अहले सुबह
सोकर उठा ही था कि मोबाईल की घंटी बजनी शुरू हो गई.फोन उठाया ही था कि मेरी आवाज
सुने बिना ही उधर से आवाज आने लगी,’मी कांता बाई आहे.....’.मराठी में करीब तीन-चार
मिनट की शिकायत भरे लहजे से आभास हुआ कि कोई कांता बाई देशमुख बोल रही थी और कह
रही थी कि वह आज काम पर नहीं आएगी.लगा मोबाईल के क्रॉस कनेक्शन का मामला है.जिसके
लिए फोन किया था,पता नहीं उस पर क्या बीती होगी.
साल में एक-दो बार मुंबई आने-जाने के क्रम में
मराठी की दो-चार बातें भी समझ में आने लगी हैं.मुंबई फोन लगाओ तो व्यस्त टोन के साथ
मराठी में रिकार्डेड पंक्तियाँ चलने लगती हैं.थक हारकर एक दिन उन पंक्तियों का
मतलब भी कस्टमर केयर से पूछ लिया था.
लेकिन यहाँ तो
मोबाईल के क्रॉस कनेक्सन का मामला था.हममें से अधिकतर को मोबाईल के क्रॉस कनेक्शन
का सामना करना पड़ता है.न चाहते हुए भी दूसरों की बातें सुननी पड़ जाती हैं.जेहन में कल्पित व्यक्ति का अक्स उभरने लगता है.कल्पना के घोड़े तो
यूँ ही बेलगाम दौड़ते रहते हैं.उस पर रोक कहाँ संभव है?
कुछ साल पहले जब मोबाईल का नया नया कनेक्शन लिया था तब भी क्रॉस कनेक्शन आते थे.एक बार किसी ने फोन कर रहा कि लालू जी से बात करवाइए न! शायद पूर्व मुख्यमंत्री लालू जी के पी.ए. का क्रॉस कनेक्सन लग गया था.कई दिनों तक सोचता रहा कि आखिर हममें समानता क्या है?.मेरा उनकी पार्टी से दूर दूर तक नाता नहीं रहा है.
कुछ साल पहले जब मोबाईल का नया नया कनेक्शन लिया था तब भी क्रॉस कनेक्शन आते थे.एक बार किसी ने फोन कर रहा कि लालू जी से बात करवाइए न! शायद पूर्व मुख्यमंत्री लालू जी के पी.ए. का क्रॉस कनेक्सन लग गया था.कई दिनों तक सोचता रहा कि आखिर हममें समानता क्या है?.मेरा उनकी पार्टी से दूर दूर तक नाता नहीं रहा है.
कुछ साल पहले खबर
आई थी कि कर्नाटक के रायचूर जिले के वीरेश का फोन क्रॉस कनेक्शन के चक्कर में तत्कालीन
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ‘हिना रब्बानी खार’ से जा लगा था.अब
वीरेश ने मोहतरमा से क्या बातें की होंगी.दो-चार इश्को-मोहब्बत की बातें तो आजकल इन मौकों
पर हो ही जाती हैं. बन्दे ने यह तो न पूछा होगा कि आप कौन सी कंपनी का बैग
इस्तेमाल करती हैं,या कितने हजार डॉलर में टोरंटो या मनीला
से खरीदीं.यह भी न पूछा होगा कि आप कौन सा परफ्यूम इस्तेमाल करती हैं.
जाहिर है ऐसे मौकों का इस्तेमाल करना यहाँ के युवक बखूबी जानते हैं.शान में वो सब कशीदे पढ़ने लगते हैं कि शीरी-फरहाद भी बगलें झाँकने लगें. नाहक ही आईबी और आई.एस.आई वाले पीछे पड़ गए.
वैसे हिना रब्बानी जब भारत आईं थीं तब मीडिया वाले भी इसी तरह पीछे पड़े थे.उनके चेहरे और बैग पर ही ज्यादा फोकस रहता था.टी.वी. एंकर घंटों इस बात को दिखाते रहे थे कि उनका बैग किस कंपनी का है, कौन सा परफ्यूम इस्तेमाल करती हैं,वगैरा…वगैरा.
क्रॉस कनेक्शन आजकल आम बात हो गई है.इसकी वजह से ही कई जोड़ियाँ बन गईं.कई लोगों की जिंदगियां बदल गई हैं,कईयों को तो लाईफ पार्टनर तक मिल गए हैं.एक बार क्रॉस कनेक्शन होते ही सीधे कनेक्शन का सिलसिला चल पड़ता है.साथ-साथ जीने मरने की कसमें खाई जाने लगती हैं,बंदा एक नए ताजमहल के सृजन का सपना देखने लगता है और मुग़ल बादशाह को कोसने से बाज नहीं आता………
“किसी शहंशाह ने बनाकर खूबसूरत ताजमहल
हम ग़रीबों के मुहब्बत का मजाक उड़ाया है”
लेकिन यह नामुराद क्रॉस कनेक्शन भी तो सबके भाग्य में नहीं लिखा होता.हमें तो ईर्ष्या हो रही है वीरेश से.काश ! अपना ही क्रॉस कनेक्शन लग जाता हिना रब्बानी जी से तो दिल का हाल खोल कर रख पाते या नहीं,नहीं मालूम. अक्सर ऐसे मौकों पर अपनी आवाज दगा दे जाती है और मन की बात मन में ही रह जाती है.
जाहिर है ऐसे मौकों का इस्तेमाल करना यहाँ के युवक बखूबी जानते हैं.शान में वो सब कशीदे पढ़ने लगते हैं कि शीरी-फरहाद भी बगलें झाँकने लगें. नाहक ही आईबी और आई.एस.आई वाले पीछे पड़ गए.
वैसे हिना रब्बानी जब भारत आईं थीं तब मीडिया वाले भी इसी तरह पीछे पड़े थे.उनके चेहरे और बैग पर ही ज्यादा फोकस रहता था.टी.वी. एंकर घंटों इस बात को दिखाते रहे थे कि उनका बैग किस कंपनी का है, कौन सा परफ्यूम इस्तेमाल करती हैं,वगैरा…वगैरा.
क्रॉस कनेक्शन आजकल आम बात हो गई है.इसकी वजह से ही कई जोड़ियाँ बन गईं.कई लोगों की जिंदगियां बदल गई हैं,कईयों को तो लाईफ पार्टनर तक मिल गए हैं.एक बार क्रॉस कनेक्शन होते ही सीधे कनेक्शन का सिलसिला चल पड़ता है.साथ-साथ जीने मरने की कसमें खाई जाने लगती हैं,बंदा एक नए ताजमहल के सृजन का सपना देखने लगता है और मुग़ल बादशाह को कोसने से बाज नहीं आता………
“किसी शहंशाह ने बनाकर खूबसूरत ताजमहल
हम ग़रीबों के मुहब्बत का मजाक उड़ाया है”
लेकिन यह नामुराद क्रॉस कनेक्शन भी तो सबके भाग्य में नहीं लिखा होता.हमें तो ईर्ष्या हो रही है वीरेश से.काश ! अपना ही क्रॉस कनेक्शन लग जाता हिना रब्बानी जी से तो दिल का हाल खोल कर रख पाते या नहीं,नहीं मालूम. अक्सर ऐसे मौकों पर अपनी आवाज दगा दे जाती है और मन की बात मन में ही रह जाती है.
अब तो यही ख़यालात दिल को बेचैन कर देता है कि………
“अपने मन को जाहिर करने का
दुनियां में बहुत बहाना
किन्तु किसी में माहिर होना
हाय! न मैंने अब तक जाना
जब-जब मेरे उर में सुर में
द्वन्द हुआ है,मैंने देखा
उर विजयी होता,
सुर के
सिर हार मढ़ी ही रह जाती है’.
(हरिवंश राय बच्चन की कविता से साभार)
Keywords खोजशब्द :- Mobile,Cross-Connection,Humor
अच्छा है है ही नहीं क्रोस कनेक्शन के कोई चाँस यहाँ नहीं :) बढ़िया ।
ReplyDelete''मी कांता बाई देशमुख आहे'' बहुत ही अच्छा आर्टिकल है। इसे पढ़कर अच्छा लगा। पढ़ने वालों को तनिक भी बोरियत या बोझिलता का अहसास नहीं होगा। हिना रब्बानी का अच्छा जिक्र किया। इस लिंक पर मेरी नई पोस्ट मौजूद हैं।
ReplyDeleteअच्छा लेख.......
ReplyDeleteबहुत अच्छा आलेख ... पर अब टेक्नोलोजी अच्छी हो गयी है क्रोस-कनेक्शन न के बराबर ही लगते हैं ... होली की शुभकामनायें ...
ReplyDeletebahut badhiya ...padh kar man khush ho gya..
ReplyDeleteरंगों के महापर्व होली की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (06-03-2015) को "होली है भइ होली है" { चर्चा अंक-1909 } पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार.
Deleteहोली की शुभकामनाएं !
सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत अच्छा लेख...आपको और आपके पूरे परिवार को रंग पर्व होली की रंग भरी शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteअच्छा लिखा है आपने , हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteकाश हमारा भी किसी से क्रोस-कनेक्शन हो पता.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
bahut accha....puri samay bandh kar rakha apki rachna ney
ReplyDeleteहोली की असीम शुभकामनायें ..... आलेख सशक्त है .... क्रॉस कनेक्शन कई बार झेल चुकी हूँ मैं भी
ReplyDeleteबहुत रोचक प्रस्तुति...
ReplyDeleteलेकिन यह नामुराद क्रॉस कनेक्शन भी तो सबके भाग्य में नहीं लिखा होता.हमें तो ईर्ष्या हो रही है वीरेश से.काश ! अपना ही क्रॉस कनेक्शन लग जाता हिना रब्बानी जी से तो दिल का हाल खोल कर रख पाते या नहीं,नहीं मालूम. अक्सर ऐसे मौकों पर अपनी आवाज दगा दे जाती है और मन की बात मन में ही रह जाती है.मोबाइल के मामले में ही नहीं लैंड लाइन पर भी ऐसे किस्से मजेदार हो जाते हैं ! आप इजाजत दें तो मैं अपनी बात कहूँ ! ये मथुरा की बात है , मैं जिस कंपनी में काम करता था वहां उन्होंने मेरे कमरे में एक लैंडलाइन नंबर दे रखा था ! रात को कोई 2 -3 बजे की बात होगी ! फोन बजा , मैंने उठाया तो उधर से आवाज़ आई , पुलिस चौकी से ! मैं रात में उठने में झल्लाया सा था ! में ने कह दिया हाँ ! बोला आप एस आई बोल रहे हैं , मैं फलां फलां जगह से फलां फलां कांस्टेबल बोल रहा हूँ ! आपके पास कितना स्टाफ है अभी , मैंने एमें ही बोल दिया ! अगली सुबह पता चला कोई पास में ही झगड़ा हो गया था ! मस्त और मजेदार पोस्ट है आपकी
ReplyDeleteबहुत खूब ! योगी जी.
Deleteऐसे ही एक क्रॉस कनेक्शन में किसी की बीबी का कॉल आ टपका था जो अपने रूठे पति को शहद जैसी मीठी आवाज़ में मना रही थी
ReplyDeleteमन तो नहीं कर रहा था फोन छोड़ने को लेकिन अफसोस एक मीटिंग में था. मन मार कर कॉल काटी :(
बहुत खूब !
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