इधर हाल में मल्लिका मैम की फिल्म फिर से देखने को
मिली.पिछले कई सालों से बॉलीवुड से गायब थीं.हॉलीवुड में काम के नाम पर अमेरिका
में इधर-उधर घूमने के बाद दुबारा जब से फिल्मों में सक्रिय हुई तो फिर से वही पुराना रोल. उस तरह के रोल करने
वालों की अब एक नई पौध तैयार हो गई है इमरान हाशमी अब नई अभिनेत्रियों के साथ
व्यस्त हो गए हैं.ले देकर अब ओमपुरी ही बचे हैं.
हिंदी फिल्मों का एक ट्रेंड बड़ा पुराना है.अभिनेता तो चिर जवां रहता है और 50-55 की उम्र होने पर भी फिल्मों में कॉलेज जाते हुए और रोमांस करते दिखता है जबकि अभिनेत्रियों को 30-35 पर पहुँचते ही चरित्र अभिनेत्रियों के रोल ऑफर होने लगते हैं.
कुछ साल पहले मल्लिका मैम(अरे! वही,अपनी मल्लिका सहरावत) ने बड़ा शिगूफ़ा छेड़ा था और ‘किस’ सिखाने का स्कूल खोलने वाली थी. बड़े जोर शोर से इसका प्रचार भी किया था.पता नहीं सीखने वाले नहीं मिले या इरादा बदल गया.भावी अभिनेता,अभिनेताओं को भी प्रशिक्षण मिल जाता तो अच्छा रहता ताकि फिल्मों में असहज महसूस नहीं करते.
वैसे ‘किस’ करने के मामले में भारतीय बड़े असहज महसूस करते हैं.इस तरह किस करते हैं,मानो सामने वाले को स्वाइन फ़्लू हो.इस संबंध में बराक ओबामा साहब से टिप्स लेना चाहिए था जो उस दिन हिंदी में कुछ बोलते बोलते रुक गए थे. शायद वे कहना कहते थे सीनोरिटा बड़े बड़े लोगों में किस करने का अंदाज अलग होता है.ओबामा साहब भी किस के मामले में बड़े एक्सपर्ट हैं.इस तरह किस करते हैं मानो सामने वाले को सूंघ रहे हों कि कोई बीमारी-विमारी तो नहीं है.यकीं न हो टी.वी. देख लें.
मल्लिका जी का स्कूल चल जाता तो यह भी सीखने को मिलता कि किस-किस को किस करना है और कैसे करना है.चीन में किस के बहाने होठों के काट खाने की घटना हो चुकी है.सो इस विद्या का सोच समझ कर और देख- भाल कर प्रयोग किया जाना आवश्यक है.
कॉलेज के दिनों में तो हमने भी खूब फ्लाईंग किस के अभ्यास किये थे.हालत यह हो गई थी कि साँस लेने पर गले से सीटी की आवाज आती थी. पर होनी को कौन टाल सकता है.गलती से एक दिन फ्लाईंग किस अपनी सहपाठी की जगह मिस्ड कॉल की तरह साइकोलॉजी की मैडम घोष को जा लगी.उन्होंने बांग्ला मिश्रित हिन्दी में वो लंतरानियाँ भेजी कि वो दिन और आज का दिन, फिर कभी हथेली का धूल झाड़ने के लिए भी फूंक नहीं मारी.
वैसे इस ‘किस’ स्कूल से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होने वाला था.टूथपेस्ट बनाने वालों की बिक्री बढ़ जाती.दन्त चिकित्सकों की गाड़ी दौड़ने लगती.आखिर सुन्दर मोतियों से दांत का सवाल है.
अपना देश वैसे भी पान,गुटखा,किस्म-किस्म के पान मसालों, तम्बाकू,बीड़ी,सिगरेट आदि के लिए कुख्यात है. ‘किस’ स्कूल चालू हो जाता तो ये सब खुद ब खुद बंद हो जाते. स्वास्थ्य विभाग को गुटखा,पान-मसालों, सिगरेट के पैकेटों पर भूत – प्रेत के चित्र लगाने से छुटकारा मिल जाता.किस स्कूल के फायदे ही फायदे हैं.
मल्लिका मैम तो वैसे भी आजकल फ्री हैं. हॉलीवुड-बॉलीवुड का चक्कर छोड़कर यदि फिर से इसी में ध्यान लगाएं तो कुछ ही दिनों में फ़ोर्ब्स की सूची में अपना नाम लिखवा सकती हैं.अपनी भी यही इच्छा है कि इस स्कूल से प्रशिक्षण ले लें तो क्या पता एक और ‘भींगे होठ तेरे’ का सृजन हो जाये.
सो अब तो सोते जागते सिर्फ यही गुनगुनाने का का मन करता है कि…….
हम भी हैं,तुम भी हो
दोनों हैं आमने सामने
किस तरह ‘किस’ दें
कि बदल जाएं प्यार के मायने.
Keywords खोजशब्द :- Art of Kiss,Kiss School,Humor
हिंदी फिल्मों का एक ट्रेंड बड़ा पुराना है.अभिनेता तो चिर जवां रहता है और 50-55 की उम्र होने पर भी फिल्मों में कॉलेज जाते हुए और रोमांस करते दिखता है जबकि अभिनेत्रियों को 30-35 पर पहुँचते ही चरित्र अभिनेत्रियों के रोल ऑफर होने लगते हैं.
कुछ साल पहले मल्लिका मैम(अरे! वही,अपनी मल्लिका सहरावत) ने बड़ा शिगूफ़ा छेड़ा था और ‘किस’ सिखाने का स्कूल खोलने वाली थी. बड़े जोर शोर से इसका प्रचार भी किया था.पता नहीं सीखने वाले नहीं मिले या इरादा बदल गया.भावी अभिनेता,अभिनेताओं को भी प्रशिक्षण मिल जाता तो अच्छा रहता ताकि फिल्मों में असहज महसूस नहीं करते.
वैसे ‘किस’ करने के मामले में भारतीय बड़े असहज महसूस करते हैं.इस तरह किस करते हैं,मानो सामने वाले को स्वाइन फ़्लू हो.इस संबंध में बराक ओबामा साहब से टिप्स लेना चाहिए था जो उस दिन हिंदी में कुछ बोलते बोलते रुक गए थे. शायद वे कहना कहते थे सीनोरिटा बड़े बड़े लोगों में किस करने का अंदाज अलग होता है.ओबामा साहब भी किस के मामले में बड़े एक्सपर्ट हैं.इस तरह किस करते हैं मानो सामने वाले को सूंघ रहे हों कि कोई बीमारी-विमारी तो नहीं है.यकीं न हो टी.वी. देख लें.
मल्लिका जी का स्कूल चल जाता तो यह भी सीखने को मिलता कि किस-किस को किस करना है और कैसे करना है.चीन में किस के बहाने होठों के काट खाने की घटना हो चुकी है.सो इस विद्या का सोच समझ कर और देख- भाल कर प्रयोग किया जाना आवश्यक है.
कॉलेज के दिनों में तो हमने भी खूब फ्लाईंग किस के अभ्यास किये थे.हालत यह हो गई थी कि साँस लेने पर गले से सीटी की आवाज आती थी. पर होनी को कौन टाल सकता है.गलती से एक दिन फ्लाईंग किस अपनी सहपाठी की जगह मिस्ड कॉल की तरह साइकोलॉजी की मैडम घोष को जा लगी.उन्होंने बांग्ला मिश्रित हिन्दी में वो लंतरानियाँ भेजी कि वो दिन और आज का दिन, फिर कभी हथेली का धूल झाड़ने के लिए भी फूंक नहीं मारी.
वैसे इस ‘किस’ स्कूल से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होने वाला था.टूथपेस्ट बनाने वालों की बिक्री बढ़ जाती.दन्त चिकित्सकों की गाड़ी दौड़ने लगती.आखिर सुन्दर मोतियों से दांत का सवाल है.
अपना देश वैसे भी पान,गुटखा,किस्म-किस्म के पान मसालों, तम्बाकू,बीड़ी,सिगरेट आदि के लिए कुख्यात है. ‘किस’ स्कूल चालू हो जाता तो ये सब खुद ब खुद बंद हो जाते. स्वास्थ्य विभाग को गुटखा,पान-मसालों, सिगरेट के पैकेटों पर भूत – प्रेत के चित्र लगाने से छुटकारा मिल जाता.किस स्कूल के फायदे ही फायदे हैं.
मल्लिका मैम तो वैसे भी आजकल फ्री हैं. हॉलीवुड-बॉलीवुड का चक्कर छोड़कर यदि फिर से इसी में ध्यान लगाएं तो कुछ ही दिनों में फ़ोर्ब्स की सूची में अपना नाम लिखवा सकती हैं.अपनी भी यही इच्छा है कि इस स्कूल से प्रशिक्षण ले लें तो क्या पता एक और ‘भींगे होठ तेरे’ का सृजन हो जाये.
सो अब तो सोते जागते सिर्फ यही गुनगुनाने का का मन करता है कि…….
हम भी हैं,तुम भी हो
दोनों हैं आमने सामने
किस तरह ‘किस’ दें
कि बदल जाएं प्यार के मायने.
Keywords खोजशब्द :- Art of Kiss,Kiss School,Humor
बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteहोली में कुछ ज्यादा ही ही चढ़ गई जो अभी तक नहीं उतरी. इस लेख को पढ़ कर मल्लिका समाज सेवा के नाम पर एक किस तो आपको दे ही सकती है. हा हा हा ....
ReplyDelete😂
ReplyDelete😂
ReplyDeleteहम भी हैं,तुम भी हो
ReplyDeleteदोनों हैं आमने सामने
किस तरह ‘किस’ दें
कि बदल जाएं प्यार के मायने..................kya baat hai!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-03-2015) को "माँ पूर्णागिरि का दरबार सजने लगा है" (चर्चा अंक - 1917) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार.
Deleteराजीव भाई आपने अपने लेख में बहुत ही मुददे की बात उठाई है। बॉलीवुड में अभिनेता बूढ़े नहीं होते बल्कि उम्रदराज तो सिर्फ अभिनेत्रियां ही होती हैं।
ReplyDeleteबच के रहना रे भाई ...मल्लिका के जलवे निराले हैं
ReplyDeleteज़माने का कमल है
भ्रमर ५
सादर आभार ! आ. भ्रमर जी. काफी दिनों बाद दिखे.
Deleteवाह ... मज़ा आया पढ़ के ...
ReplyDeleteप्यार के मायने बदल सकें तो एक क्या हजार "..." कबूल हैं ... कई पहलुओं को छूती हुयी लाजवाब पोस्ट ...
हा हा.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया analysis की हैं.
ला.....जवाब.....................
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in
कॉलेज के दिनों में तो हमने भी खूब फ्लाईंग किस के अभ्यास किये थे. :)
ReplyDeleteहमारे यहां ब्रज में एक कहावत है राजीव जी ! उठी पैंठ आठवें दिन लगती है ! मतलब कि अगर एक बार बाजार उठ गया तो फिर उसे दोबारा जमाने में पसीने छूट जाते हैं ! वोही सब मल्लिका के साथ हो रहा है ! मस्त मस्त लेख
ReplyDeleteबहुत खूब !
Deleteआयुर्वेदा, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योगा, लेडीज ब्यूटी तथा मानव शरीर
ReplyDeletehttp://www.jkhealthworld.com/hindi/
आपकी रचना बहुत अच्छी है। Health World यहां पर स्वास्थ्य से संबंधित कई प्रकार की जानकारियां दी गई है। जिसमें आपको सभी प्रकार के पेड़-पौधों, जड़ी-बूटियों तथा वनस्पतियों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी पढ़ने को मिलेगा। जनकल्याण की भावना से इसे Share करें या आप इसको अपने Blog or Website पर Link करें।