलस के बारे में स्कूल में पढ़ा था ..आज आपने क्रिसमस का मौके पर बहुत बढ़िया जानकारी प्रस्तुत की ..बहुत अच्छा लगा ..धन्यवाद..
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें!
सुंदर सामायिक ! आभार आपका
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आलेख !
ReplyDeleteभूलना चाहता हूँ !
bhut sundar nice aaleh
ReplyDeleteसंत निकोलस के बारे में स्कूल में पढ़ा था ! आज आपने क्रिसमस के मौके पर बहुत बढ़िया जानकारी प्रस्तुत की श्री राजीव झा जी !बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें!
आपने क्रिसमस का मौके पर बहुत बढ़िया जानकारी प्रस्तुत की ..बढ़िया आलेख ..धन्यवाद.
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