आजकल आदमी से ज्यादा चर्चा
चम्मचों की होती है,कोई समझ नहीं पाता कि चमचे इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं कि
उनकी सार्वजनिक रूप से चर्चा हो.शायद चम्मच शब्द से चमचा बना होगा.जब से हमें
आधुनिक होने का भ्रम होने लगा,चम्मच हमारे जीवन में प्रवेश कर गया.डाईनिंग टेबल के
साथ-साथ चम्मच हमारे जीवन में प्रवेश कर गया.इससे पहले तो हम पीढ़े या मोढ़े पर
बैठकर खाना खाने के आदी रहे हैं.
चम्मच परिवार में कई
भाई-बहन हैं.ज्यादातर चम्मच से बड़े हैं,उनकी चर्चा कभी नहीं होती.दरअसल उन
भाई-बहनों का कार्य भोजन बनाने और टेबल पर सुव्यवस्थित करने का है.ये भाई-बहन
कड़छा,बटलोई, खोंचा आदि हैं.इन्हें भोजन करने के काम में नहीं लेते.चम्मच ही ऐसा
उपकरण है जो भोजन के समय काम में लाया जाता है.
चम्मच भी कई प्रकार के
हैं.आजकल टेबल पर चम्मच का उपयोग तो होता ही है,बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों,बड़े
अभिनेताओं,अधिकारियों और सुविधाभोगी वर्ग के अलावा अघोषित राष्ट्रीय खेल क्रिकेट
में भी मनुष्य रूप चमचों का उपयोग होने लगा है और यही कारण है कि चमचों के मूल्य
में भारी वृद्धि हुई है.चम्मच उपयोगिता और हैसियत के अनुसार रखे जाते हैं,वे स्टील
के भी हो सकते हैं और चांदी के भी.
सोने के चम्मचों के जिक्र
नहीं मिलता.यदि सोने के चम्मच होते तो उनकी चोरी के अनेक किस्से मिलते.चम्मच
छोटे,बड़े,मध्यम आकार के हो सकते हैं,किन्तु उनकी बनावट और चरित्र में भी अंतर पाया
जाता है,जो जब उपयोग में लाया जाए तभी महत्वपूर्ण होता है.चम्मच की अपनी कोई
उपयोगिता नहीं होती.अवसर उनकी उपयोगिता का निर्धारण करता है.चम्मच चौड़े मुंह
का,गोल,आड़ा कटा,तिरछा भी हो सकता है.चम्मच अवसर पर अपनी उपयोगिता सिद्ध करते हैं.
यदि आप चिंतन करें तो पाते
हैं कि चम्मच में बड़े-बड़े गुण हैं.चमचे आदमी के स्तर को सूचित करते हैं.सामान्य
स्तर का आदमी एक सेट चमचे ही रखता है किंतु उच्च श्रेणी के राजनेता के असंख्य चमचे
पाए जाते हैं.बड़े राजनेता के चमचे डायनिंग टेबल के साथ बदल जाते हैं.यह उसकी सुधा
का सवाल है,किंतु राजनेता का स्तर हमेशा उसके उपलब्ध चमचों से नापा जाता है.
चमचे वह कार्य करते हैं जो
कोई कर ही नहीं सकता.चमचे अपने चहेते व्यक्ति के हाथ में आकर उसके मुंह तक भोजन
पहुंचाते हैं.चाहे वह रिश्वत खाएं या अन्न,चमचे उनके मुंह तक ले जाकर ही संतुष्ट
होते हैं.वे अपने चहेते राजनेता या अधिकारी के हाथ गंदे नहीं होने देते.जमकर खाएं फिर
भी कोई साक्ष्य न रहे इस बात की गारंटी चमचे ही देते हैं.इसलिए बदनामी का ठीकरा
उन्हीं के सर फूटता है.
चम्मच सदा से ही निःस्वार्थ
सेवा करते हैं.कितना ही गर्म मसाला हो वे अपना सर उसमें डाल देंगे और माल उठाकर
मालिक तक पहुंचा देंगे.कभी उसमें हिस्सा नहीं मांगेंगे.वे कितने ही कष्ट उठाएं
अपने मालिक के आगे कभी इसका उल्लेख नहीं करेंगे.
वे अपनी समस्त सफलताओं का
अधिकारी अपने हितकारी को मानते हैं.स्वाद लेने का अधिकार चमचे को नहीं है,वह तो
अपने आका को स्वाद पहुंचाने का कार्य करते हैं.चमचे इस मामले में मौन साधक हैं.वे अपने
उल्लेखनीय कार्यों का कभी उल्लेख नहीं करते.
चमचे बड़े त्यागी होते
हैं.वे अपना काम करने के बाद,कहीं भी रखिए,चुपचाप पड़े रहते हैं.वे कभी मांग पेश
नहीं करते.वे भाग्य के भरोसे रहते हैं.बारह बरस में घूरे के दिन फिर जाते हैं पर
उनके भी भाग्य फिरेंगे,यह उनका विश्वास रहता है.
ऐसा भी नहीं है कि चमचे मौन रहकर सब चुपचाप सहन करते हैं,इसलिए उनका कोई मूल्य नहीं है.चमचों को संभालकर रखना अपने आप में बड़ी जिम्मेवारी वाला काम है.जरा सी गफलत हुई और अच्छा-भला चमचा गायब.चम्मचों की सफाई,धुलाई का नित्य प्रतिदिन का कार्य होता है.समझदार व्यक्ति चमचों की धुलाई,सफाई कर न सिर्फ उन्हें चमकाता है,उन्हें ऊँचे स्थान पर स्थापित भी करता है.वे चमकते-दमकते, अच्छे स्थान पर काबिज होकर चमचे रखने वाले की प्रतिष्ठा भी बढ़ाते हैं.
चमचे रखना एक गंभीर मामला है,यदि चमचा उचित स्थान पर स्थापित न किया जाय,उसके साफ़-सफाई एवं स्वच्छता पर ध्यान न दिया जाय तो वह चमचा खतरनाक सिद्ध हो सकता है,वह स्वास्थ्य बिगाड़ सकता है,उसे देखकर उसके आका की इज्जत दो कौड़ी की हो सकती है,वह भले ही कुछ बोले नहीं लेकिन उसका अबोला भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
चमचे रखना साधारण आदमी का
काम नहीं है.आम आदमी चमचों के प्रति उत्सुक तो रहता है,किंतु चमचा बनना पसंद नहीं
करता.हर कोई चमचे के प्रति घृणा या मजाक की धारणा बनाए रखना दिखाता है पर कौन कब
अनायास चम्मच धर्म निभाने लगता है,कोई नहीं जानता.बुद्धिहीन चमचे जब किसी बड़े आदमी
के हाथ में पड़कर चमकते हैं तो अच्छे विचार करने लगते हैं कि काश ! हमें भी यह
सौभाग्य मिलता.वीतरागी और वैराग्य धारण करने वाले भी आजकल चमचे रखने लगे हैं.चम्मच
आधुनिक युग की आवश्यकता है,कह सकते हैं कि यह एक आवश्यक बुराई है.
Keywords खोजशब्द :- Value of Spoons,Yes Man Tradition
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बहुत बढ़िया :)
ReplyDeletebadhiya! :)
ReplyDeleteरोचक , सही बातें लिखी हैं
ReplyDeleteबहुत बढिया मजा आ गया
ReplyDeleteInteresting...........
ReplyDeleteWelcome on my blog
चमचागीरी एक महत्वपूर्ण कला है, जो सबको नहीं आती।
ReplyDeleteचमचों का अच्छा वर्णन ....
ReplyDeleteहम को खबर लगी आज कल अब ये
चमचों की होने लगी आज भरमार है
साहेब जब हँसतें हैं हंस देते चमचे भी
साथ साथ रहने को हुए बेकरार हैं
रूम मिले ओ टी मिले भर पेट रोटी मिले
चमचों का होने लगा आज सत्कार है
चमचों ने पाए लिया तीन साल में ही बो
जिसके लिए हमको लगते पूरे चार साल हैं
बहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
झा साहब एक चुटकला है। एक बार नेहरूजी और पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री कैरों एक पार्टी में गए जहाँ खाने के लिए दिए गए चम्मच सोने के थे। नेहरूजी ने सोचा कि किसी तरह एक चम्मच उड़ाया जाये। तभी उन्होंने देखा कि कैरों साहब ने चुपके से एक चम्मच अपनी जेब में डाल लिया। नेहरूजी को अच्छा मौका मिल गया। उन्होंने झटसे स्टेज पर जाके कहा अभी हम आपको एक जादू दिखलायेंगे। उन्होंने एक चम्मच उठाया और कहा कि देखो यह चम्मच हम अपनी जेब में डाल रहे हैं और अभी यह कैरों साहब की जेब से निकलेगा। यह कह कर उन्होंने चम्मच अपनी जेब में डाला और कहा कैरों साहब जरा अपनी जेब देखिये उसमें चम्मच आ गया होगा। बेचारे कैरों साहब क्या करते चुपचाप चम्मच निकल कर रख दिया और नेहरूजी को कोसते रहे।
ReplyDeleteझा साहब एक चुटकला है। एक बार नेहरूजी और पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री कैरों एक पार्टी में गए जहाँ खाने के लिए दिए गए चम्मच सोने के थे। नेहरूजी ने सोचा कि किसी तरह एक चम्मच उड़ाया जाये। तभी उन्होंने देखा कि कैरों साहब ने चुपके से एक चम्मच अपनी जेब में डाल लिया। नेहरूजी को अच्छा मौका मिल गया। उन्होंने झटसे स्टेज पर जाके कहा अभी हम आपको एक जादू दिखलायेंगे। उन्होंने एक चम्मच उठाया और कहा कि देखो यह चम्मच हम अपनी जेब में डाल रहे हैं और अभी यह कैरों साहब की जेब से निकलेगा। यह कह कर उन्होंने चम्मच अपनी जेब में डाला और कहा कैरों साहब जरा अपनी जेब देखिये उसमें चम्मच आ गया होगा। बेचारे कैरों साहब क्या करते चुपचाप चम्मच निकल कर रख दिया और नेहरूजी को कोसते रहे।
ReplyDeleteचमचे वह कार्य करते हैं जो कोई कर ही नहीं सकता.चमचे अपने चहेते व्यक्ति के हाथ में आकर उसके मुंह तक भोजन पहुंचाते हैं.चाहे वह रिश्वत खाएं या अन्न,चमचे उनके मुंह तक ले जाकर ही संतुष्ट होते हैं.वे अपने चहेते राजनेता या अधिकारी के हाथ गंदे नहीं होने देते.जमकर खाएं फिर भी कोई साक्ष्य न रहे इस बात की गारंटी चमचे ही देते हैं.इसलिए बदनामी का ठीकरा उन्हीं के सर फूटता है.
ReplyDeleteचम्मच सदा से ही निःस्वार्थ सेवा करते हैं.कितना ही गर्म मसाला हो वे अपना सर उसमें डाल देंगे और माल उठाकर मालिक तक पहुंचा देंगे.कभी उसमें हिस्सा नहीं मांगेंगे.वे कितने ही कष्ट उठाएं अपने मालिक के आगे कभी इसका उल्लेख नहीं करेंगे.गज़ब की पोस्ट लिखी है आदरणीय राजीव जी आपने ! चमचों पर इतना विस्तृत आलेख ? आप भी विवेकानंद जी के स्तर पर पहुँच गए हैं इस पोस्ट में ! चमचों की महिमा बड़ी निराली है ! एकदम मजेदार पोस्ट और ज्ञानवर्धक भी
''चम्मच निएरे रखिए'' बहुत ही शानदार लेख के रूप में प्रस्तुत किया है आपने। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...राजीव जी.
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !
मज़ा गया ... सच में चमचों के बारे में अच्छा, हास्य से भरपूर आलेख ...
ReplyDeleteबहुत ही बढि़या राजीव जी। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
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